Motivational Story on Two Brothers And Their Sister Hindi
मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले जय सिंह के दो बेटे और एक बेटी थी । जिनमें दोनों बेटों की शादी वो पहले ही निपटा चुके थे और इसप्रकार उन्हे अब केवल अपनी एक मात्र बेटी की ही जिम्मेदारी निभानी बाकी रह गई थी । जहां एकतरफ उनका बड़ा बेटा गांव में रहकर खेती-बाड़ी का काम सम्भालता वहीं उनका छोटा बेटा शहर के मल्टीनेशनल कम्पनी मे जॉब किया करता था ।
वक्त गुजरने के साथ बूढ़े हो चुके जय सिंह और उनकी पत्नी परलोक सिधार जाते हैं । हालांकि दुनिया को अलविदा कहने से पहले जयसिंह ने लगभग सारी जिम्मेदारियां पूरी कर ली परंतु उनकी एकमात्र बेटी राधिका अभी भी कुंवारी है जो अब अपने बड़े भाई व उसकी पत्नी के साथ रहने के लिए मजबूर है, मजबूर इसलिए क्योंकि माता-पिता की जीते जी उसकी कभी अपनी भाई-भौजाई से नहीं पटी परंतु अब तो ना चाहते हुए भी राधिका को उनके साथ ही रहना होगा ।
वैसे राधिका ने कई बार अपने बड़े भाई-भौजाई की शिकायत छोटे भाई अर्जुन से की जिसे लेकर दोनों भाइयों में काफी विवाद भी चला परंतु महानगर के एक कमरे के छोटे से मकान में राधिका को भी साथ रखना संभव नहीं था इसलिए मजबूर अर्जुन ने दांतो तले उंगली दबाकर सही वक्त का इंतजार करता रहा ।
परंतु अकस्मात एकदिन अर्जुन की कंपनी बंद हो जाने से उसे गांव वापस आना पड़ता है । गांव आने पर कुछ दिन तक तो अर्जुन और उसकी पत्नी को राधिका ने सर माथे पर बिठा कर रखा परंतु इंसान की फितरत भला कहां बदलने वाली है, अर्जुन और उसकी पत्नी को यहां आए एक महीने भी नही हुए होंगे कि राधिका उनसे भी बात-बात पर झगड़ने लगी ।
हालांकि कई बार अपनी छोटी बहन राधिका का मन रखते-रखते दोनों भाई अपनी पत्नियों से ही झगड़ बैठते परंतु राधिका कहां इन सब बातों को समझने वाली थी । वह अपने गुरूर में रोज पैंतरे बदलती और इस प्रकार कभी वह अपने बड़े भाई के साथ रहने चली जाती तो कभी छोटे भाई की तरफ रुख करती।
धीरे-धीरे बात इतनी बढ़ गई कि एक दिन अर्जुन ने राधिका को लेकर अपनी पत्नी पर हाथ तक उठा दिया किन्तु गुस्सा शांत होने पर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और तब उसने सदा के लिए राधिका से दूरी बना ली ।
परिणामस्वरूप अब ना चाहते हुए भी राधिका को अपने बड़े भाई के साथ ही रहना था परंतु वो भी कब तक उसे बर्दाश्त करते । अखिरकार आनन-फानन में एक अच्छा रिश्ता देखकर दोनों भाइयों ने उसका विवाह कर दिया ।
दो भाइयों की कहानी से शिक्षा
दोस्तों अक्सर हम दूर-दूर रहकर लोगों को ठीक से नहीं समझ पाते परंतु उन्ही लोगो के साथ जब हम थोड़ा टाइम स्पेंड कर लेते हैं तब उनका असली चेहरा हमारे सामने होता है इसीलिए दूर से ही जानकर किसी के विषय में अच्छी या बुरी राय बनाना उचित नहीं है क्योंकि यह बहुत पुरानी कहावत है दूर के ढोल सुहावने अर्थात दूर से दिखने वाला व्यक्ति या वस्तु हमें बहुत अच्छी लग सकती है परंतु जब हम उसके नजदीक जाते हैं तो हमें उसके यथार्थ का पता चलता है इसीलिए जब तक किसी व्यक्ति को ठीक से न जान ले तब तक उसके विषय में कोई निजी राय कायम ना करें !