तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा - शायरी - करन मिश्रा, हिचकी आनी कम हुई है थोड़ा थोड़ा।
तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा - शायरी,

तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा | शायरी | करन मिश्रा

तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा,
मैं भी तुझको भूल गया हूं थोड़ा थोड़ा,
साम को अक्सर आ जाती थी हिचकी मुझको,
हिचकी आनी कम हुई है थोड़ा थोड़ा।

जिस्म को जब कभी छू जाती थीं सर्द हवाएं,
याद तुम्हारी आ जाती थी थोड़ा थोड़ा।
रूठे जो तुम रूठ गया है बसंत का मौसम,
सर्द हवा भी गर्म लगे अब थोड़ा थोड़ा।

Tum Bhi Mujhko Bhul Gae Ho Thoda Thoda,
Mai Bhi Tujhko Bhul Gaya Hun Thoda Thoda.
Sam Ko Aksar Aa Jati Thi Hichaki Mujhko,
Hichaki Aani Kam Hue Hai Thoda Thoda.

Jism Ko Jab Kabhi Chhu Jati Thin Sard Hawae,
Yaad Tumhari Aa Jati Thi Thoda Thoda.
Ruthe Jo Tum Ruth Gaya Hai Basant Ka Mausam,
Sard Hawa Bhi Garm Lage Ab Thoda Thoda.

तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा - शायरी - करन मिश्रा, हिचकी आनी कम हुई है थोड़ा थोड़ा।
तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा – शायरी,




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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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