Motivational Story in Hindi On crow and cuckoo
एक जंगल में बरगद का बहुत विशाल पेड़ था । उस पेड़ पर एक कौवा और एक कोयल अपना घोंसला बना कर रहते थे। वे हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाते । एक बार आधी रात में बहुत भयंकर आंधी तूफान आता है और थोड़ी ही देर मे मूसलाधार बारिश भी शुरू हो जाती है इस आंधी पानी में सब कुछ नष्ट हो जाता है यहाँ तक कि अब कौवा और कोयल को पेट भरने के लिए भी कुछ नही बचा तब कोयल ने कौवे से कहा
क्यूं ना हम एक काम करें कि जब तुम अंडा देना तो मैं खा लूंगी और जब मैं अंडा दूंगी तब तुम उसे खाकर अपनी भूख मिटा लेना
कौवा कोयल की बातों से सहमत हो जाता है । संयोगवश पहले कौवे ने अंडा दिया तो कोयल ने उसका अंडा खा लिया और अब बारी कोयल के अंडे देने की थी । कोयल ने अंडे तो दिए जरूर परंतु जब कौवा उसे खाने आया तो कोयल ने कहा
“तुम्हारी चोंच कितनी गंदी है । पहले अपनी ये गंदी चोंच तो धो कर आओ”
कौवा नदी के पास गया और कहा कि
“नदी-नदी, मुझे थोड़ा पानी दो मै पहले अपनी चोंच धोऊगा फिर कोयल का अण्डा खाऊंगा”
इतना सुनते ही नदी, कौवे से कहती है
“जाओ पहले बर्तन लेकर आओ”
तब कौवा कुम्हार के पास गया और कहा
“कुम्हार-भैया, कुम्हार-भैया, मुझे, दे दो घड़ा, भरूगा पानी, धोऊगा चोच फिर खाऊंगा कोयल का अंडा”
तो कुम्हार ने कौवे से कहा
“जाओ मिट्टी लेकर आओ”
तो वह मिट्टी के पास गया और मिट्टी से कहा
“मिट्टी- बहन, मिट्टी- बहन, मुझे दो मिट्टी, बनवाऊंगा घड़ा, भरूगा पानी, धोऊगा चोच फिर खाऊंगा कोयल का अंडा”
तब मिट्टी कहती है
“जाओ खुरपी लेकर आओ”
तब कौवा लोहार के पास जाता है और कहता है
“दो खुरपी, खोदूंगा मिट्टी, बनवाऊंगा घड़ा, भरूगा पानी, धोऊगा चोंच फिर खाऊंगा कोयल का अंडा”
लोहार कौवे को गरमा गरम खुरपी दे देता है परंतु जैसे ही कौवा उसे अपनी चोंच से पकड़ता है उसकी चोंच जल जाती है और वो वंही तड़प-तड़प कर मर जाता है । इस तरह कोयल चलाकी से अपने बच्चों को बचा लेती है ।
कौवा और कोयल की कहानी से शिक्षा
हमे किसी पर आंखे मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए अन्यथा जिस प्रकार कौवा, कोयल पर विश्वास करके अपने बच्चों के साथ-साथ अपनी भी जान गंवा बैठा उसी प्रकार किसी पर यूं ही विश्वास कर लेने से हमें भी हानी हो सकती है!