एक गांव मे मुंगेरीलाल नाम का एक किसान रहा करता था । किसान बहुत गरीब था। किसान भूमिहीन था। जो कि उसकी निर्धनता की सबसे बड़ी वजह थी। किसान बहुत मेहनती था। दूसरों के खेतों में बहुत पसीना बहाने पर भी बहुत कम पैसे मिलते थे। किसान अपने पास भूमि न होने के लिए ईश्वर को रोज कोसता ।
आखिरकार एक दिन ईश्वर ने किसान की सुन ही ली। गांव में नगाड़े के साथ राजा ने भूमिहीन किसानों को भूमि देने का एलान करवाया। यह बात सुनकर किसान बहुत खुश हुआ। वह दूसरे के खेतों में मेहनत कर करके थक चुका था। क्योंकि इसमें उसको बहुत कम पैसा मिलता था। अगले दिन राजा के दरबार में वह जा पहुंचा, वहां ऐसे बहुत से लोग थे। जिनके पास भूमि नहीं थी।
वह सब एक-एक करके राजा के पास जाते, और अपनी फरियाद कहते राजा उनकी बातें सुनता, और उनकी जरूरतों के हिसाब से उनको भूमि देता। थोड़ी ही देर में किसान की भी बारी आई। वह दौड़े-दौड़े राजा के पास पहुंच कर राजा को अपनी व्यथा सुनाई। राजा को उसकी हालत पर बहुत अफसोस हुआ।
उसने फौरन अपने मंत्री से उसे कुछ भूमि देने को कहा भूमि पाकर वह बहुत खुश हुआ। लौटकर वह अपनी नई जिंदगी के बारे में पूरी रात सोचता रहा। अगले ही दिन वह राजा से मिली भूमि में पसीना बहाने निकल पड़ा। उसने पूरा दिन खेतों में पसीना बहाया। अब वह थोड़ी ही सही अपनी भूमि का मालिक था।
वह अपनी मनमर्जी और आवश्यकताओं के हिसाब से उसमें अनाज उगा सकता था। अब इंतजार था, तो एक अच्छी सी बारिश का वो कहते हैं न
“ऊपर वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़ के”
उसकी उम्मीदों के मुताबिक खूब बारिश हुई। बारिश का फायदा उठाकर किसान ने उसमें अनाज बो दिया। कई दिनों की उसकी मेहनत रंग लाई। उसके खेतों में काफी अच्छी फसल उग आई। सब ने उसकी मेहनत की सराहना की उसने और देर न करते हुए। एक साहूकार से थोड़े पैसे लेकर अपने टूटे मकान की मरम्मत कराने कि सोची।
उसने साहूकार से जब धन मांगा तो साहूकार ने कहा
“मैं तुम्हें पैसे तो दे दूं पर तुम मुझे ये बताओ कि तुम ये पैसे लौटाओगे कैसे”
उसने हंसकर साहूकार से कहा
“तुम चाहो तो किसी से पूछ लो या खुद जाकर खेतों में लहलहाती फसल देख आओ तुम्हें खुद अपने सवालों का जवाब मिल जाएगा”
साहूकार को आत्मविश्वास से भरा उसका जवाब समझ में आ गया। उसने फौरन उसे पैसे उधार दे दिए ।बरसात के पानी से चलनी बने घर को किसान ने साहूकार से मिले धन की बदौलत ठीक कराया। इतना ही नही उसने दूसरे साहूकारों से पैसे उधार लेकर खाने पीने एवं अन्य जरूर व गैर जरूरी ढेरों वस्तुवे खरीद लाया । अब उसके पास खाने पीने व ऐशो-आराम के सभी साधन मौजूद थे ।
देखते ही देखते फसलों में काफी अच्छी धान की बालियां लग गई। मानो वे उसके अच्छे दिन आने का एलान कर रहे हो। किसान उन्हें देखकर फूले नही समा रहा था ।
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कुछ ही दिनों में फसल तैयार हो गई। किसान ने देर न करते हुए फसल को पूरी लगन से काटने में जुट गया। उसने अकेले ही सारी फसल काट डाला और उन्हे घर के पास बने खलियान में रख दिया।
इतने परिश्रम के बाद लौटा मुंगेरी सोने की बजाय पूरी रात जिंदगी के नए-नए सपने सजोता रहा। आधी रात हो चुकी थी। पर किसान अभी तक नहीं सोया था। खाट पर लेटे-लेटे तकिए पर सर रखे, वह आसमान में टिमटिमाते तारों को निहार रहा था। उसके चेहरे पर खुशियों भरी मुस्कान थी। हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें. It’s Free !
थोड़ी ही देर में न जाने कहा से अचानक काले-काले बादल उमड़ आए । उन बादलों मे टिमटिमाते तारे कहीं गुम हो गए। उसे देखकर किसान घबराया। वो खाट पर उठ कर बैठ गया। थोड़ी ही देर में बिजली चमकने लगी। उनकी जोर-जोर से कड़कड़ाहट की आवाज से मुंगेरी का दिल बैठ गया।
उसके ख्वाब को काले-काले बादलों ने घेर लिया। वह खाट छोड़कर खलिहान की ओर भागा, उसने ईश्वर से हाथ जोड़कर बारिश न होने की बहुत प्रार्थना की।
मगर ईश्वर को तो शायद कुछ और ही मंजूर था। कुछ ही देर में बहुत जोर जोर की बारिश शुरू हो गई। वह भगे-भगे फसलों को अपने सर पर लादे बंडलों को ढो-ढो कर अपने घर मे ले जाने लगा। मगर एक कमरे के छोटे से मकान में ज्यादा बंडल नहीं समा सके थे।
बारिश बहुत तेज थी। ऐसे में वह कभी भागकर अपने खाट से भीगते फसलों को ढकता, कभी अपनी चादर उन पर डालता, तो कभी ठहरकर भगवान के हाथ जोड़ता, रात से सुबह हो गई, परन्तु बारिश नहीं रुकी। और देखते ही देखते सारी फसल भीग गई।
वहां चारों तरफ की भूमि पानी से लबालब हो गयी। किसान अपने पैरो मे सर गाड़े वही बैठ गया। इस जोरदार बारिश ने उसके सारे अरमानों पर पानी फेर दिया था।
कई दिनों तक बारिश कमोबेश होती रही। कर्ज से लदे किसान के चेहरे की हवाईयां उड़ने लगी थी । वह बिल्कुल खामोश था। कई दिनों की बारिश की मारने उन फसलों को सड़ा कर रख दिया। अब उनका कोई मूल्य नहीं था।
जब साहूकारों को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने आदमियों को किसान के पास भेजा। मगर उसके पास साहूकार का कर्ज लौटाने के लिए अब कुछ भी नहीं था। उसने उन सभी को अपने साथ हुए हादसे के बारे मे जानकारी दी, परन्तु उसकी बात कोई भी सुनने को तैयार न था।
सभी को अपना पैसा वापस चाहिए था। कोई रास्ता न दिखने पर किसान ने अपनी जमीन साहूकारों में बांट दी। जमीन देकर उसने अपना सिर दर्द तो कम कर लिया। पर उसने एकबार फिर खुद को भूमिहीन पाया।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
चादर जितनी लंबी हो हमें पांव भी उतना ही फैलाना चाहिए भविष्य मे मिलने वाली सफलताओं पर भरोसा करके कोई भी कदम उठाना हमें मुश्किल में डाल सकता है !
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