खाक हो चुके ख्वाहिशों में जरा सी आग बाकी है
खाक हो चुके ख्वाहिशों में जरा सी आग बाकी है शायरी

खाक हो चुके ख्वाहिशों में जरा सी आग बाकी है‌ । करन मिश्रा । शायरी

खाक हो चुके ख्वाहिशों में जरा सी आग बाकी है,
आओ हाथ सेकलो की जरा सी आंच बाकी है।

खाक हो चुके ख्वाहिशों में जरा सी आग बाकी है
खाक हो चुके ख्वाहिशों में जरा सी आग बाकी है शायरी



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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