खूब लड़ी मर्दानी वह तो जंगल वाली रानी थी | The courageous fight of a woman Inspirational Story In Hindi

       जंगलों एवं उसके महत्व के बारे में जितना जंगल में रहने वाले लोग जानते होंगे उतना बिरला ही कोई जानता होगा ।

   ये कहानी है जंगल में रहने वाली कुमुद की स्वभाव से बेहद सरल दिखने वाली कोमल मे बचपन से ही पुरुषों की तरह परंपरागत युद्ध के तरीको के अभ्यास आदि बहुत मन था । उसने अपना पूरा बचपन जंगलों में ही काटा था, जैसे जैसे वह बड़ी होने लगी उसने अनुभव किया कि वह जंगल जो कभी बहुत  घना हुआ करता था। धीरे-धीरे कुछ गुंडों ने अपने फायदे के लिए अमूल्य धरोहर,  वनों को काट काट कर काफी विरल बना दिया था। अततः कुमुद ने यह निश्चय किया कि चाहे उसे अपने प्राणों की आहुति ही क्यों न देनी पड़े, पर वह जंगल को और ज्यादा नुकसान नहीं होने देगी ।

    काफी सोच विचार के बाद उसने  अपनी सहेलियों के साथ अपना एक ग्रुप तैयार किया, उसने ग्रुप के सभी सदस्यों को स्वयं लड़ने की ट्रेनिंग दी, उसने उन्हें तीरदांजी, पेड़ों पर चढ़ने इत्यादि की काफी अच्छी ट्रेनिंग दी। गांव के ही एक एजेंट ने जंगल में लकड़ीयो की तस्करी करने वाले अमरनाथ गैंग को इसकी सूचना दी, अमरनाथ पहले तो कुमुद की कहानी सुनकर बहुत हंसा पर बाद में वह उसके पराक्रम को सुनकर थोड़ा गंभीर भी हो गया।

    आधी रात का समय था, सारा गांव सो रहा था, पर जाने क्यूं कुमुद को नींद नहीं आ रही थी। उसके बगल में रहने वाली उसकी सहेली मीना उसके पास आई, और पूछा

“क्या हुआ कुमुद कोई बात है,  क्या तुम अब तक जाग रही हो सोई नहीं”,
कुमुद “न जाने क्यों आज मन बहुत व्याकुल हुए जा रहा है”
दोनों की बातों के बीच जंगल से कुछ आवाजे सुनाई देती है । कुमुद और मीना शांत हो गए,
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काफी देर तक वह शांत रहकर उस आवाज के पुनरावृत्ति का इंतजार करने लगी। थोड़ी ही देर में जंगल की तरफ से फिर वैसे ही आवाज आई। अब तो कुमुद का शक पक्का हो गया, वह तुरंत घर में गई और अपना तीर धनुष एवं अन्य हथियार लेकर बाहर आई और जंगल की तरफ बढ़ गई।

    मीना ने इस रात का वहां जाने से रोकना चाहा और वहां काफी खतरा होने का अन्देशा जताया पर कोई भी डर कुमुद के साहस के आगे भला कहां टिकने वाला था। उसके न मानने पर मीना ने उससे दो मिनट का वक्त मांगा थोड़ी ही देर मैं ग्रुप की सारी सहेलियां हथियारों से सजी वहां आ गई। वक्त जाया किए बगैर सारी सहेलियां वन की तरफ चल पड़ी, जैसे ही अमरनाथ और उसके साथियों को कुमुद ने पेड़ काटते देख वह अभी दूर ही थी। तब तक पेड़ काट रहे एक व्यक्ति पर तीर छोड़ दिया, जिससे वह वही गिर पड़ा इतने में अमरनाथ की गैंग ने उसको देख लिया और उस पर टूट पडे स्त्री होकर भी बड़ी ही साहस और चतुराई से कुमुद उनसे लड़ती रही।अन्ततः  कुमुद और उसके ग्रुप से जान बचाकर अमरनाथ को भागना ही पड़ा।

    लड़ाई के समय जिस तीव्रता के साथ कुमुद पेड़ो पर चढ़ती और उस घने जंगल मे दौड़ती। वह तो देखने ही लाया था।

    उस दिन के कुमुद के पराक्रम को सुनकर सभी वनवासी हैरान रह गए उस दिन से गांव की अन्य महिलाएं भी कुमुद से प्रभावित होकर उसके ग्रुप में जुड़ने लगी। कुछ ही दिनों में उसने तकरीबन डेढ़ सौ माहिलाओं की टीम तैयार कर लिया, अब उसी की तरह युद्ध कौशल में पारंगत हो गई थी।

    धीरे धीरे काफी लंबे चौड़े जंगल में फैले वन माफियाओं में कुमुद का डर पैदा हो गया। अमरनाथ के जैसे सभी गैंग वाले उसके नाम से थर-थर काॅपने लगे। उन्हें हमेशा यही डर सताता कि न जाने कब वहां कुमुद आ धमके उसने अपने प्रयासों से जंगल को पुनः हरा-भरा बना दिया था।




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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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