माथे पे बिंदियां आखों में काजल अच्छा लगता है | शायरी | करन‌ मिश्रा
माथे पे बिंदियां आखों में काजल अच्छा लगता है | शायरी | करन‌ मिश्रा

माथे पे बिंदियां आखों में काजल अच्छा लगता है | शायरी | करन‌ मिश्रा

जुल्फों को लटकने दो गालों से अच्छा लगता है,
माथे पे बिंदियां आखों में काजल अच्छा लगता है।
वैसे इस गुलिस्ताँ में हैं गुल‌‌ के हजारों रंग,
तेरे गालों का गुलाबी रंग मुझे अच्छा लगता है।

तेरी मेहदीं का गाढ़ा रंग मुझे अच्छा लगता है,
तेरी चूड़ी और कंगन मुझे अच्छा लगता है,
लगती जन्नत की हूर कोई तुम सुर्ख लाल जोड़े में,
तेरे होठों का ये लाल रंग मुझे अच्छा लगता है।

Julfon Ko Latakane Do Galon Se Achha Lagata Hai,
Mathe Pe Bindiyan Aakhon me Kajal Achha Lagata Hai.
Vaise Is Gulistaan Mein Hain Gul Ke Hazaaron Rang,
Tere Galon Ka Gulabi Rang Mujhe Achha Lagata Hai.

Teri Mehadi Ka Gada Rang Mujhe Achha Lagata Hai,
Teri Chudi Aur Kangan Mujhe Achha Lagata Hai,
Lagatee Jannat Kee Hoor Koee Tum Surkh Laal Jode Mein,
Tere Hothon Ka Ye Lal Rang Mujhe Achha Lagata Hai.

माथे पे बिंदियां आखों में काजल अच्छा लगता है | शायरी | करन‌ मिश्रा
माथे पे बिंदियां आखों में काजल अच्छा लगता है | शायरी | करन‌ मिश्रा
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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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