जिम्मेदार बने लापरवाह नहीं – हिंदी कहानी | Be Responsible Not Careless Motivational Story In Hindi
पिता के जाने के बाद मोनिका ने वो कर दिखाया जिसकी आशा हमारे समाज में केवल बेटों से की जाती है । मोनिका के पिता अपने पीछे उसके दो छोटे-छोटे भाई बहन छोड़ गए । रोजमर्रा की छोटी-छोटी जंग लड़ते-लड़ते ज्ञानेश एक किराए के मकान के सिवाय कुछ भी न छोड़ गए थे । कमाल की बात यह थी कि दूसरों के जाने के बाद उनके बीमा राशि के बदौलत उनके परिवार को नया जीवन दिलवाने वाले ज्ञानेश ने अपने जाने के बाद खुद अपने बच्चों के लिए कोई बीमा नहीं कराया ।
“तुम यह कैसा मजाक कर रही हो मुझसे जाब बदलने को कह रही हो तुम क्या नहीं जानती की मेरी योग्यता क्या है और इस योग्यता के आधार पर मुझे कौन काम देगा”
तब उसकी सहेली ने कहा कि
“मैं तुम्हारी काबिलियत से बखूबी वाकिफ हूं और इसीलिए मैं तुम्हें जॉब बदलने को कह रही हूं तुम्हारी जगह यहां होम ट्यूशन पढ़ाने में नहीं बल्कि कहीं और है जहां पहुंचकर तुम न सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभा सकोगी बल्कि तुम अपने भाई-बहनों के बड़े-बड़े सपनों को भी साकार कर सकोगी”
“अच्छा ऐसा है तो बताओ मुझ में ऐसी कौन सी काबिलियत है जो खुद मैं भी नहीं जानती”
उसकी सहेली ने कहा
मोनिका उसकी बातों को सुनकर थोड़ी उतावली हो गई । उसने उससे पूछा
“अच्छा ठीक है तो सीधे-सीधे बताओ मुझे क्या करना चाहिए”
“तुम्हें कॉलेज के सारे बच्चे जानते हैं कि तुम एक ऐसी खूबसूरत आवाज की मल्लिका हो जिसके दम पर तुम किसी को भी दीवाना बना सकती हो । इस आवाज का अगर तुम सही जगह प्रयोग करो तो तुम्हारी किस्मत निश्चित रूप से चमक सकती है । ऐसी ही एक जॉब के बारे में मुझे आज ही पता चला है जिसमें तुम्हारे जैसी प्यारी आवाज की बहुत ज्यादा मांग है । अगर तुम वह जॉब करो तो तुम्हें निश्चित रूप से एक बड़ी सफलता मिल सकती है । मुझे जैसे ही इस जॉब के बारे में पता चला तो मैं फौरन तुम्हें बताने यहाँ चली आई”
मोनिका उस जॉब के बारे में जानने के लिए अधीर हो गई । उसने कहा
“अच्छा तो बताओ वह कौन सा काम है मै जरुर करना चाहूंगी”
उसकी सहेली ने बताया
मोनिका को उसकी बातें एक सपने से ज्यादा कुछ भी नहीं लगी परंतु उसके सामने एक अच्छा विकल्प उभर कर आया था और जिस को आजमाने में कुछ गलत भी नहीं था ।
वह उन्हें नए कक्षा में दाखिला दिलाने की सोच ही रही थी कि तभी पैसों की इस जद्दोजहद में एक दिन जॉब के दौरान मोनिका के मुख से खून आने लगा । यह देख वहां मौजूद ऑफिस का सारा स्टाफ घबरा गया । उसे फौरन पास के अस्पताल में ले जाया गया । जहां उसकी हालत गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने उसे बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी । बड़े अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने काफी गहराई से उसकी जांच करने के बाद उसे एक बड़े ऑपरेशन की सलाह दी ।
असल में बचपन से ही मोनिका को अक्सर मुहँ में छाले होने की शिकायत रहा करती थी । पहले तो वह इन छालो को लेकर काफी परेशान रहती परंतु पिता के जाने के बाद उसने अपनी जिम्मेदारियों के सामने अपनी तकलीफों का जरा भी ख्याल नहीं रखा ।
यद्यपि डॉक्टर उसकी जान बचाने में कामयाब रहें परंतु इन सबके बीच मोनिका ने अपनी खूबसूरत आवाज खो दी । गले में हुए आपरेशन के दुष्प्रभाव के कारण अब वह बोल नहीं सकती थी ।
Moral Of The Story
परंतु जिम्मेदारियां हम तभी उठा सकते हैं । जब हम जिम्मेदारियां उठाने के काबिल बने रहें एक कहावत तो सुनी होगी
यानी अगर जान रहेगी तभी हम अपनों की जिम्मेदारियों को उठा सकेंगे । वरना सब खत्म हो जाएगा जैसे मोनिका के साथ हुआ ।
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