मेरी मम्मा भी सो गई, मेरे पापा भी सो गए
जिसने चलना सिखाया था कहा जाने वो खो गए
कभी जो लड़खडाया मै तो उसने ही सम्भाला था
मेरी गीली सी आखों को, उसने हसना सिखाया था,
न कोई आरजू है अब, न कोई अरमान बाकी है,
मै जिन्दा हूँ यहाँ लेकिन न मुझमें जान बाकी है,
मेरे अपनो के संग मेरे सभी सपने भी सो गए
जिसने चलना सिखाया था कहा जाने वो खो गए…
जो आते वो कभी ख्वाबों में, तो मैं पूछता उनसे
जो लाए थे हमें तुम साथ, तो क्युं ना साथ ले गए
तुम्हारे बिन मुझे अब सारी खुशियां फीकी लगती है
तुम्हारे बिन मुझे ये घर ये गलियां सुनी लगती है
मेरे जीने की हर एक वजह वो साथ ले गए,
जिसने चलना सिखाया था कहा जाने वो खो गए
मेरी मम्मा भी सो गई, मेरे पापा भी सो गए
जिसने चलना सिखाया था कहा जाने वो खो गए।
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