क्या खूब मजा है जीने में, जब आग लगी हो सीने में। होठों से पीना क्या पीना, जो मजा है आंख से पीने में। Kya Khoob Maja Hai Jeene Mein, Jab Aag Lagee Ho Seene Mein. Hothon Se Peena Kya Peena, Jo Maja Hai Aankh Se Peene Mein.
बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है, सच कहूँ तो अब मेरा अँधेरों में ही मन लगता है। न खोलो खिड़कियां कहीं कोई खुशी आ ना जाए, मुझे तो अब गम से ज्यादा खुशियों से ही डर लगता है। Bujha Do Chiragon Ko Mujhe Ujalo Se Dar Lagata Hai, Sach Kahun To […]
तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है, संभलते संभलते पूरी रात गुजर जाती है। मैं चाँद से करता हूँ तेरे हुस्न के चर्चे, वो शर्मा के छुप जाता है और सुबह निकल आती है। Tera Husn Dekhkar Meri Tabiyat Bigad Jati Hai, Sambhalate Sambhalate Puri Raat Gujar Jati Hai. Mai Chand Se Karata Hun […]
खुशनसीबी है मेरी कि तू बेदर्द मिल गया, मुझे तू ना सही पर तेरा दर्द मिल गया। गैरों से अब मैं शिकवा करूं भी तो क्या, जब मुझको तेरे जैसा हमदर्द मिल गया। Khushnaseebi Hai Meri Ki Tu Bedard Mil Gaya, Mujhe Tu Na Sahi Par Tera Derd Mil Gaya. Garon Se Ab Mai Shikwa […]
इश्क की राहों में बढ़ जाना तो आसान है फिर उन्हीं राहों से लौट आना मुश्किल । किसी के ख्वाब सजा लेना तो आसान है फिर उन्हीं ख्वाबों को भूल पाना मुश्किल। यूं ही किसी को दिल में न बसा क्योंकि, किसी को अपने दिल में बसा लेना तो आसान है, फिर उसी को दिल […]
मुझमें जान अभी बाकी है, जीने का अरमान अभी बाकी है। ख्वाबो से कह दो अभी हौसला ना हारे, जितने का मुझमे तूफ़ान अभी बाकी है। Mujhame Jaan Abhi Baki Hai, Jeene Ka Aramaan Abhi Baki Hai. Khwabo Se Kah Do Abhi Hausala Na Hare, Jitane Ka Mujhame Tufaan Abhi Baki Hai.
ये सच तो है मगर पूरा सच नहीं, तुझे भूल भी गया हूं और भूला भी नहीं। तेरे बगैर जी को अब लगा लिया है मैंने, जी लगा भी लिया है और जी कहीं लगा भी नहीं। जबसे गए हो तन्हा मुझे छोड़कर यहां, मैं जिंदा तो हूं बेशक पर जिंदा भी नहीं। Ye Sach […]
दिखावे के रिश्ते दिखावे में रह गए, हम बस ऐसे रिश्तों को बचाने में रह गए। कभी मतलब से रूठे कभी मतलब से माने, हम नासमझ उनको मनाने में रह गए। Dikhawe Ke Rishte Dikhawe Me Rah Gaye, Ham Bas Aise Rishton Ko Bachane Me Rah Gaye. Kabhi Matlab Se Ruthe Kabhi Matalab Se Mane, […]
गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या, इतना निखरना जरूरी था क्या, सांसे थम सी गई आज देखा जो तुमको, इतना सजना सँवरना जरूरी था क्या। Gulaabon Sa Khilana Jaruri Tha Kya, Etana Nikharana Jaruri Tha Kya, Sanse Tham Si Gaee Aaj Dekha Jo Tumko Etana Sajna Savarana Jaruri Tha Kya.
जो बिगड़ गया उसको बनने में वक्त तो लगता है, जख्मो को वापस भरने में वक्त तो लगता है। पतझड़ में जब झड़ जाते हैं शाखों से टूट के पत्ते, फिर से नई बहार आने में वक्त तो लगता है। Jo Bigad Gaya Usko Banane Me Waqt To Lagata Hai, Jakhmo Ko Vapasa Bharane Me […]