कभी हसना था कभी रोना था, छुप छुपकर आहें भरना था।
तेरी एक झलक पाने की खातिर, घंटो राहें तकना था।
वो पल बेशक़ अजीब थे, पर शायद मेरा नसीब थे।
मैं आज भी राहें तकता हूं, मिलने को बहुत तरसता हूं ।
पर मिलना मुमकिन अब होता नहीं, दिल पहले जैसा हसता रोता नहीं।
आँखों में अश्कों की धार है, तेरा पल-पल इंतज़ार है…
कभी आओगे मुझसे मिलने को, मेरा हाथ थामकर चलने को,
यहीं बात मुझे खुश रखती है, मुझे फिर से जिंदा करती है ।
मुझे फिर से जिंदा करती है…