गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या - शायरी - करन मिश्रा
गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या - शायरी

गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या | शायरी | करन मिश्रा

गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या,
इतना निखरना जरूरी था क्या,
सांसे थम सी गई आज देखा जो तुमको,
इतना सजना सँवरना जरूरी था क्या।

Gulaabon Sa Khilana Jaruri Tha Kya,
Etana Nikharana Jaruri Tha Kya,
Sanse Tham Si Gaee Aaj Dekha Jo Tumko
Etana Sajna Savarana Jaruri Tha Kya.

गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या - शायरी - करन मिश्रा
गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या – शायरी



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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