कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा | शायरी | करन मिश्रा
कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा | शायरी | करन मिश्रा

कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा | शायरी | करन मिश्रा

कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा,
बेबसी की आंखों से नजारा देखता रहा।
कपकपाते होठ डबडबाती आँखों से,
अपनी डूबती किस्मत का सितारा देखता रहा।

Kashti ko jate hue kinara dekhata raha,
Bebasi ki aakhon se nazara dekhata raha.
Kapkapate honth dabadabati aakhno se,
Apni dubati kismat ka sitara dekhata raha.

कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा | शायरी | करन मिश्रा
कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा | शायरी | करन मिश्रा



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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