रूह की प्यास नहीं जाती - करन मिश्रा - शायरी
रूह की प्यास नहीं जाती - शायरी

रूह की प्यास नहीं जाती | करन मिश्रा | शायरी

जिस्म की प्यास तो बुझ जाती है रूह की प्यास नहीं जाती,
झूठे फरेबी रिश्तों से कभी प्यार की प्यास नहीं जाती।
प्यार की प्यास बनी रहती है जलते बुझते रिश्तों में,
आधी उमर गुजर जाती है फिर भी आस नहीं जाती।

Jism Ki Pyas To Bujh Jati Hai Ruh Ki Pyas Nahi Jati,
Jhuthe Farebi Rishton Se Kabhi Pyar Ki Pyas Nahi Jati.
Pyar Ki Pyas Bani Rahati Hai Jalte Bujhate Rishton Me,
Adhi Umar Gujar Jati Hai Fir Bhi Aas Nahi Jati.

रूह की प्यास नहीं जाती - करन मिश्रा - शायरी
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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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