अभी-अभी युवावस्था में कदम रखने वाले दो शेर, आज पहली बार शिकार की तलाश में निकले थे परंतु भीमकाए सदृश्य बड़े भाई को ये समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो शिकार किसका करें । उसकी इस दुविधा को दूर करते हुए छोटे भाई ने कहा
“मुझे लगता है कि तुम्हे हिरण का शिकार करना चाहिए क्योंकि वो वाकई काफी स्वादिष्ट होता है”
छोटे भाई की बात को मानकर बड़ा भाई, हिरण का शिकार करने निकल पड़ा । काफी मशक्कत के बाद आखिरकार उन्हें हिरण का शिकार करने में सफलता प्राप्त हुई यद्यपि दावत काफी लजीज थी परंतु इतने छोटे शिकार से पेट भरना मुमकिन नही था । तब बड़ा भाई कहता है
“इस हिरण के पीछे मैंने झूठ-मूठ मे अपना वक्त बर्बाद किया । इससे तो मेरे पेट की भूख भी नहीं शांत हुई”
तभी वहां से गुजर रहा एक तेंदुए उससे कहता है
“ये सच है कि तुम्हारी भूख हिरण जैसे शिकार से नहीं मिट सकती । तुम्हें कोई बड़ा शिकार ढूंढना होगा जैसे जंगली बैल या कुछ और । मुझे लगता है कि तुम्हें जंगली बैल का शिकार करना चाहिए”
युवा शेर उसकी बात मानकर जंगली बैल के शिकार के लिए निकल पड़ा । काफी भटकने के बाद अचानक उसे एक दिन नदी किनारे एक जंगली बैल नजर आया ।
बहुत देर से भूखा शेर समय न गवाते हुए उसपर हमला बोल देता है परंतु जंगली बैल भी काफी ताकतवर है परिणामस्वरूप दोनों में काफी देर तक युद्ध चलता रहता है और आखिरकार युवा शेर को शिकस्त हासिल होती है । वह किसी तरह से अपने प्राण बचाकर वहां से भाग जाता है ।
अब तो हद ही हो गई । पहला शिकार किसी काम का नहीं था और दूसरे शिकार जब मिला भी तो उसका शिकार कर पाने का स्वयं में सामर्थ में नहीं था । इन्ही सब बातो को सोच कर शेर कुंठित हो जाता है ।
परंतु निराश शेर का चेहरा उस वक्त खिल उठता है जब लोमड़ी उसे बताता है कि उसने अभी-अभी तालाब किनारे एक बूढे सुअर को देखा है आगे वह कहता है कि
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“बूढ़ा होने के नाते वह ज्यादा देर तुम्हारे सामने टिक नही पाएगा और इसतरह तुम बड़ी ही आसानी से उसका शिकार कर, अपनी पेट की आग बुझा पाओगे । बाकी, तुम्हारे खाने से जो बच जाएगा उसे मै खा लुंगी”
शेर लोमड़ी की बात मान कर उसके साथ सूअर के शिकार पर निकल पड़ता है । लोमड़ी की बात सच साबित होती है और युवा शेर बड़ी ही आसानी से सूअर को अपना शिकार बनाने में कामयाब हो जाता है । हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करें. It’s Free !
यद्यपि सूअर का मांस शेर का पेट भरने के लिए काफी था परंतु उसका स्वाद उसे जरा भी नहीं भाता परिणास्वरूप वह उसे आधा अधूरा ही खाकर, वापस घर की तरफ चल पड़ता है ।
असफलताओं से आहत युवा शेर के मुरझाये हुए चेहरे को देखकर, पहले तो मां घबरा जाती है परंतु कारण जानने के बाद वह मुस्करा उठती है और कहती है
“तुम्हारी निराशा और हताशा का कारण तुम स्वयं हो क्योंकि तुमने लक्ष्य निर्धारित करने के लिए हमेशा दूसरों की राय को ही प्रमुखता दी । यद्यपि लक्ष्य निर्धारित करते समय दूसरों की राय भी जानना आवश्यक है परंतु दूसरे हमेशा हमें वही लक्ष्य सुझाते हैं जिसमें उन्हें रुचि हो, जो उन्हें पसंद हो तथा जिसे वे प्राप्त करने में समर्थ हो परंतु ये जरूरी नहीं कि जिनमें उन्हें रुचि हो या जो उन्हें पसंद हो वो तुम्हारी भी पसंद बने और जिसे पाना तुम्हारे लिए संभव हो”
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
लक्ष्य वो चुने जो आपको पसंद हो, जिसमे आपको Interest हो और जिसे प्राप्त करने का आप में सामर्थ्य हो !