बचपन से ही सोम का मन संगीत मे रमा था। उसे पढ़ाई लिखाई मैं कोई खास रुचि नहीं थी। वो घर तो घर स्कूल में भी गाने गाया करता। जिससे अक्सर उसे पिता व अध्यापकों से डांट खानी पड़ती।
समय के साथ जब सोम बड़ा हुआ तो उसका दाखिला कॉलेज में हुआ। वहां भी वह संगीत बॉय के नाम से जाना जाता।
हालांकि सोम केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं गाया करता, बल्कि उसे अपनी गायकी पर भी पूरा भरोसा था।
कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद अब चुनौती थी। जॉब पाने की चूंकि सोम का एकेडमिक रिकॉर्ड कुछ खास अच्छा नहीं था। इसलिए उसे कहीं भी अच्छी जॉब नहीं मिल पा रही थी।
कुछ समय बाद पिता की मृत्यु के कारण सोम दुनिया में अकेला रह गया। पैसों की किल्लत सोम को सताने लगी, हालाकि उसने जॉब पाने के सारे प्रयास पहले ही कर चुके थे। ऐसे में सोम ने अपनी कला यानी गायकी में करियर बनाने की सोची मगर ये इतना आसान नहीं था।
क्योंकि सोम छोटे शहर का निवासी था। इसलिए वहां तो इसकी संभावना लगभग शून्य ही थी। परंतु एक तो सोम के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था, और दूसरा सोम को अपनी कला पर पूरा भरोसा था। सोम ने अपनी इकलौती संपत्ति अपने मकान को गिरवी रखा। अपनी कला पर उसके भरोसे ने उसे ये रिश्क लेने की हिम्मत दी, काफी कर्ज लिया और बड़े शहर में गायकी में अपनी किस्मत चमकाने वह चल पड़ा। वहां रहने खाने का इंतजाम करने के बाद वह एक ऑडिशन में भाग लेने पहुंचा।
यद्यपि उसकी गायकी अच्छी थी। मगर ऑडिशन लेने वालों को वो पसंद नहीं आया। उन्होंने सोम की गायकी और उसके वेशभूषा का काफी मजाक बनाया। सोम बाहर चला आया।
सोम को दुख जरूर था। मगर उसे खुद पर यकीन था। वो करीब सैकड़ों ऑडिशन में भाग लिया। मगर कहीं भी उसको सफलता नहीं मिली।
देखते ही देखते उधार लिए सारे पैसे खत्म हो गए। अब सोम “न घर का रहा न घाट का”
गायकी में मुकाम बनाने के लिए जो पहली शर्त थी। वो ये कि इस बड़े शहर में खुद को बनाए रखना। सोम का खुद पर भरोसा परिस्थियो के सामने नहीं डिगा। सोम इस महंगे शहर में गुजारा करने के लिए सभी उपलब्ध विकल्पों पर सोचने लगा। उसे भरोसा था कि वह एक दिन गायकी की दुनिया में जरुर सफल होगा।
अन्ततः उसे एक आर्केस्ट्रा क्लब मे सहायक गायक बनने का मौका मिला। धीरे-धीरे वह वहां बतौर गायक के रुप में अपनी जगह बना कर अपनी आजीविका चलाने में सफल रहा। वह लगातार अपनी गायकी में निखार लाने और ऑडिशन में सफल होने का प्रयास करता रहा।
परिस्थितियों ने करवट बदली सोम का अपनी गायकी पर विश्वास रंग लाया, और उसे एक अडिशन में सिलेक्ट किया गया। देखते ही देखते सोम गायकी में अपना भविष्य बनाने में सफल हुआ।
हमारी कामयाबी सिर्फ और सिर्फ इस बात पर निर्भर करती है। कि हमारा यकीन सच्चा है। दोस्तों जीत पक्की है गर यकीन सच्चा है
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