एक गांव में कुलदीप और मनदीप दो चचेरे भाई रहा करते थे । चचेरे होकर भी उन दोनो में सगे भाइयों जैसा प्रेम था हालांकि कुलदीप मनदीप से उम्र में काफी बड़ा था । जहां कुलदीप खेती बाड़ी का काम संभालता वहीं मनदीप अभी लड़कपन में ही लगा था ।
एक बार जब दोनों भाई शिवरात्रि के मेले में घूम रहे थे । तभी उनकी नजर पड़ोस गांव के मुखिया की बेटी आकांक्षा पर पड़ी । उन दोनों ने मन ही मन उसे अपना जीवन साथी बनाने की ठान ली ।
जब यह बात मुखिया की बेटी आकांक्षा को पता चली तो उसने उन दोनों के सामने एक शर्त रखी । शर्त ये थी कि उन दोनों भाइयों में से जो सबसे पहले उसके लिए महलों जैसा सुंदर घर बना कर देगा वह उसी से विवाह करेगी ।
दोनों भाई आकांक्षा की इस शर्त को स्वीकार करके घर वापस लौट आए । घर आने पर कुलदीप ने मनदीप से कहा
“देखो भाई मनदीप हम दोनों के सपने एक ही हैं । ऐसे में यह जरूरी है कि हम दोनों को अपने सपने साकार करने का समान अवसर प्राप्त हो । इसलिए मैं चाहता हूँ कि खेत का आधा-आधा बटवारा कर लिया जाए ताकि मैं अपने और तुम तुम्हारे खेत में जी जान लगाकर मेहनत कर सको । आगे जिस की मेहनत रंग लाएगी उसके सपने सच हो जाएंगे”
मनदीप ने कुलदीप की बातों को सहस्र स्वीकार कर लिया । अगले दिन कुलदीप ने आधा खेत अपने हिस्से में रखकर बाकी बचा हुआ आधा खेत अपने चचेरे भाई मनदीप को दे दिया ।
अब जहां एक ओर कुलदीप अपने खेत की बुवाई मे लगा था । वहीं दूसरी ओर मनदीप भी अपना लड़कपन छोड़ खेती बाड़ी के काम मे जुट गया था । मगर यह क्या फसल की बुआई करने के बाद जहां मनदीप सारा-सारा दिन खेतों में अपना खून पसीना बहाया करता । वहीं कुलदीप सारा दिन खाट पर पड़े-पड़े आराम फरमाया करता ।
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एक दिन जब कुलदीप के एक दोस्त ने उससे इन सब की वजह जाननी चाही तब वह जोर-जोर से हंसने लगा और कहा
“देखो मित्र मैंने बहुत दिनों तक खेतों में पसीना बहाया है । मुझे खेती और खेत दोनों का बहुत गहरा अनुभव है । मैंने मनदीप को जो खेत दिए हैं वह बहुत कम उपजाऊ है । तुम उसे बंजर मान सकते हो, उन खेतों मे मनदीप चाहे लाख पसीना बहा ले परंतु उसमें जो फसल पैदा होगी उससे वह महल तो दूर एक झोपड़ा भी ठीक से नहीं बना पाएगा । तुम देखना आकांक्षा से मैं ही विवाह करूंगा”
वक्त के साथ कुलदीप की कही बातें सच साबित होने लगी । जी तोड़ मेहनत करने वाले मनदीप के खेतों में जहां थोड़ी बहुत फसलें दिखाई दे रही थी । वहीं कुलदीप की खेत फसलों से लहलहा रहे थे परंतु मनदीप भी हार मानने वालों में से नहीं था । उसने भी सफलता हासिल करने के लिए दिन रात एक कर दिया था । हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें. It’s Free !
कुछ ही महीनों में दोनों की फसलें तैयार हो गई । अब समय था उन फसलों का उचित मूल्य हासिल करके घर का निर्माण करवाने का । दोनों ने अपने-अपने मकान का निर्माण शुरू करा दिया परंतु मनदीप के बन रहे घर को देखकर कुलदीप के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई ।
मनदीप का मकान कुलदीप के मकान से काफी अच्छा था । वह इसलिए क्योंकि जहां कुलदीप अति आत्मविश्वास मे बिना कोशिश किए खुद को सफल मानकर लापरवाह बन बैठा । वहीं मनदीप अपनी जी तोड़ मेहनत के बल पर बंजर भूमि को भी उपजाऊ बना दिया ।
उसने कम समय में ही इतनी ज्यादा फसल तैयार कर ली कि जिसके बल पर उसने एक महल सदृश सुंदर घर बनवा लिया । वही कुलदीप का सपना, सपना ही बनकर रह गया । इसप्रकार मनदीप आकांक्षा को अपनी जीवनसंगिनी बनाने मे सफल रहा ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
इस कहानी से हमें तीन शिक्षा मिलती है !
सूझबूझ और कठिन परिश्रम के बल पर असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है !
अति आत्मविश्वास में हम इतने लापरवाह हो जाते हैं कि यथार्थ हमें दिखाई ही नहीं देता और जिसका परिणाम दुखद होता है !
किसी पर भी आवश्यकता से अधिक भरोसा ना करें !
दोस्तों हमने इस कहानी में देखा कि किस तरह कुलदीप ने अपने अनुभव का नाजायज फायदा उठाया परंतु फिर भी उसका अति आत्मविश्वास उसी पर भारी पड़ा । जहां वह अपने अति आत्मविश्वास में लापरवाह हो कर सच को कभी नहीं देख सका । वहीं मनदीप ने अपने दृढ़ निश्चय के साथ कम उपजाऊ भूमि में भी अपनी सूझबूझ और कड़ी मेहनत के द्वारा सफलता हासिल की ।