छठ पूजा 2019 कब है कथा निबंध | Story And Essay On Chhath Puja In Hindi
छठ सूर्य उपासना का पर्व है पूर्वी भारत का एक महत्वपूर्ण (Important) त्यौहार बन चुका है जिसकी शुरुआत बिहार से हुई थी परंतु धीरे-धीरे यह त्यौहार लगभग-लगभग पूरे पूर्वी भारत में फैल चुका है ।
इतना ही नहीं अब तो यह धीरे-धीरे पूरे देश भर के लगभग सभी प्रांतों (States) में कम या ज्यादा, पर मनाया जाने लगा है । यहां तक कि इस त्यौहार को मनाने का प्रचलन पड़ोसी देश नेपाल तक पहुंच चुका है । यह व्रत महिलाओं (Ladies) द्वारा रखा जाता है । जिसमें ईश्वर से अपने संतान के दीर्घायु की कामना की जाती है । बहुत सारे लोग अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए भी इस व्रत (Fast) को करते हैं ।
वैसे यह व्रत सभी व्रतों से कहीं ज्यादा कठिन (Difficult) है क्योंकि इसमें लगभग 24 घंटे तक निर्जल उपवास रखा जाता है वैसे तो कई जगहों पर यह पूजा चार दिनों तक चलने वाली है परंतु अधिकांश (Mainly) जगहों पर यह पूजा दो दिनों की होती है । जानें घर की पूरी साफ सफाई की जाती है और महिलाएं सुबह से ही निर्जला उपवास रखकर छठ पूजा की तैयारियां (Preparations) करती हैं ।
वैसे तो छठ पूजा वर्ष में दो बार (Two Time) मनाया जाता है पहला चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में परंतु कार्तिक माह के छठ पूजा का का एक विशेष महत्व (Importance) है और इसका प्रचलन भी चैत्र माह (Month) की छठ पूजा से काफी ज्यादा है । छठ माता को सूर्यदेव की पत्नी माना जाता है इसीलिए इस पूजा में सूर्य देवता की उपासना (Prayer) की जाती है
छठ पूजा का नाम क्यों पड़ा
चूंकि दीपावली (Diwali) के छठे दिन, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की खष्ठी तिथि होती है और ये पूजा इसी दिन होती है इसलिए माता (Mother) का नाम छठ माता और इसे छठ पूजा कहते हैं।
छठ पूजा 2019 मे कब है ?
प्रारम्भ : 2 नवम्बर 2019, दिन शनिवार
सूर्यास्त का समय : सायं 5:30
समाप्त : 3 नवम्बर 2019, दिन रविवार
सूर्योदय का समय : सुबह 6:20
सूर्यास्त का समय : सायं 5:30
समाप्त : 3 नवम्बर 2019, दिन रविवार
सूर्योदय का समय : सुबह 6:20
पूजन सामग्री
केला, नारियल, सिंघाड़ा, गंजी, गन्ना, खड़ा हल्दी जिसमें पत्ते लगे हों एवं सामर्थ्य (Capacity) के हिसाब से और सारे फल, ठेकुए, पान का पत्ता, सुपारी कपूर, अगरबत्ती, शुद्ध देसी घी, सिंदूर, थोड़ा सा चावल अक्षत के रूप में ।
छोटी छोटी सूप इसमें कुछ लोग बांस (Bamboo) की सूप का प्रयोग करते हैं तो वहीं कुछ लोग पीतल (Brass) की सूप खरीदते हैं जिससे उसे बार-बार नहीं खरीदना पड़ता है ।
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पूजन विधि
वैसे तो यह व्रत चार दिनों का माना जाता है परंतु मुख्यतया व्रत 2 दिन का ही होता है । कार्तिक माह के छठे (Sixth) दिन अर्थात खष्ठी तिथि (Date) को महिलाएं सुबह से ही घर की साफ-सफाई में लग जाती हैं साफ सफाई के तुरंत बाद वे प्रसाद बनाती हैं जिसमें वे मुख्यतया छोटे-छोटे ठेकुए बनाती हैं । इसके साथ ही तमाम फल-फूल आदि को टोकरी एवं सुपली मे सजा लिया जाता है एवं शाम को इन्हे लेकर किसी तालाब (Pond) या नदी के किनारे बैठकर, मिट्टी की बेदी बनायी जाती हैं और उसपर कलश स्थापना करके विधि विधान से छठ माता का पूजन किया जाता है ।
पहले तो नहीं परंतु अब कुछ क्षेत्रों (Areas) में शाम को सूर्यास्त (Sunset) के समय सूर्य को अर्घ्य देने का प्रचलन बढ़ने लगा है । इन सबके बाद महिलाएं घर वापस चली जाती हैं और पुनं सूर्य निकलने से पहले घाट (तालाब या नदी किनारे) पर चली जाती है और वहां पुनः पूर्वरत उसी प्रकार छठ माता की पूजा अर्चना करती हैं और सूर्य के निकलने पर उन्हें अर्घ्य देती हैं ।
कहीं कहीं पर अर्घ्य देने का कार्य ब्राम्हण किया करते हैं जबकि अधिकांश स्थानों पर यह कार्य स्वयं परिवार के लोग (Persons) ही किया करते हैं । इसके बाद पुनः महिलाएं अपने-अपने घरों की तरफ रुख करती हैं और प्रसाद वितरण का कार्य किया जाता है ।
छठ व्रत के नियम एवं जरूरी बातें
- इस व्रत में लहसुन प्याज का सेवन बिल्कुल मना होता है ।
- पंचमी की रात को लौकी (Gourd) की सब्जी खाकर अगले दिन व्रत रहने का एक विशेष महत्व है ।
- यथाशक्ति व्रत में शाम के समय एवं पुनः सुबह के समय महिलाएं नए वस्त्र धारण करती हैं ।
- घर में साफ सफाई की विशेष (especially) ध्यान दिया जाता है ।
- छठ माता के गीत (Songs) गाने का इस त्यौहार में एक विशेष महत्व है पूर्वी भारत में छठ माता के गीत काफी लोकप्रिय (Famous) हैं ।
छठ पूजा की कथा एवं इतिहास
बहुत समय पहले एक राजा जिनकी कोई संतान (children) नहीं थी उन्हे महर्षि कश्यप में अपना आशीर्वाद प्रदान किया जिसके परिणामस्वरुप उनकी पत्नी को एक पुत्र प्राप्त हुआ परंतु वह मृत (Dead) पैदा हुआ जिसके कारण राजा पुत्र वियोग में चले गए ।
इसी पुत्र वियोग में खुद को समाप्त करने के दृढ़ निश्चय से वे नदी की ओर चल पड़े तब छठ माता वहां प्रकट हुई और उन्हें अपनी उपासना (Prayer) करने के लिए कहा जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई । तबसे महिलाएं अपने संतान की प्राप्ति के लिए और उनके दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं ।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का एक विशेष महत्व (Importance) है छठ पूजा मुख्यतया (Mainly) संतान के लम्बे उम्र के लिए रखा जाता है । बहुत सी महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का उठाती हैं । छठ के महत्व को इस प्रकार से समझा जा सकता है कि बिहार से प्रारंभ हुआ है यह व्रत आज समूचे (All) भारत में किसी प्रकार के पहचान का मोहताज नहीं है ।
जो औरत इस व्रत (Fast) को नहिं उठा पातीं हैं वे भी किसी न किसी रूप में इस व्रत मे सामिल होने की कोशिश जरूर करते हैं । इस व्रत से ना सिर्फ संतान को दीर्घायु प्राप्त होती है अपितु घर में सुख समृद्धि और धन वैभव का बढ़ावा मिलता है ।
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