भेड़ चाल | Behave Like Others On Inspirational Story In Hindi

भेड़ चाल | An Inspirational Story In Hindi On Behave Like Others
  बहुत समय पहले की बात है नंदगोपाल की शादी पड़ोस गांव की ही एक लड़की बरखा से हुई । नंदगोपाल बहुत ही सरल स्वभाव के थे । नंद गोपाल ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं थे, मगर पढ़े लिखो की संगत ने नंदगोपाल को  बहुत कुछ सिखा दिया था । कुछ दिनों बाद नंदगोपाल की पत्नी को एक पुत्र पैदा हुआ । बहुत दिनों बाद घर के आंगन में किसी बच्चे की गूंज रही, किलकारियों ने सब को खुश कर दिया । नंदगोपाल के बच्चे के आगमन पर घर मे पूजा पाठ का कार्यक्रम रखा गया । पूरे गांव को नंदगोपाल ने दावत दी ।

  इस अवसर पर आए एक महात्मा ने नंदगोपाल को बताया कि उनका पुत्र बहुत ही बुद्धिमान और आज्ञाकारी बनेगा । पुत्र के बारे में ये सब सुनकर नंदगोपाल बहुत खुश हुआ । महात्मा के कहे अनुसार उन्होंने उसका नाम बुद्धिसागर रखा । मां-बाप के लाड प्यार के बीच बुद्धिसागर बड़ा हुआ ।

  अब समय था । लाडो से पला बुद्धिसागर स्कूल जाने के नाम पर और बच्चो की तरह ही आनाकानी करने लगा । मगर कुछ ही दिनों बाद उसे स्कूल जाना अच्छा लगने लगा । घर से मिले संस्कारों के नाते वह गुरुजनों की हर आज्ञा को मानता और बड़े ही अनुशासन में रहता है । उसके इस व्यवहार से स्कूल के सभी अध्यापक बड़े प्रसन्न रहते ।

  महात्मा के बताए अनुसार वह वाकई बहुत बुद्धिमान बच्चा था । एक दिन उसके अच्छे व्यवहार और बुद्धिमत्ता के विषय में मास्टर साहब ने उसके पिता को बताया पुत्र की प्रसंशा सुनकर वह बहुत खुश हुआ । उसके घर लौटने पर पिता ने उसे, उसका पसंदीदा फुटबॉल लाकर दिया ।

  पिता से तौफा पाकर बहुत खुश हुआ । अगला दिन रविवार था यानी मस्ती का दिन । वह दिनभर अपने दोस्तों के साथ पिता से मिले नए फुटबाल के साथ खेलता रहा बुद्धिसागर, बुद्धिमान भले ही था । मगर किसी भी विषय में दूसरों के राय को वह बड़े गौर से सुनता और उनके विचारों को अपने विचारों से भी कहीं अधिक महत्व देता । उसके मन में जब भी कोई प्रश्न उठता तो उसके बारे मे वह दूसरों से भी सलाह मशवरा जरूर करता ।

  परीक्षा का दिन आ गया । बड़े ही उम्मीदों के साथ मां ने उसे दही और चीनी खिला कर स्कूल भेजा । पिता ने आज स्वयं उसे स्कूल छोड़ा । गणित विषय की परीक्षा थी पेपर में

             “2+2=?” 

का एक प्रश्न था । वैैैैसे तो वह काफी बुद्धिमान था और उसेे उस सवाल का जबाब भी बखूबी पता था । मगर उसने अपने दोस्त से भी कंफर्म करना चाहा ।

  उसने अपने साथ डेस्क पर बैठे एक लड़के से इस प्रश्न का उत्तर पूछा चूूंकि उसके दोस्त ने स्वयं दो और दो पांच लिखा था इसलिए उसने उसे भी दो और दो पांच बता दिया  । बुद्धिसागर को उसका जवाब सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ ।

  उसने दोस्त से कहा “देखो दोस्त, मेरे हिसाब से तो दो और दो चार होते हैं ना की 5”

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 तो दोस्त ने कहा “लिख ले यार एकदम सही उत्तर है मैंने कल ही पढ़ा था और बगल वाले ने भी यही लिखा है”

  बुद्धिसागर सोच-विचार मे पड़ गया, उसे पता तो था कि दो और दो चार होते हैं मगर दोस्त की बातें उसके दिमाग में घर कर गई । धीरे-धीरे वह कंफ्यूज होने लगा, उसे दोस्त का जवाब ही ज्यादा सही लगने लगा । आखिरकार उसने दोस्त के उत्तर को ही सही मान लिया और कापी पर दो और दो पांच लिख दिया ।

  थोड़ी ही देर मे बुद्धिसागर के एक दूसरे दोस्त ने वही सवाल उससे पूछा तो उसने उसे भी वही जबाब बता दिया जो उसने खुद लिखा था । कुछ देर बाद, जब वह पानी पीने को कमरे से बाहर गया तो वहा उसके कुुुुछ दूसरे दोस्त आपस मे यही सवाल डिशकस कर  रहे थे चूंकि बुद्धिसागर क्लास मे सबसे तेज था ऐसे में उन सब ने उससे भी इसका जवाब जानना चाहा उसने, उनसे भी  दो और दो पांच बताया । देखते ही देखते क्लास के सारे बच्चों ने

             “2+2=5” 
लिख ढाला ।

  जब बच्चों की कॉपियां मास्टर साहब के पास पहुंची तो सबका वही जवाब देखकर मास्टर साहब हंस पड़े । उन्होंने सारी कॉपियां उठाई और क्लास की ओर चल दिए । वहाां उन्होंने सारे बच्चों से एक-एक करके, सबके द्वारा एक ही गलती करने की वजह पूछने लगे । उन्होंने बच्चों पर सच बताने का दबाव डाला तो  “मन के सच्चे नन्हे बच्चे” झट से अपने उस दोस्त का नाम बताने लगेे जिससे पूछकर उन्होंने अपनी कॉपियों पर दो और दो पांच लिख ढाला था ।

  मास्टर साहब ने बुद्धिसागर को बुलाया और बोला “तुम तो क्लास में सबसे अव्वल हो । तुम बहुत बुद्धिमान भी हो । तुम्हें इस प्रश्न का सही उत्तर, पता भी रहा होगा । ऐसे में तुमने ये गलत जवाब क्यों लिखा”

  उसने बताया “सर, सभी ने यही उत्तर लिखा तो मुझे लगा की यही सही जबाब है”

  मास्टर साहब ने कहा

“किसी भी समस्या के विषय में दूसरों के विचारों को जानना सही है, मगर बिना कुछ सोचे समझे उसे सही मान लेना और उनके सुुुुझाए रास्तों पर आंख मूंदकर चल देना, अक्सर बुरे परिणाम लाता है”


 Moral Of The Story :-  

“हम भेड़ चाल चलने की आदि हैं, सही गलत का सोच विचार किए बगैर दूसरों के सुझाए रास्तों को ही सही मान लेते हैं और उस पर चलने की भूल कर बैठते हैं जो अक्सर हमें हानि पहुंचाती है” !
              



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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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