रामायण से सीखें 10 अच्छी बातें जो बदल देगी आपकी जिंदगी

रामायण से सीखें 10 अच्छी बातें- विनम्रता, आत्मनिर्भरता, अपनी शक्तियों का ज्ञान, धैर्य, सकारात्मकता, सुसंगत, दृढ निश्चयी, आत्मविश्वास, निर्भीकता और क्षमा

10 अच्छी बातें जो हम सीख सकते हैं रामायण  से

हिंदू धर्म की पवित्र धार्मिक पुस्तक रामायण जो लगभग हर किसी के घर में जरूर होगी परंतु क्या आप जानते हैं कि रामायण में ऐसे बहुत से ज्ञान के भंडार भरे हैं जिसको यदि हम अपने जीवन में उतार सके तो हम अपने जीवन को ही बदल कर रख देंगे । रामायण की 10 अच्छी बातें जो हमें जीवन की हर परेशानियों से बाहर निकालने में सहायक सिद्ध होगी तो आइए जानते हैं पवित्र रामायण की  ऐसी 10 अच्छी बातों को । Learn 10 good things from Ramayana in Hindi

1) विनम्रता:

दोस्तों माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए जब प्रभु राम अपनी वानर सेना के साथ लंका की ओर प्रस्थान कर रहे थे तब मार्ग में उन्हें अवरोध स्वरूप एक समुद्र मिला जिसे पार करके ही लंका की धरती पर पहुंचा जा सकता था । यद्यपि राम में इतनी शक्ति थी कि वह अपने बाणो से पूरे समुद्र को सुखा सकते थे परंतु इतना सामर्थ्यवान होने के बावजूद उन्होंने समुद्र देव को मनाने के लिए पूरे 3 दिनों तक समुद्र तट पर भूखे प्यासे रहकर तपस्या की ।
दोस्तो विनम्रता का ऐसा सुंदर उदाहरण और कहीं नहीं मिल सकता । जहां सीता को ढूंढते हुए प्रभु राम को कई महीने बीत चुके हो ऐसी स्थिति मे उनके स्थान का पता लगने पर राम के मन में सीता के पास पहुंचने की कितना व्याकुलता रही होगी यह समझा जा सकता है परंतु फिर भी उन्होंने समुद्र का मान रखते हुए उसे मनाने के लिए वे 3 दिनों तक वही तपस्या करते रहे जबकि यदि वे चाहते तो अपनी शक्ति व सामर्थ्य के बल पर समुद्री का नाश कर, एक ही पल में लंका जाने का रास्ता बना सकते थे परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया
दोस्तों आप चाहे जितना भी सामर्थ्यवान और शक्तिशाली क्यों ना हो परंतु विनम्रता का भाव हमेशा बनाए रखें जो कार्य विनम्रता से हो जाए उसके लिए शक्ति का प्रयोग करना उचित नहीं है ।

2) आत्मनिर्भरता:

जब रावण, माता सीता का हरण कर, उन्हें लंका ले गया तब प्रभु राम जो स्वयं राजा जनक के दामाद और अयोध्या के प्रभारी महाराज भरत के भाई थे, उन्होंने किसी से युद्ध में उनका साथ देने, सेना भेजने अथवा किसी भी प्रकार की मदद नहीं मांगी, ना ही किसी से अपना दुखड़ा गाया बल्कि अपने शक्ति और सामर्थ्य के बल पर ही रावण से दो-दो हाथ करने का निश्चय किया इसप्रकार प्रभु राम ने अपने पुरूषार्थ के बल पर अपनी शक्तियों को बढ़ाया जिसके फलस्वरूप वे रावणी सेना के समानांतर एक विशाल सेना तैयार करने सफल रहें जिससे फलस्वरूप उन्होंने रावण पर विजय पाई ।

3) अपनी शक्तियों का ज्ञान:

माता सीता की खोज में जब वानरों के साथ हनुमान जी, समुद्र तट पर पहुंचे तब अंगद व जामवंत ने  हनुमान जी से समुद्र पार कर, लंका जाने एवं माता सीता का पता लगाने का अनुरोध किया किन्तु इतने बड़े समुद्र को पार कैसे किया जाए यह वाकई बड़ा गंभीर सवाल था परंतु इसका जबाब हनुमान जी को नहीं सूझ रहा था ।

तब अंगद और जामवंत ने प्रभु हनुमान को उनकी शक्तियां याद दिलाते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपने बाल्यकाल में सूर्य के पास पहुंचकर उन्हें पूरा का पूरा निगल लिया था । उन्होंने यह भी बताया कि हनुमान यदि चाह ले तो इस विशाल समुद्र को भी अपने एक ही छलांग में लांघ सकते हैं । इस प्रकार उनके याद दिलाने पर हनुमान जी को अपनी भुली हुई शक्तियां याद आयी जिसके उपरांत उन्होंने उस विशाल समुद्र को पार कर लंका पहुंचे और सीता माता का पता लगाया ।

दोस्तों आप में भी ऐसी ही अपार ऊर्जा एवं शक्ति विराजमान है जरूरत है तो बस उन्हें पहचानने की जिसके बल पर आप विश्व में अपने पराक्रम का पताका लहरा सकते हैं इसलिए अपनी क्षमताओं को कम आंकने की बजाए उन्हें जानने की कोशिश करें और अपने सपनों को साकार बनाएं ‌।

4) धैर्य:

सीता की खोज में निकले राम ने जब सुग्रीव से मित्रता की तब बरसात का समय आरंभ हो गया था ऐसी स्थिति में बरसात बीतने का इंतजार करना आवश्यक था अन्यथा बड़ी हानी हो सकती थी किन्तु यह इंतजार कोई एक-दो दिन का नहीं बल्कि पूरे चार महीने का था परंतु धैर्य का परिचय देते प्रभु राम ने पूरे चार माह इंतजार किया ।

अब जरा कल्पना करिए कि जिसके प्राणों से प्रिय उसकी पत्नी किसी राछस के चंगुल में फंसी हों ऐसी स्थिति में वो भला चार महीने तक हाथ पर हाथ धरे कैसे बैठे रह सकता है ।

इसप्रकार प्रभु राम की सफलता में उनका धैर्य एक बड़ी वजह रही इसीलिए मित्रों सफलता के लिए धैर्य का होना बहुत जरूरी है । आपने स्वयं के लिए जो गोल निर्धारित किया है उसको प्राप्त करने के लिए अनन्त धैर्य बनाए रखिए ।

5) सकारात्मकता:

रावण एक बहु प्रतापी राजा था उसे ब्रह्मा का वरदान एवं भगवान शिव की शक्तियां प्राप्त थी । उससे ना सिर्फ मनुष्य बल्कि देवता भी कांपते थे परंतु ऐसे महाबली से दो-दो हाथ करते हुए प्रभु श्रीराम ने नकारात्मक विचारो को कभी अपने निकट भटकने नही दिया । उन्होंने सीता को वापस पाने के पूर्ण विश्वास के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहे जिसके फलस्वरूप उन्हें पहले सुग्रीव फिर हनुमान और फिर विभीषण जैसे धुरंधरों का साथ प्राप्त हुआ और इसप्रकार वे अपना गोल अचीव करने में सफल रहे ।

दोस्तों लक्ष्य कितना भी कठिन क्यों ना हो परंतु यदि हम पॉजिटिव एटीट्यूड के साथ आगे बढ़ते हैं तो ये पूरी कायनात हमारी मदद करती है और इस प्रकार हम अपना लक्ष्य हासिल करने में सफलता हो सकते हैं ।

6) क्षमा:

दोस्तों क्षमा मनुष्य का सबसे बड़ा गुण होता है क्योंकि क्रोध से ना सिर्फ दूसरों का बल्कि स्वयं का भी विनाश हो जाता है । रामायण में प्रभु राम ने पत्नी सीता का हरण करने वाले रावण को अनेकानेक बार क्षमा करने की सोची । युद्ध के ठीक पहले उन्होंने बाली के बेटे व किष्किंधा के भावी राजकुमार अंगद के द्वारा लंका नरेश रावण के पास संधि का प्रस्ताव भेजा जिसके तहत यदि रावण सीता को मुक्त कर दे तो वे उसे क्षमा कर देंगे ।

हाँलाकि राम के भाई लक्ष्मण, रावण को क्षमा करने के पक्ष में नहीं थे क्योंकि रावण ने, न सिर्फ सीता का हरण किया था बल्कि उसने जटायु का भी वध किया था और इतना ही नही उसने प्रभु हनुमान की पूंछ में आग भी लगवाई थी परंतु इतना सब होने के बाद भी प्रभु श्री राम, रावण को क्षमादान देने के पक्षधर थे क्योंकि दोस्तों क्षमा, व्यक्ति का वो गुण होता है जो उसे महान बनाता है वहीं प्रतिशोध की आग उसे गर्त में ले जाती है इसीलिए जहां तक हो सके हमेशा दूसरो को क्षमा करने की ही सोचे क्योंकि यह आपकी कायरता नहीं बल्कि आपकी महानता का कहलाएगी ।

7) सुसंगत:

दोस्तों सुग्रीव का भाई बाली सुग्रीव से भी अधिक शक्तिशाली एवं किष्किंधा नरेश था । उसे ऐसी वरदान प्राप्त था कि जो कोई भी युद्ध की इच्छा से उसके सामने आता, उसका आधा बल, बाली को स्वयं प्राप्त हो जाता । बाली की क्षमताओं आकलन आप इस बात से लगा सकते हैं कि उसने स्वयं एक बार रावण को भी अपनी पूंछ में लपेटकर बहुत दिनों तक घुमाया था ।

यदि राम चाहते तो सुग्रीव की बजाए बाली से दोस्ती कर रावण पर आसानी से विजय प्राप्त कर सकते थे । मरने से पहले बाली ने भी स्वयं प्रभु राम से यही बात कही परंतु राम ने बाली की शक्तियों का मोह न करके सुग्रीव की सहायता ली क्योंकि बाली भी रावण की तरह ही दुराचारी था । उसने अपने ही छोटे भाई सुग्रीव की पत्नी को अपने पास रख लिया था और सुग्रीव के प्राणों का प्यासा बन बैठा था इस प्रकार बाली और रावण में कोई फर्क नहीं था । 

ऐसी स्थिति में यदि राम बाली की सहायता लेकर रावण से युद्ध करते तो वे  कभी भी पुरुषोत्तम नहीं कहलाते इतना ही नहीं बाली के कुसंगत में रहकर उनमें भी उन्हीं अवगुणों का समावेश हो जाता जो बाली में था इसीलिए दोस्तों सफल होने के लिए कोई भी रास्ता इख्तियार कर लेना या किसी को भी दोस्त बना लेना उचित नहीं । यहां बहुत से ऐसे लोग आपको देखने को मिल जाएंगे जो अपने लाभ के लिए दुष्टों की भी जय जयकार लगाने से पीछे नहीं हटते ।

8) दृढ़ निश्चय:

चाहे पिता के वचनों का मान रखने की बात हो या रावण से सीता को मुक्त कराने का लक्ष्य, राम कभी अपने इरादों से नही भटके । यद्यपि उन्हें मार्ग में अनेकानेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परंतु फिर भी वे कभी विचलित नहीं हुए । दोस्तों इसी प्रकार हमें भी दृढ़ निश्चयी होना चाहिए जो एक बार ठान लिया उसके पूरा होने तक पीछे पलट कर नही देखना होगा क्योंकि पीछे पलट-पलट कर देखने वाले कभी इतिहास नहीं रचा करते ।

9) आत्मविश्वास से परिपूर्ण:

चाहे वह सीता स्वयंवर मे शिव धनुष तोड़ने की बात हो या चाहे रावण वध का लक्ष्य, किसी भी समय प्रभु राम के पांव नहीं डगमगाए । उन्हें खुद की शक्तियों एवं सामर्थ्य पर पूर्ण विश्वास था और यह विश्वास ही उन्हें बार-बार सफलता दिलाने में मददगार साबित हुआ इसी प्रकार हमें भी खुद पर विश्वास रखना होगा यह आत्मविश्वास ही हमें जीवन में सफलता दिला सकता है ।

10) निर्भीकता:

जिसने कभी छोटा-मोटा युद्ध भी नही लड़ा हो उसे अचानक रावण जैसे बहुप्रतापी राजा से लोहा लेना पड़े यह वाकई बड़ी अचरज की बात है परंतु रावण से युद्ध के समय शायद ही कभी राम के पैर डगमगाए होंगे । राम ने कभी भी रावण की शक्तियों के सामने खुद को भयभीत नहीं पाया जिसके फलस्वरूप उन्हें सफलता प्राप्त हुई ‌।

दोस्तों यही निर्भीकता का गुण हमारे अंदर भी होना चाहिए । किसी भी व्यक्ति में निर्भीकता के गुणों का होना उसके व्यक्तित्व को निखारने के लिए बेहद आवश्यक है । निर्भीक होकर ही हम अपने गोल के लिए सतत प्रयास कर सकते हैं ।

आखिरी शब्द:

तो दोस्तों इस प्रकार हमने रामायण कि ये 10 अच्छी बातें – विनम्रता, आत्मनिर्भरता, अपनी शक्तियों का ज्ञान, धैर्य, सकारात्मकता, सुसंगत, दृढ निश्चयी, आत्मविश्वास, निर्भीकता और क्षमा को जान लिया है जो हर किसी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं । उम्मीद करते हैं कि आप इन 10 अच्छी बातों को अपनी जिंदगी में अक्षरशः उतारने की पूरी कोशिश करेंगे जिसके फलस्वरूप आप अपनी समस्त परेशानियों का हल निकालने में सफल रहेंगे !

author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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