तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है - शायरी - करन मिश्रा
तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है - शायरी - करन मिश्रा

तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है | शायरी | करन मिश्रा

तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है,
संभलते संभलते पूरी रात गुजर जाती है।
मैं चाँद से करता हूँ तेरे हुस्न के चर्चे,
वो शर्मा के छुप जाता है और सुबह निकल आती है।

Tera Husn Dekhkar Meri Tabiyat Bigad Jati Hai,
Sambhalate Sambhalate Puri Raat Gujar Jati Hai.
Mai Chand Se Karata Hun Tere Husn Ke Charche,
Vo Sharma Ke Chhup Jata Hai Aur Subah Nikal Aati Hai.

तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है - शायरी - करन मिश्रा
तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है – शायरी – करन मिश्रा



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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