सफल बिजनेसमैन बनने के उपाय कहानी | Success Businessman Story in Hindi
बहुत दिनों बाद शहर से गांव लौटा अरविंद, एक बार फिर शहर जाने की तैयारी कर रहा है, तभी एक दिन उसकी दादी ने उससे कहा
“देखो बेटा, पहले बात और थी परंतु अब मैं बुढ़ी हो चुकी हूं । मुझ में अब पहले जैसी ताकत नहीं रही, क्यूँ नहीं तुम, यहीं कोई काम धंधा ढूँढ लो जिससे चार पैसे तुम्हारी जेब मे आते रहें और तुम्हारे सहारे मेरा ये बुढ़ापा भी कट जाएं”
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अरविंद को दादी की तकलीफों का बखूबी एहसास था । वह दादी की इच्छाओं के अनुरूप गांव मे रुकना भी चाहता था परंतु बड़ा सवाल ये था कि आखिर अरविंद इस गांव में रहकर करेगा क्या ?
असल में अरविंद शहर के एक सिनेमा हॉल के ठीक सामने बर्फ के गोले बेचा करता था परंतु उसके गोले, यहाँ गांव में कोई पसंद करेगा या नही यह जान पाना कठिन था ।
दूसरा कोई रास्ता न सूझता देख, आखिरकार अरविंद ने गांव के चौराहे पर ही गोला बेचने का निर्णय लिया । शुरु शुरु में तो अरविंद को थोड़ी निराशा हाथ लगी परंतु धीरे-धीरे उसके गोले गांव वालों को भाने लगे ।
एक दिन एक बड़ी गाड़ी अचानक, अरविंद के ठेले के पास आकर रुकी । गाड़ी से एक नव दंपति निकल कर बाहर आए । उन्होंने अरविंद को बताया कि वे हमेशा गर्मीयों की छुट्टियों में यहाँ गांव आते हैं । वैसे तो इस गांव में सिवाय चाय-पकौड़े के कभी कुछ नहीं मिलता परंतु इतने वर्षों में आज पहली बार यहां किसी को गोला बेचते देखा तो रहा नहीं गया सोचा क्यों न इस भीषण गर्मी में तुम्हारे गोले का आनंद उठाया जाए । यह सुनकर अरविंद बहुत खुश हुआ उसने फटाफट गोले बनाए और उनके सामने पेश कर दिया । अरविंद के गोले उन्हे बहुत पसंद आए । जाते- जाते नव दंपत्ति वहाँ पुनः आने का वादा कर गए ।
तकरीबन एक सप्ताह बाद, वही बड़ी गाड़ी, एक बार फिर वहाँ आकर रुकती है । गाड़ी से उतरी महिला की प्रसन्नता देखने लायक है परंतु ठेले के पास अरविंद की जगह कोई दूसरा नवयुवक खड़ा है जिसे देखकर महिला की खुशी काफूर हो जाती है ।
परंतु फिर भी नवयुवक के पूछने पर न चाहते हुए भी उन्होंने गोले का ऑर्डर उसे दे दिया । थोड़ी ही देर में नवयुवक गोला बनाकर महिला की ओर बढ़ाता है उधर महिला बहुत कसमसाते हुए गोले को थामती है । मानो वह गोले को लेना ही न चाहती हो ।
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तभी अचानक अरविंद भी वहां आ पहुँचता है । वह नव दंपति को पहचान जाता है । वह फटाफट दूसरा गोला बनाकर महिला के पति, अशोक की ओर बढ़ाता है ।
गोले का लुफ्त उठा रहा अशोक कुछ ही क्षणों में ये भाप जाता है कि उसकी पत्नी को नवयुवक का बनाया गोला पसंद नहीं आ रहा, अशोक ने जैसे ही ये जाना उसने फटाफट अपना गोला पत्नी से एक्सचेंज कर लिया परंतु अशोक की आंखे तब आश्चर्य से भर गई जब उसने यह महसूस किया कि दोनों गोलों के स्वाद में कोई अंतर नही है ।
असल में बात गोलो की गुणवत्ता कि नहीं बल्कि उसके प्रेजेंटेशन की थी । अरविंद गोले को बहुत ही साफ्ट हाथों से पकड़ता और फिर उस पर रंग चढ़ाते समय, वह अपने हाथों को बड़े ही शानदार तरीके से घुमाता । इतना ही नहीं उसके गोले पर लगे सभी रंग बिल्कुल सेपरेट होते । वे न ही एक दूसरे को टच करते और न ही वे एक दूसरे को पर फैलते जिसके कारण उसका गोला काफी खूबसूरत दिखता जबकि नवयुवक में ऐसी कोई खूबी नहीं थी ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Inspirational Story In Hindi
दोस्तों कुछ लोग काफी परिश्रमी होने के बावजूद कुछ खास Achieve नहीं कर पाते वहीं दूसरे लोगों के पास कस्टमर्स का ताता लगा रहता है । इसकी एक वजह गुणवत्ता भी हो सकती है परंतु कंपटीशन के युग में काम के साथ-साथ आपके काम करने का तरीका और प्रेजेंटेशन भी मायने रखता है इसीलिए वक्त के साथ खुद को अपडेट करें । अब वक्त पहले जैसा नहीं रहा । अब सिर्फ प्रोडक्ड की गुणवत्ता पर ध्यान देना ही सबकुछ नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ काम करने के तरीके को भी बेहतर बनाना होगा । अपने प्रजेंटेशन पर पूरा फोकस करना होगा क्यूँ कि आपका प्रजेंटेशन ही सामने वाले पर आपका फर्स्ट इम्प्रेशन है और दोस्तो मत भूलिए कि First impression is the last impression.
करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है ।
करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।