काफ़ी से चाय की तलब नहीं जाती | शायरी | करन‌ मिश्रा
काफ़ी से चाय की तलब नहीं जाती | शायरी | करन‌ मिश्रा

काफ़ी से चाय की तलब नहीं जाती | शायरी | करन‌ मिश्रा

काफ़ी से चाय की तलब नहीं जाती,
अंग्रेजी चाहे जैसी भी हो देसी की तलब नहीं जाती।
घड़ी दो घड़ी ही सही मिलने को आ जाया करो क्योंकि,
किसी और के आने जाने से कम्बख्त तेरी तलब नहीं जाती।

Kaafi Se Chay Ki Talab Nahi Jaati,
Angreji Chahe Jaisi Bhi Ho Desi Ki Talab Nahi Jaati.
Ghadi Do Ghadi Hi Sahi Milane Ko Aa Jaya Karo Kyonki,
Kisi Aur Ke Aane Jane Se Kambakht Teri Talab Nahi Jaati.

काफ़ी से चाय की तलब नहीं जाती | शायरी | करन‌ मिश्रा
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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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