All Information About The Symptoms Causes Treatment Of Conjunctivitis
कंजक्टिवाइटिस पिंक आई, आई फ्लू अथवा आंख आना क्या है ? कंजक्टिवाइटिस पिंक आई, आई फ्लू अथवा आंख आने का ये रोग कैसे होता है ? कंजक्टिवाइटिस पिंक आई, आई फ्लू अथवा आंख आने के लक्षण क्या है ? कंजक्टिवाइटिस पिंक आई, आई फ्लू अथवा आंख आने के कारण क्या है ? कंजक्टिवाइटिस पिंक आई, आई फ्लू अथवा आंख आने से बचाव के उपाय क्या हैं ? कंजक्टिवाइटिस पिंक आई, आई फ्लू अथवा आंख आने पर क्या करें और क्या न करें ? कंजक्टिवाइटिस पिंक आई, आई फ्लू अथवा आंख आने के रोकथाम के उपाय क्या हैं ? Complete information and articles about the symptoms, causes, treatment, prevention of conjunctivitis in hindi.
इन सभी सवालों का जवाब विस्तारपूर्वक यहां देंगे जानेंगे
दोस्तों गर्मियों के सीजन के बाद आता है । बारिश का मौसम वैसे तो इस रोग से कोई कभी भी ग्रस्त हो सकता है परंतु आम तौर पर ज्यादातर यह रोग बरसात के मौसम में फैलता है । यह रोग किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है परंतु बच्चों को यह रोग ज्यादा होता है । इस रोग की एक खास बात यह है कि यह केवल मनुष्य को होता है परंतु जानवरों में कुत्ते इसके अपवाद हैं । जिसमें आंखें लाल होने लगती हैं ।
जिसे कंजक्टिवाइटिस पिंक आई, आई फ्लू कहते हैं । वैसे आम भाषा में इसे आंख आना कहते हैं । हमारे आंखों का सफेद भाग होता है । वह कभी-कभी हल्का गुलाबी या लाल हो जाता है ।
जिसके कारण हमें ऐसा महसूस होता है जैसे हमारी आंखों में धूल या कुछ चला गया हो । ऐसे में आंखों को ध्यान से देखने पर उसमें ऐसा कुछ नजर नहीं आता ।
यहां तक की उसको बार बार धुलने पर भी आंखों की दिक्कत नहीं जाती । कुछ देर बाद आंखों से पानी गिरने लगता है । तेज रोशनी में देखने में काफी दिक्कत महसूस होने लगती है । इसकी वजह संक्रमण का होना है । जिसके कारण आंखों का सफेद भाग लाल हो जाता है ।
कंजक्टिवाइटिस कैसे होता है
आंखों का पूरा सफेद भाग एक पारदर्शी झिल्ली से ढका रहता है । इस झिल्ली को कजंक्टिवा कहते हैं । कभी कभी यह संक्रमित हो जाता है और उसमें सूजन भी आ जाती है । जिसके कारण आंखों का सफेद भाग हल्का लाल दिखने लगता है ।
कंजक्टिवाइटिस होने के कारण
1- वायरस के द्वारा
अधिकांशत ये वायरस के संक्रमण के कारण हो सकता है । जोकि चार-पांच दिन बाद अक्सर स्वयं ठीक हो जाता है ।
2- बैक्टीरिया के द्वारा
जब कोई बैक्टीरिया झिल्ली के संपर्क मैं आ जाता है । तो संक्रमण होने का खतरा रहता है । इस अवस्था में आंखों से अक्सर पीला पीला द्रव निकलता है । इस प्रकार के संक्रमण में आंखों में दर्द महसूस हो सकता है साथ ही देर तक आंखे बंद रखने पर जैसे नींद के बाद उठने पर आंखों की पलकें कभी-कभी चिपक सी जाती हैं
3- चोट लगने से
चोट लगने के कारण भी इस रोग का प्रसार होता है ।
4- एलर्जी के कारण
एलर्जी के कारण भी इस प्रकार के संक्रमण की आशंका होती है ।
5- चर्म रोग के कारण
चर्म रोग भी इसका कारण हो सकता है ।
कंजक्टिवाइटिस रोग के लक्षण
कंजक्टिवाइटिस को लक्षणों द्वारा पहचानना बहुत ही आसान है । इसके प्रमुख लक्षण निम्न है :-
1- आंखों का लाल होना
आंखों का लाल होना इस रोग का सबसे प्रमुख लक्षण है । सामान्यतः आंखें लाल होने पर सबसे पहले इसी रोग की तरफ संकेत जाता है । जिसमें आंखों की पुतली के चारों ओर का सफेद भाग लाल हो जाता है । यह लालापन पहले तो आंखों में बहुत कम होता है । पर दूसरे दिन से या कुछ समय बाद स्पष्ट होने लगता है और कभी कभी अत्यधिक बढ़ने लगता है ।
2- आंखों में जलन महसूस होना
आंखों में जलन महसूस होना भी इस रोग का एक लक्षण है हालांकि यह सभी रोगियों में अलग-अलग हो सकता है ।
3- आंखों से अत्यधिक पानी का गिरना
आंखें लाल होने की तरह ही आंखों से पानी आना इसका प्रमुख लक्षण है । कभी कभी आंखो से इतना ज्यादा पानी आने लगता है कि रोगी को अपने सामान्य कार्यों को करने में भी काफी असुविधा का अनुभव होता है । वह बार-बार आंखें पोछता नजर आता है । जिसके कारण उसके आंखों में दर्द भी होने लगता है ।
4- तेज रोशनी में देखने में परेशानी
संक्रमित व्यक्ति को तेज रोशनी में देखने में काफी दिक्कत महसूस होने लगती है । अक्सर तेज रोशनी में जाने पर आंखों से पानी का गिरना काफी तेज हो जाता है । जिसके कारण उसे आंखें पूरी तरह खोलने में भी काफी दिक्कत महसूस होने लगती है ।
5- आंखों में चुभन
कभी-कभी इस रोग के शुरुआत में आंखों में चुभन या गड़ने जैसा कुछ महसूस होता है । संक्रमित व्यक्ति को लगता है कि उसकी आंखों में धूल का कोई छोटा कण जैसा कुछ चला गया है ।
6- आंखों में खुजली होना
इस रोग से ग्रस्त रोगी को आंखों में खुजली महसूस हो सकती है । कभी-कभी ज्यादा खुजली होने और रोगी द्वारा उसे बार-बार खुजलाने पर वह आंखों में पीड़ा का भी अनुभव करता है ।
7- एक आंख से दूसरी आंख में प्रसार
ये रोग प्रायः एक आंख से शुरू होकर दूसरी आंखों में भी पहुंच जाता है ।
कंजक्टिवाइटिस रोग कैसे फैलता है
1- हाथ के द्वारा
संक्रमित आंखों को हाथ से छूने और फिर उनसे दूसरो को छूने के कारण इस रोग का प्रसार होता है ।
2- कपड़ों के इस्तेमाल से
संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों का इस्तेमाल जब दूसरे सामान्य लोग करते हैं तो भी इस रोग का प्रसार हो सकता है ।
3- झीकने से
झीकना भी इस रोग को फैलाने में बहुत हद तक सहायक है ।
कंजक्टिवाइटिस में क्या करें
1- हाथों को हमेशा साफ सुथरा रखें ।
2- रोगी के कपड़ों को तथा बिस्तर को बदलते रहें ।
3- हाथों से आंखों को न छूकर, रुमाल का इस्तेमाल करें और उपयोग मे लाए रूमाल को रोज बदलते रहें ।
4- आंखों में पानी या कुछ भी आने पर उसे पूछते रहें ।
5- बाहर काले चश्मे का प्रयोग करें ताकि तेज रोशनी से असुविधा थोड़ी कम हो ।
कंजक्टिवाइटिस में क्या ना करें
1- संक्रमित व्यक्ति अपने हाथों से दूसरों को न छुए ।
2- संक्रमित व्यक्ति के रुमाल का उपयोग दूसरे लोग न करें ।
3- बाहर कम से कम जाए ।
4- कांटेक्ट लेंस के प्रयोग से बचें ।
कंजक्टिवाइटिस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
1- आम तौर पर इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को वैसे तो रोग के प्रसार की साथ काफी परेशानी होती है । वह आंखों के द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यों को करने में स्वयं को असमर्थ पाता है परंतु कुछ दिनों बाद रोग के लक्षण स्वयं कम होने लगते हैं और चार-पांच दिनों में यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है ।
2- कुछ लोग ऐसा समझते हैं कि इस रोग के कारण दृष्टि की हानि हो सकती है परंतु ऐसा नहीं है ।
रोग बढ़ने पर क्या करें
वैसे तो यह रोग खुद-ब-खुद ठीक हो जाने वाले रोगों में से एक हैं परंतु यदि फिर भी किसी कारणवश यह ठीक न हो रहा हो अथवा लक्षण काफी बड़ा रूप ले रहे हों तो आप चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें ।
परामर्श लेने के बाद क्या करें
1-दवा लेते समय उसे कैसे इस्तेमाल करना है इसे भली-भांति समझ ले । दवा समझने मे जल्दबाजी ना करें
2- घर आकर सबसे पहले हाथों और आंखों को ठीक से साफ करके और उन्हें साफ तौलिए से पोछकर सुखाने के बाद डॉक्टर द्वारा बताए गए तरीके से आई ड्रॉप आंखों में डालें ।
3- याद रहे ड्राप को सुई से न छेदे क्योंकि सुई संक्रमित भी हो सकती है । जिसके कारण आपकी आंखें दूसरों रोगो से भी ग्रस्त हो सकती हैं । इसलिए ड्रॉप में छेद करने के लिए ड्रॉप कैप को थोड़ा जोर से कसे । अब खोलकर देखे ड्रॉप में छेद हो चुका होगा ।
4- कुछ लोग चेयर पर बैठे बैठे ही आंखों में आई ड्रॉप डाल लेने के एक्सपर्ट होते हैं परंतु आप को इस प्रकार का एक्सपोर्ट बनने की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि आपकी आंखें अनमोल है और बार-बार नहीं मिलती । ऐसे में आप बिस्तर पर लेट कर आंखों में दवा डालें ।
5- आंखों में दवा डालने के बाद गर्दन और आंखों को घुमा-घुमाकर आंखों के हर कोने में आपको दवा पहुंचाने की कोई आवश्यकता नहीं ये कार्य आंखें स्वयं कर लेंगी । अतः आंखों में दवा की बूंद गिरते ही तुरंत उन्हें बंद कर ले ।
6- आंखों में ड्रॉप डालने के बाद 5 मिनट तक आंखों को बंद ही रहने दें ।
7- आंखों में दो प्रकार की दवा डालने में 5 मिनट का गैप रखें ।
8- ड्रॉप डालने के बाद बाहर फैले आंसू को पोछ ले ।
9- अगर डॉक्टर ने खाने की दवा लिखी है तो खाने वाली दो दवाओं के बीच में 5 मिनट का गैप रखें ।
10- अगर कोई मलहम डॉक्टर ने लिखा है । तो उसे सुई से न छे दे बल्कि ढक्कन को और टाइट करें । फिर खोले ट्यूब में छेद हो गया होगा । मलहम को हाथ से न छुए बल्कि ट्यूब को हल्का सा दबाए । जिससे ट्यूब में मलहम थोड़ा बाहर आ जाएगा । फिर ट्यूब को हाथों में पकडे पकडे मलहम को आंखों में लगाए ।
आंखों से संबंधित एक विशेष जांच जो आप खुद कर सकते हैं और आपको करना भी चाहिए आपकी आंखें ठीक है या नहीं आंखो की नस बंद तो नहीं है
इसके लिए आंखों में आई ड्रॉप डालते समय कृपया ध्यान दें कि कहीं आई ड्रॉप डालने के बाद आपके मुंह का टेस्ट तो नहीं बदल रहा है यानी कहीं दवा का कुछ अंश आपके आंखों से मुख में तो नहीं चली जा रही है । अगर ऐसा है तो यह कोई घबराने वाली बात नहीं बल्कि यह बहुत अच्छी बात है इससे पता चलता है कि आप की आंखों की नस ब्लॉक नहीं है परन्तु अगर ऐसा नहीं है तो आपको अपने आंखों के डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह असामान्य है !!
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