एकता की ताकत प्रेरणादायक कहानी | Inspirational Story In Hindi On Unity
“रामू, सुरेश, महेश, दीपू कहां हो सब के सब जल्दी आओ, आओ जल्दी, कहां हो सब के सब”
“इतना परेशान क्यों होते हो जल चुके खेतों मैं आज ही काम करना शुरू कर दो ताकि अगली फसल जल्द से जल्द तैयार हो जाए और जहां तक भूखों मरने का सवाल है तो तुम चारों की मेहनत से अभी भी बहुत सारी फसल खेतों में बच गई है । उससे जो अनाज तुम्हें प्राप्त होगा उसे मिल बांटकर थोड़ा-थोड़ा ही इस्तेमाल करना मुझे यकीन है इनके खत्म होते होते अगली फसल तैयार हो जाएगी और तुम लोग जिन भविष्य की परेशानियों को सोच-सोच कर दुखी हो रहे हो वे परेशानियां शायद तुम्हे छु भी ना सक”
मगर उसे ले कर के भी आए दिन उनमें झगड़े की स्थिति बनी रहती । आखिरकार वही हुआ जिसका डर था । संघर्ष की इस स्थिति से निपटने के लिए चारों ने इस कुएं को पाट देना ही ठीक समझा । धीरे धीरे काफी अरसा गुजर गया । इस दौरान उनकी आपस में बातचीत तो दूर की बात थी, उन्हे एक दूसरे के सुख-दुख से भी कोई वास्ता नहीं था ।
मगर आज अलग-अलग होकर वे एक छोटी सी चिंगारी को भी नहीं बुझा पा रहे थेऔर देखते ही देखते एक छोटी सी चिंगारी ने उनसे उनकी छत छीन ली । बड़े भाई को अपनी गलतियों का एहसास हो गया था । वह पछतावे की आग में जल रहा था । ऐसे में उसने सिर्फ अपना-अपना न देखकर अपने साथ अपनों को भी देखना उचित समझा और अपने हाथ में भरी बाल्टी को लिए छोटे भाई की घर की आग बुझाने दौड़ पड़ा ।
अब पहले की तुलना मे उनके सर पर छत तो काफी छोटी थी मगर उनमें अब बीच प्यार बड़ा था ।जिस आग ने उनसे कभी उनकी मेहनत की फसल छीन ली थी । आज उसी आग ने बिछड़े दिलों को मिलाने का काम किया था ।