दोनों की बातों के बीच जंगल से कुछ आवाजे सुनाई देती है । कुमुद और मीना शांत हो गए,
काफी देर तक वह शांत रहकर उस आवाज के पुनरावृत्ति का इंतजार करने लगी। थोड़ी ही देर में जंगल की तरफ से फिर वैसे ही आवाज आई। अब तो कुमुद का शक पक्का हो गया, वह तुरंत घर में गई और अपना तीर धनुष एवं अन्य हथियार लेकर बाहर आई और जंगल की तरफ बढ़ गई।
मीना ने इस रात का वहां जाने से रोकना चाहा और वहां काफी खतरा होने का अन्देशा जताया पर कोई भी डर कुमुद के साहस के आगे भला कहां टिकने वाला था। उसके न मानने पर मीना ने उससे दो मिनट का वक्त मांगा थोड़ी ही देर मैं ग्रुप की सारी सहेलियां हथियारों से सजी वहां आ गई। वक्त जाया किए बगैर सारी सहेलियां वन की तरफ चल पड़ी, जैसे ही अमरनाथ और उसके साथियों को कुमुद ने पेड़ काटते देख वह अभी दूर ही थी। तब तक पेड़ काट रहे एक व्यक्ति पर तीर छोड़ दिया, जिससे वह वही गिर पड़ा इतने में अमरनाथ की गैंग ने उसको देख लिया और उस पर टूट पडे स्त्री होकर भी बड़ी ही साहस और चतुराई से कुमुद उनसे लड़ती रही।अन्ततः कुमुद और उसके ग्रुप से जान बचाकर अमरनाथ को भागना ही पड़ा।
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