Short Inspirational Story of Traders in Hindi
बड़े भाई ने समझदारी दिखाते हुए उन दो सोने के सिक्को में से एक सिक्के को सुनार के पास बेच आया और सिक्के के बदले मिले पैसों को वह बड़े ही किफायत से खर्च करने लगा । वह रोज सुबह किराने की दुकान से थोड़ा आटा व आलू खरीद लाता और उसी से अपना एक-एक दिन काटता ।
वादे के मुताबिक एक साल गुजर जाने के बाद जब व्यापारी अपने दोनों बच्चों को लेने पहुंचा तब उसने देखा कि उसका छोटा बेटा न सिर्फ नगर का जाना माना फल विक्रेता बन गया है बल्कि उसने दो चार बंदे भी अपने यहां काम पर रख लिए हैं जबकि वहीं दूसरी तरफ पैसे बचाने के चक्कर में उसका बड़ा बेटा काफी दुर्बल एवं अस्वस्थ हो गया था । अस्वस्थ हो जाने पर उसने अपने बचे कुचे पैसों को भी अपने दवा-दारू में खर्च कर दिया जिसके कारण अब उसका हाथ बिल्कुल खाली हैं ।