खुश रहने के मूल मंत्र या राज कथा| खुश रहने के लिए हमें क्या करना चाहिए
वैसे तो मनप्रीत और सुखविंदर के बीच स्टेटस का फासला काफी ज्यादा था परंतु उनके दिलों के बीच दूरियां काफी कम थी । दोनों तकरीबन चार बजे के आसपास घर के पास वाले पार्क में मिलते और फिर खूब सारी मस्ती करते ।
एक दिन जब सुखविंदर अपनी घिस चुकी पुरानी बाॅल को काफी गौर से निहार रहा था तभी पीछे से उसके कंधे पर कोई हाथ रखता है वो कोई और नही बल्कि उसका बेस्ट फ्रेंड मनप्रीत है । मनप्रीत उससे कहता है
“हां दोस्त अब तेरी ये बाॅल रिटायर होने के कगार पर है मगर तू चिंता मत कर, मैंने पिताजी से नई बाॅल दिलवाने को कहा है । अब जल्दी ही हमें एक नई बॉल मिल जाएगी और फिर हम उस नई बाॅल से खूब खेलेंगे और मजे करेंगे”
गुजरते वक्त के साथ स्कूल की छुट्टियां अब खत्म हो चुकी हैं और अब समय है स्कूल का । अपने वादे के मुताबिक मनप्रीत के पिता उसे एक नई बाॅल लाकर देते हैं
मनप्रीत आज बहुत खुश है वह कॉपी-किताबों से तंग अपने बैग में भी बाॅल रखने की जगह बना ही लेता है और फिर उसे लेकर वह स्कूल चला जाता है । क्लास में पहुंचकर वह अपने प्रिय मित्र मीका को चुपके से अपनी बाल दिखाता है और कहता है ।
“देखो मेरे पापा ने मुझे नई बॉल ला कर दी है”
उसे देख मीका मुस्कुराते हुए कहता है
“तेरी बाॅल तो बहुत छोटी है यह देख मेरी बॉल.. अब बता किसकी बाल ज्यादा अच्छी है”
मीका की बाॅल वाकई मनप्रीत की बॉल से थोड़ी बड़ी और अच्छी क्वालिटी की है जिसे देख मनप्रीत को थोड़ी शर्मिन्दगी महसूस होती है, परिणास्वरूप वह लंच टाइम मे भी अपने बाल को बैग से नही निकालता और न ही दोस्तों के साथ बाहर खेलने जाता है। वह उदास मन से वहीं बैठा रहता है ।
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शाम को जब उसके पिता घर आते हैं तब वह उनसे नई बाॅल की मांग करता है । तब उसके पिता बहुत ही रूखे स्वरों में उससे कहते हैं
“ज्यादा नाटक मत कर खेलना है तो खेल नहीं तो रख दे । मैं तुझे अब कोई दूसरी बाॅल लाकर देने से रहा”
पिता से ना सुनने के बाद मनप्रीत के चेहरे पर मायूसी छा जाती है । उसे कुछ नहीं सूझ रहा परिणामस्वरूप अगले दिन वह अपनी सारी पॉकेट मनी को लेकर दुकान पहुंचता है और उन पैसों के बदौलत वह मीका से भी अच्छी बाॅल खरीदने मे कामयाब हो जाता है ।
स्कूल पहुंच कर वह चलती क्लास में ही इशारों-इशारों में मीका को अपनी नई बाल दिखाता है । तब मीका उससे कहता है
“मैं जानता था कि तू कुछ ऐसा ही करेगा इसीलिए पापा से पैसे लेकर मैं ये नई बॉल खरीद लाया । अब बता किसकी बॉल ज्यादा अच्छी है”
मीका की नई बॉल देख, मनप्रीत के चेहरे का रंग, एक बार फिर फिका पड़ जाता है । वह आज भी, पूरा लंच पीरियड क्लास मे ही बिताता है । उसका अपनी नई गेंद से खेलना तो बहुत दूर की बात है अब तो वह गेंद को अपने बैग से बाहर निकालने मे भी शर्म महसूस कर रहा है ।
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मनप्रीत एकबार फिर मुश्किलों से घिर चुका है, आखिर अब वह करे तो क्या करे क्योंकि एकतरफ नई बाॅल के लिए पिता से पहले ही ना हो चुका है वहीं दूसरी तरफ उसकी पॉकेट मनी भी खत्म हो चुकी है और अगली पॉकेट मनी मिलने में अभी वक्त है ।
कोई रास्ता नजर न आता देख, मनप्रीत औने पौने दामों में ही अपने कुछ खिलौने, दोस्तों मे बेच आता है और इस प्रकार वह नई गेंद के लिए जरूरी पैसों का इंतजाम करने मे सफल हो जाता है परंतु फिर एक बार उसे मीका से मुंह की खानी पड़ती है ।
यह सिलसिला लगातार यूँ ही जारी रहता है और देखते ही देखते मनप्रीत के सारे खिलौने भी खत्म हो जाते हैं ऐसे में अब उसके पास हार मानने के सिवाय दूसरा कोई चारा नहीं है ।
निराशा और हताशा से भर चुके मनप्रीत को एक दिन अपने पुराने दोस्त सुखविंदर की याद आती है । वह उससे मिलने घर के पास वाले पार्क में जाता है । काफी दिनों तक अकेले रहने के कारण सुखविंदर ने कुछ नए दोस्त बना लिए हैं और वह उनके साथ अपनी उसी पुरानी बाॅल के साथ खूब इंजॉय कर रहा है । मनप्रीत को अपने सामने देख सुखविंदर बहुत खुश होता है और कहता है
“आओ दोस्त तुम तो नई बाॅल लाते ही रह गए कोई बात नहीं आओ चलें इस पुरानी बाॅल से ही मजे करें”
सुखविंदर की हंसी देख मनप्रीत के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है और इसप्रकार दोनों दोस्त एक बार फिर उसी पुरानी गेंद से खेलने लगते हैं और वे काफी खुश हैं ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Inspirational Story In Hindi
दोस्तों हम दूसरों की महंगी महंगी वस्तुओं को देखकर अक्सर अपना मन दुखी कर लेते दोस्तों खुशियां महंगी महंगी वस्तुओं में नहीं बल्कि वो तो आपके मन के किसी कोने में दबी हैं उन्हें पहचानिए, उन्हें बाहर लाइए उन्हें अपनो के साथ बाटीए फिर देखिएगा आपको इसमे जो खुशी मिलेगी वह महंगी महंगी वस्तुओं को भी अपने वश में करने से नहीं मिल सकती !