ये कहानी है, झारखंड के राँची-रोड स्थित रामपुर की, शाम के चार बज चुके है, शिवानी अभी तक कालेज से नही लौटी अक्सर वो दो बज तक कालेज से घर आ ही जाती थी। शिवानी की माँ विमला देवी ने शिवानी को फोन किया,पर शिवानी का फोन स्विच आफॅ बता रहा है, शायद बैट्री खत्म हो गई होगी, शाम के पाँच बज चुके है। शिवानी अबतक घर नही लौटी। विमला ने उसकी सहेलियो को फोन किया,पर वो उनके साथ भी नही है।तभी दरवाजे पर खटखट की आवाज होती है, शायद शिवानी आ गई,पर नही शिवानी के पिता गिरिश आए है।
आते ही अपनी प्यारी बेटी शिवानी का नाम पुकारते है। और एक गिलास पानी माँगते है, पर शिवानी तो घर पर है ही नही, वो विमला से पूछते है शिवानी कहा है तो विमला डर के मारे बोल देती है, कि वो पड़ोस मे गई है। हालांकि शिवानी ज्यादा देर घर से बाहर रहने वाली लड़कियो मे से नही थी, कालेज से सीधा घर ही आती थी। उसकी ज्यादा सहेलिया भी नही थी। वो पढ़ने मे भी ज्यादा तेज है।
कालेज मे हमेशा अव्वल आती है। इस बात से गिरिश भी बहुत खुश रहते है। पर जाने कहा आज इतनी देर तक वह रह गई। गिरीश को चाय-पानी देने के बाद विमला, पड़ोस मे शिवानी की सहेली अनन्या के घर जाती है। अनन्या,शिवानी के साथ कालेज मे पढती है। पर पता चलता है कि अनन्या तो आज कालेज गई ही नही थी। तब अनन्या ने कालेज जाने वाली दूसरी सहेलियो से शिवानी के बारे मे पूछा तो चौकने वाली बात पता चली शिवानी तो आज कालेज गई ही नही थी। अब तो विमला का ब्लडप्रेशर बढ़ने लगा वह काफी घबरा गई। वह भाग कर गिरिश के पास आई और उनसे सारी बात बताई गिरिश ये बात सुनकर काफी टेंशन मे आ गए।
वो तुरन्त अपने पड़ोसी सतीश चंद्र के पास गए फिर क्या था उन्होंने शिवानी को हर जगह जहा उसके मिलने के आसार थे, ढूंढा। पहले वो शिवानी के कालेज गये।
पर कालेज तो कब का बन्द हो चुका था। हर जगह ढूँढने के बाद वो वहा पहुंचे जहा से हर रोज शिवानी टैक्सी पकड़ा करती थी। पर वहा पास मे पानी की गुमटी वाला जो सतीश के गांव का था। उसने बताया कि रोज की तरह शिवानी बिटिया टैक्सी पकड़ने आई तो जरूर थी। पर उसके बाद की कुछ खबर नही, थक हार कर गिरिश और विमला भाग कर पुलिस स्टेशन गए। पुलिस ने उनका ढाढस बढाया और पूरी मदद का आश्वासन भी दिया गिरिश से पुलिस ने जब पूछा कि आप को शिवानी के गुम होने पर, क्या किसी पर शक है, गिरीश कुछ बताना चाहते थे पर तबतक विमला ने ईशारो ईशारो मे उन्हे रोक दिया। शिवानी को तलाश करते-करते पहले शाम से रात और फिर रात से सुबह हो गई, पर शिवानी का कुछ पता नही चला।
तभी गिरिश के फोन पर किसी का फोन आया पता चला कि वह फोन किसी और का नही बल्कि शिवानी की तलाश कर रहे इंस्पेक्टर माधव का है। उन्होंने तत्काल उन्हे रामपुर चौराहे जहा से शिवानी टैक्सी पकड़ा करती थी, से थोड़ी दूर एक सुनसान नाले के पास बुलाया,जाने क्यो वहा से सड़ान्ध की बू आ रही थी। इसी आधार पर किसी ने पुलिस को सूचना दी थी। सूचना के आधार पर नाले की तलाशी के दौरान हैरान कर देने वाली बात का पता चला कि नाले मे एक युवती की लाश पड़ी थी।
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बज-बजाते नाले से शव को बाहर निकाला गया तो सबने शव से मुह फेर लिया शव के मुख को किसी भारी गाड़ी से दबा कर कुचला जा चुका था। दौड़े दौड़े गिरिश, और विमला वहा पहुंच गये लाश की शिनाख्त के लिए जब दोनो को इंस्पेक्टर ने आगे बुलाया, तो दोनो का पूरा शरीर काँप उठा मानो मन ही मन वो शिवानी है ये स्वीकार कर लिया हो।
खैर आखिरकार उनका डर सही साबित हुआ वो लाश किसी ओर कि नही बल्कि गिरिश की लाडली शिवानी की थी। दिल धक से किया हकीकत सामने देख। रात भर की दौड़ और परिणाम सामने अब बेटी को ढूंढ निकालने की खुशी मनाए या गम बेटी मिली तो मगर जिन्दा नही मुर्दा।
आखिर शिवानी और उसके परिवार की खुशियो को किसकी नजर लग गयी थी।
आखिर कौन था इन सब का जिम्मेदार किसने शिवानी के आसमाँ छूने के सारे सपनो को एक ही पल मे चकनाचूर कर दिया था। बेटी की लाश ने विमला को दुर्गा बना दिया। उसने लाश को जलाने से साफ इन्कार करते हुए कातिलो को गिरफ्तार करने की जिद्द पर अड़ गई। यह सनसनीखेज मामला पुलिस महकमे मे नाक की कील बन गया। एसएसपी के बहुत मनाने पर वो शिवानी का दाह-संस्कार करने को राजी हुए। विमला ने बताया कि उनके घर के पास ही गिट्टी का एक बड़ा व्यवसायी दिनेश रहता है, जिसकी बदनियती हमेशा शिवानी के प्रति रही है।
शिवानी ने उसको कई बार फटकार लगाई। यहा तक की गिरिश ने भी उसको डाटा पर वो अक्सर शिवानी के उपर फफतिया कसने से बाज नही आया करता था। तंग आकर शिवानी ने एक बार उस पर सैंडिल भी उठा लिया था।
पुलिस के लिए इतना सूराख काफी था। वो तुरन्त गिट्टी व्यवसायी के पिता मोहनलाल के घर पहुंचे। वहा उनका पुत्र दिनेश नही था। शायद पुलिस के आने से पहले ही वो वहा से भाग चुका था। इंस्पेक्टर ने उसके पूरे परिवार को पुलिस कस्टडी मे ले लिया । महिनो बीत गए, पर दिनेश का कुछ पता नही चला।
एक दिन दिनेश के प्रिय दोस्त विनोद को एक फोन आया वो फोन किसी और का नही बल्कि खुद दिनेश ने किया था, पता चला कि वह इस वक्त मुम्बई मे है। ये केस बहुत ज्यादा हाईलाइट हो जाने के कारण पुलिस की निगाह केस से जुड़े हर उस शख्स पर थी, जो भी शक के घेरे मे था, पुलिस हर हाल मे शिवानी के कातिल तक पहुंचना चाहती थी। चूंकि विनोद का फोन भी सर्विलांस पर था। इस लिए पुलिस को दिनेश के लोकेशन का पता चल गया, गुड़गांवा पुलिस अब ओर ज्यादा देर न करते हुए तुरंत मुम्बई के लिए रवाना हो गए। वहा उन्हे बड़ी कामयाबी हासिल हुई दिनेश पकड़ा गया।
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अब बारी थी, केस के रहस्योद्घाटन की पुलिस ने जो तथ्य प्रेस-कान्फ्रेस के माध्यम से उजागर किया उस सुनकर शातिर से शातिर अपराधी भी दातो तले उंगली दबा ले ।
दिनेश, शिवानी को अक्सर परेशान करता था। शिवानी ने इसकी शिकायत अपने पिता से भी की थी। दिनेश उसे फूटी आँख नही भाता था। वो उससे बहुत ज्यादा नफरत करती थी, पर न जाने कब ये नफरत प्यार मे बदल गई, चूंकि दोनो की कास्ट अलग थी। इसलिए दोनो के परिवार कभी इस रिश्ते के लिए राजी नही होते। दोनो एक-दूसरे से बेइंतहा प्यार करने लगे थे। और इस प्यार के लिए वो मर भी सकते थे और किसी को मार भी सकते थे। चूंकि शिवानी काफी तेज दिमाग की थी। इसलिए उसने एक प्लान बनाया प्लान के तहत उसने अपनी गुमशुदगी के दिन रामपुर चौराहे के बगल मे एक सुनसान नाले के पास दिनेश को बुलाया, और फिर प्लान के तहत सेम कद-काठी की एक डेडबाॅडी जोकि, दिनेश मुर्दाघर से चुराकर लाया था । उसे शिवानी ने अपने सारे कपड़े, नेकलेस, अंगूठी और अपना श्रृंगार का सारा सामान पहनाकर वही लिटा दिया । इसके तुरंत बाद दोनो ने उस लाश से वो दरिंदगी की जिसे सोच कर भी रूह कांप जाए । दिनेश ने उसके के चेहरे को अपने ट्रक के पहिये के नीचे कुचल दिया और फिर दोनो ने उसे नाले मे धकेल दिया ।
पुलिस द्वारा इस रहस्य का पर्दाफाश करने पर वहा सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए । गिरीश और विमला को पुलिस की बातो पर विश्वास नही था, उन्होंने पुलिस हिरासत मे वहा मौजूद शिवानी से इस बारे मे स्वयं जाकर पूछा, शिवानी खामोश थी, शिवानी की खामोशी से गिरिश और विमला उनका जवाब मिल गया था ।
शिवानी ने गिरिश जी के विश्वास को ही नही बल्कि उनके समाज मे सम्मान को भी तार-तार कर दिया था।
शायद किसी बाप का सर बेटी के भाग जाने पर इतना न झुका होगा, जितना की आज शिवानी के इस कृत से गिरिश का झुक गया था ।
दोस्तो किसी से प्यार करना और उस प्यार को जीवनसाथी बनाना कोई गलत बात नही, पर अपने इस स्वार्थ मे वशीभूत होकर अपने ही माता-पिता की गरिमा को इस तरह से ठेस पहुंचाना बिल्कुल गलत है ।
“इश्क और जंग मे सब जायज है “
ये किसने कहा था हमे तो पता नही, पर इस कहानी को पढकर ऐसा कहने वाला भी शर्मसार हो रहा होगा ।
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