सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा देवी
कहने को अवतार है बेटी,
जीवन का हर बाग – बगीचा
करती तो गुलजार है बेटी,
घर – गली, सड़क – मोहल्ले
और सजाती घर द्वार है बेटी,
जीवन की डूबती नैया को
बचानेवाली खेवनहार है बेटी,
पापियों के नाश हेतु
चंडी का अवतार है बेटी,
ये सब तो कहने को ही हैं
क्योंकि आज भी भार है बेटी !
Sarasvatee, Lakshmee, Durga Devee,
Kahane ko Avataar Hai Betee,
Jeevan ka Har Baag – Bageecha
Karatee To Gulajaar Hai Betee,
Ghar – Galee, Sadak – Mohalle
Aur Sajaatee Ghar Dvaar Hai Betee,
Jeevan Kee Doobatee Naiya Ko
Bachaanevaalee Khevanahaar Hai Betee,
Paapiyon Ke Naash Hetu
Chandee Ka Avataar Hai Betee,
Ye Sab To Kahane Ko Hee Hain
Kyonki Aaj Bhee Bhaar Hai Betee !
Poet
प्रेरणा कुमारी
यह कविता प्रेरणा कुमारी द्वारा लिखी गई है | प्रेरणा कुमारी बेगूसराय, बिहार की रहने वाली है | समाज की बुराइयों पर कुठाराघात करना आपकी कविताओं की प्रमुख विशेषता है |
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