कोमौलिका अपने माता-पिता की बड़ी लाडली बेटी थी । कमौलिका के माता पिता एक सेठ के वहां पैकिंग का काम किया करते थे । वे सेठ की दुकान से अनाज की बोरियां लाते और फिर उसे छोटे-छोटे प्लास्टिक के थैलों में पैक करके उसे सेठ की दुकान पर वापस दे आया करते । सेठ उन्हें इस काम के बदले कुछ पैसे दिया करता, जिससे उनका जीवन यापन बहुत अच्छे से हो जाता । कमौलिका के माता पिता इस काम में कभी-कभार उसकी भी मदद लिया करते थे ।
एक बार जब कमौलिका सेठ की दुकान पर, पैकिंग का माल देने पहुंची तो हमेशा की तरह दुकानदार ने पैकिंग के पैसे कमौलिका को दिए । कमौलिका ने जब उन पैसों को गीना तो उसमें 20 रुपए ज्यादा थे । कमौलिका ने फौरन वो 20 रुपए, दुकानदार को लौटा दिए ।
एक दिन न जाने क्यों सेठ को कमौलिका की ईमानदारी पर कुछ शक हुआ । उसने जानबूझकर कमौलिका को 50 रूपए ज्यादा दिए और कहा
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