ट्रेन से मुंबई जा रहे उत्सव को जैसे ही इस बात की भनक लगती है कि उसके बगल वाली बर्थ पर यात्रा कर रहा व्यक्ति, किसी सेल्स कंपनी में मैनेजर है । वह फौरन उससे मेलजोल बढ़ाने की कोशिश करने लगता है । वह कभी मूंगफली का पैकेट उसकी तरफ बढ़ाता है तो कभी उसे चाय के लिए आमंत्रित कर रहा है परंतु मैनेजर उसे जरा भी भाव देने को तैयार नहीं है ।
करीब एक घंटे का सफर बीत चुका है तभी अचानक फोन पर बात कर रहे सेल्स मैनेजर का फोन अचानक हाथ से नीचे छलक जाता है इस स्वर्णिम मौके को न गवाते हुए उत्सव उसकी मोबाइल को झट से लपक लेता है ।
इस प्रकार दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाता है । बातों बातों में उत्सव अपने मन की बात मैनेजर से कह देता है उसकी बातों को सुनकर मैनेजर कुछ ऐसे मुस्कुराता है मानो वह उत्सव की मंशा को पहले ही समझ चुका था और इसमे अचरज की कोई बात नही क्योंकि आखिर एक बीस-बाइस साल का दिखने वाला युवक, एक साठ साल के बूढ़े में इतना इन्ट्रस्टेड क्युं है ।
वह उत्सव से उसके सेल्स के बारे में जानकारी व एक्सपीरियंस के बारे में पूछता तब उत्सव बताता है कि उसने अभी-अभी ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है और जॉब की तलाश कर रहा है । उसे इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है तब मैनेजर उसे बताता है कि उसकी कंपनी में फ्रेशर के लिए कोई जगह नहीं है परंतु यदि वह उसे कुछ बेचकर दिखा दे तो वह उसके जॉब के बारे में वह एक बार सोच सकता है । उत्सव मन ही मन, मैनेजर की चुनौती को एक्सेप्ट कर लेता है ।
थोड़ी ही देर में अगले स्टेशन पर जब गाड़ी रूकती है तब पकोड़े और समोसे बेचने वाला एक शख्स डिब्बे में प्रवेश करता है । उत्सव पकोड़े वाले से खूब सारे पकोड़े और समोसे लेकर उसे, मैनेजर की तरफ बढ़ाता है किन्तु मैनेजर उसे इन सबके लिए मना कर रहा है परंतु उत्सव के बार-बार जोर देने पर वह तीखी व चटपटी चटनी के साथ मजेदार समोसे और पकोड़े का आनंद लेने लगता है । थोड़ी ही देर में जब मैनेजर अपने मिनरल वॉटर की बोतल का ढक्कन खोलकर पानी पीने के लिए बोतल मुंह में लगाता है तब बड़ी ही फुर्ती के साथ उत्सव उसकी बोतल चलती ट्रेन से बाहर फेंक देता है यह देख मैनेजर चौक जाता है और उससे कहता है
तुमने ये क्या किया ? मैंने शायद कुछ तिखा खा लिया है और मुझे प्यास भी बड़े जोर की लगी है अब बताओ मैं पानी कैसे पियूंगा
चिंता की कोई बात नहीं, मेरे पास पानी की एक और बोतल है आप उसे ले सकते हैं
(उत्सव मुस्कुराते हुए कहता है)
मैनेजर हड़बड़ी में “हां दो… जल्दी दो”
उत्सव अपने बैग से पानी की एक नई बोतल निकालता है परंतु जैसे ही मैनेजर बोतल को लेने की कोशिश करता है उत्सव अपना हाथ पीछे खींच लेता है जिसे देख मैनेजर एक बार फिर चौक जाता है ।
सर इसके बीस रुपए लगेंगे
(उत्सव, मैनेजर से कहता है)
उत्सव की इस बात से मैनेजर मुस्कुरा उठता है और अपने पर्स से बीस रुपए का नोट निकालकर उसे देता है ।
इस प्रकार ट्रेन में बैठे-बैठे उत्सव ने बीस रुपए की सेल कर ली है और बस इतना ही नही उसने इस सेल के साथ ही अपनी जॉब भी पक्की कर ली है ।
सेल्स मे कैसे पाए सफलता कहानी से शिक्षा
दोस्तों सेल्स में सफलता के लिए आपको जरूरत पैदा करनी होगी । आपको लोगों की जरूरत बननी होगी । आपको कुछ ऐसा करना होगा जिससे लोग खुद आपके प्रोडक्ट में इंटरेस्ट दिखाएं तभी आप सेल्स के मास्टर बन पाओगे !