अनुराग के पिता अपनी छोटी सी जनरल मर्चेंट की दुकान के भरोसे अपने बेटे को उचित शिक्षा दिलाने के लिए दृढ़ संकल्पित थे । अनुराग पढ़ाई में काफी बेहतर है जिसके फलस्वरूप उसे एक जाने-माने प्राइवेट कॉलेज में MCA के लिए दाखिला मिलता है हालांकि यहाँ पढ़ाई-लिखाई पर आने वाला खर्च काफी ज्यादा है जिसकी व्यवस्था जनरल मर्चेंट की दुकान के भरोसे कर पाना बहुत मुश्किल है ।
कोई रास्ता न सुझता देख पिता अपनी पुश्तैनी जमीन बेच बेटे का दाखिला MCA में कराते हैं । पिता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए अनुराग अच्छे अंकों से अपना MCA पूरा करता है परिणामस्वरूप उसे एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिल जाती है ।
सैलरी काफी मोटी होने के नाते अनुराग की शादी काफी अच्छे परिवार में होती है । उसकी पत्नी बेला ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं परंतु वह काफी खूबसूरत है । उनकी शादी को धीरे-धीरे तकरीबन 7 साल हो जाते हैं । इन 7 वर्षों के गुजरे वक्त में उन्हें दो नन्हे मुन्ने भी ईश्वर की कृपा से प्राप्त होते हैं । इधर अनुराग की छोटी बहन अब शादी के योग्य हो चुकी है ।
अनुराग की माँ उसे, बहन के लिए कोई अच्छा रिश्ता ढूंढने को कहती है । अनुराग भी जी जान से अपनी छोटी बहन के लिए बड़े से बड़ा रिश्ता ढूंढने में लग जाता है तभी एक दिन बेला अनुराग से उखड़ी-उखड़ी जुबान मे कहती है ।
“तुम क्यूँ नही हमेशा-हमेशा के लिए मुझे और बच्चों को मायके छोड़ आते”
तब अनुराग कहता है
“अचानक ऐसा क्या हो गया कि तुम मुझसे इस तरह की बात कर रही हो”
बेला कहती है
“जब पति सबकुछ लुटाने पर उतारू हो तो पत्नी भला क्या करे”
तब अनुराग कहता है
“तुम्हारे कहने का मतलब क्या है ? सीधे-सीधे अपनी बात कहो यूँ पहेलियाँ मत बुझाओ”
तब बेला कहती है
“पत्नी की ना सही लेकिन इन दो बच्चो का तो सोच लिया होता । जिन घरो मे तुम अपनी बहन का रिश्ता ढूँढ रहे हो कभी सोचा है अगर वहां रिश्ता करना पड़ा तो शादी मे कितना खर्च आएगा । इतने पैसो का इंतजाम आखिर तुम कहाँ से करोगे खुद को गिरवी रखकर या इन बच्चों के भविष्य की तिलांजली देकर” हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें. It’s Free !
अनुराग “बेला वो कोई गैर नही मेरी इकलौती बहन”
बेला “हाँ तो मैने कब कहा की वो गैर है । मगर उसकी शादी सामान्य घर मे भी हो सकती है हाई-फाई लड़के से ही करनी जरूरी है”
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अनुराग कुछ कहना चाह रहा था परंतु बेला ने उसे बीच में ही टोक दिया उसने कहा
“मैं जानती हूँ कि तुम भी हर अच्छे भाई की तरह अपनी बहन का विवाह एक बड़े घर में कराना चाहते हो मगर क्या तुमने कभी सोचा है, जब हमारी शादी हुई थी तो तुम्हारे पास क्या था कुछ भी नहीं तुम्हारे पिता एक छोटी सी दुकान चलाते थे । वही तुम MCA की तैयारी कर रहे थे आज भगवान की दया से हमारे पास सब कुछ है । यह सब नसीब-नसीब की बात है । अपनी बहन के लिए बड़े से बड़ा रिश्ता ढूंढना अच्छी बात है परंतु तुम्हारी बहन को सुख मिलना न मिलना, ये सब उसके नसीब पर निर्भर करता है । यह न तुम्हारे हाथ में है और न ही मेरे हाथ मे”
बेला फिर कहती है
“तुम्हे कोई पढ़ा लिखा लड़का देखकर अपनी बहन का विवाह कर देना चाहिए । यदि उसका नसीब अच्छा होगा तो वो खुद ब खुद आगे निकल जाएंगे तुम्हें इसके लिए बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है”
अनुराग, बेला की बातों को सुनकर गहरी सोच में पड़ जाता है । तब बेला, अनुराग से कहती है
“ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हें गलत सलाह नहीं दूंगी आखिर तुम्हारी बहन मेरी भी कुछ लगती है मेरी मानो तो कोई भी अच्छा लड़का देखकर उसका विवाह कर दो”
अनुराग उसकी बातों को मानकर अपनी बहन का रिश्ता ढूंढने लगता है
हालांकि जब यह बात उसके माता-पिता को पता चलती है तब वह उससे बहुत नाराज होते हैं तब अनुराग बेला की भाषा बोलते हुए अपने पिता को नसीब के महत्व को बतलाता है अनुराग के माता-पिता उसके फैसलों को स्वीकार करने के लिए मजबूर हैं । चूंकि उन्होंने अपनी सारी संपत्ति बेटे की पढ़ाई लिखाई में खत्म कर दी । उनके पास ऐसा कुछ भी नहीं बचा जिसके सहारे वह अपनी बेटी का विवाह किसी अच्छे घर में कर सकें ।
समय के साथ वक्त करवट बदलता है और अनुराग को हाई शुगर की बीमारी हो जाती है । इस बीमारी में उसकी आंखों की रोशनी काफी खराब हो जाती है । जिसके कारण अब वह अपना काम पहले की भाँति परफेक्ट तरीके से करने के लायक नहीं रहा । जिसके कारण उसे अपनी जॉब से हाथ धोना पड़ा ।
एक दिन जब वह अपनी नई जॉब की तलाश मे दिन भर धक्के खाने के बाद, मुंह लटकाए घर वापस पहुंचता है तभी उसे एक चौकाने वाली बात पता चलती है । दरअसल अनुराग के पिता ने अपना घर अपनी बेटी के नाम कर दिया है । अनुराग यह सुनकर पिता से झगड़ने लगता है । तब पिता कहते हैं
“देखो बेटा ये बात तो हमने तुम से ही सीखी है कि हर कोई इस संसार मे अपना नसीब लेकर आता है तो ठीक है तुम पति-पत्नी भी अपना नसीब लेकर आए होगे । अब जाओ और अपने नसीब के सहारे अपना भविष्य बनाओ हो सकता है कल को तुम इससे भी अच्छा घर खरीद लो । रही बात इस घर की तो शायद यह घर मेरी बेटी के नसीब मे था सो उसको मिल गया अब देखना ये है कि तुम्हारा नसीब अब तुम्हें कहां ले जाता है”
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
विनाश काले विपरीत बुद्धि
व्यक्ति के विनाश का समय निकट आने पर उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और वह उन्हीं कार्यों को करने में लग जाता है जिससे उसे हानि पहुंचती हो ।