लड़को तक तो ठीक था पर लड़कियों से इस प्रकार से मिलना-जुलना, कृतिका को जरा भी रास नहीं आता था। वह अक्सर इन बातों को लेकर शुभम से झगड़ती रहती थी शुभम कृतिका की इन बातों को हंसकर टाल दिया करता था। कृतिका की शक करने की आदत घटने की बजाय बढ़ती ही जा रही थी ।
एक दिन वह दोनों मॉल में शॉपिंग कर रहे थे। इसी दौरान शुभम की कालेज टाइम फ्रेंड दीपाली से मुलाकात हो जाती है दोनों मैं खूब बातें होने लगती हैं । उनकी नजदीकी जाने क्यों कृतिका को कुछ ज्यादा ही खटकने लगती है। वह दीपाली के बारे में पता लगाने की सोचती है। उसे पता चलता है कि, दीपाली तो शुभम की एक्स-गर्लफ्रेंड है यह जानकर कृतिका का पारा हाई हो जाता है। वह बड़ी ही बेसब्री से शुभम के लौटने का वेट कर रही है । मेन गेट तो कभी दीवार पर टंगी घड़ी की सुइयों पर कृतिका की नजर टिकी हुई है।
आज कृतिका शुभम से सबूतों के साथ उसके चेहरे से शराफत का नकाब हटाने वाली है। आखिरकार घंटों के इंतजार के बाद शाम के करीब 6:00 बजते-बजते शुभम घर में दाखिल होता है अभी वह आकर सोफे पर बैठकर गहरी सांस भरता है कि सामने उसे किसी व्यक्ति के खड़े होने का आभास होता है सामने कमर पर हाथ ताने कृतिका आंखें लाल किए खड़ी है। कृतिका का यह रूद्र रूप शुभम ने पहले कभी नहीं देखा था अभी शुभम कुछ पूछता तब तक कृतिका बोल पड़ती है ।
अभी शुभम कुछ कहे उससे पहले कृतिका ने फिर उसे टोक दिया
कृतिका शुभम से ये सच सुनकर स्तब्ध रह गई । कृतिका “तुम यह सब जानते थे फिर भी”
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