मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका - शायरी - करन मिश्रा, देखने के लिए उधर देखना जरूरी नहीं,
मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका - शायरी

मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका | शायरी | करन मिश्रा

देखने के लिए उधर देखना जरूरी नहीं,
जिधर वो हैं उधर देखना जरूरी नहीं।
मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका,
उनके दीदार को किधर भी देखना जरूरी नहीं।

Dekhane Ke Liye Udhar Dekhana Jaruri Nahi,
Jidhar Vo Hain Udhar Dekhana Jaruri Nahi.
Mai Aakhein Mundakar Kar Sakta Hun Didar Unka,
Unke Didar Ko Kidhar Bhi Dekhana Jaruri Nahi.

मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका - शायरी - करन मिश्रा, देखने के लिए उधर देखना जरूरी नहीं,
मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका – शायरी



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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