हँसता मुस्कुराता चेहरा, नाकाम वादों की इनायत है ,
कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे रह गए ,
ऐसे ख़्वाबों की गुज़ारिश है ,
ना जाने किस मोड़ पे मिल जाए फिर ,
और मुँह मोड़ ले हम ।
Poet
VANDANA LAL
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