समस्या का दूसरा पहलू प्रेरणादायक कहानी | Life Changing Best Story In Hindi

"समस्या का दूसरा पहलू" प्रेरणादायक कहानी | Life Changing Top Story In Hindi with moral. Inspirational Hindi Story on solving a problem

   सबसे बड़ी समस्या प्रेरक कहानी I Solving Problem Inspirational Hindi Story

  सुबह की रौशनी के साथ छटते अंधेरों में एक लंबी कतार दिखाई दे रही है । क्या बच्चे, क्या जवान, क्या महिलाएं और क्या पुरुष सभी के सभी हाथों में डब्बा लिए लाइन में खड़े जाने किसका बहुत ही बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं । सबकी निगाहें सामने मेन रोड पर है वे काफी थक चुके हैं । कभी वे नीचे बैठने की कोशिश करते हैं तो कभी घुटनों को आधा मोड़े उनपर अपना हाथ टिकाए पैरों को आराम देने की कोशिश कर रहे हैं ।

   असल में जून का महीना चल रहा है सूरज मानो अपनी कोई पुरानी दुश्मनी निकाल रहा है । लोग गर्मी से बेहाल हैं । ऐसे में गांव में पानी की एक बूंद तक नहीं है । दो दिन गुजर गए हैं  जो पानी का सरकारी टैंकर रोज सुबह सूरज उगते उगते आ जाता था । आज दो दिनों से उसके दर्शन ही नहीं हुए ।

  गांव वालों के पास जो बचा कुचा पानी था । वह भी अब खत्म होने को है । ऐसे मे बेबस और लाचार गांव वालों की पानी की ऐसी बेसब्री जायज ही थी । रात से सुबह और फिर सुबह से दोपहर हो गई । सूरज ने अपना पांव पसार लिया है जला देने वाली इस तेज धूप में भी कोई घर वापस नहीं जा रहा और न ही गाड़ी का भी कुछ पता नही चल रहा ।

  गाड़ी के आने में हो रही देरी के साथ ही गांव वालों का भी खून खौलने लगा । सबको आज भी पानी न आने की आशंका सताने लगी हालांकि ऐसा आजतक यदा कदा ही कभी हुआ होगा कि गांव मे पानी लगातार तीन रोज तक न आये ।

  ऐसे में गांव के कुछ युवा लड़कों को थोड़ी शंका होने लगी । सबने इसकी वजह पता करनी चाही । काफी भाग दौड़ के बाद पता चला कि गाड़ी तो दो दिनों के बाद आज आई थी मगर कई बार की तरह इस बार भी पड़ोस के गांव वालों ने उनके गांव आ रहे टैंकर को भी वहीं रोक लिया और जबरदस्ती सारा पानी निकाल लिया ऐसे मे खाली टैंकर मजबूरन वापस लौट गया । यह सारी बातें सुनकर गांव के एक युवक गुल्लू को बहुत गुस्सा आया । उसने अपने दोस्तों से कहा

 “यार अब बहुत हो गया यह सही है कि पानी की किल्लत पूरे क्षेत्र में है । ऐसे में सब को पानी की बहुत जरूरत है । मात्र एक पानी का टैंकर किसी भी गांव के लिए काफी नहीं है । मगर यह भी क्या जायज है कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम दूसरों को मिलने वाले पानी को भी जबरन छीनकर खुद ही इस्तेमाल कर ले आखिर हम पानी बिना कैसे जिएंगे .. . बस बहुत हो गया अब ये नहीं चलेगा ऐसे तो हम बिना पानी के मारे जाएंगे । हमें चलकर बड़े साहब से इस की शिकायत करनी ही होगी “

  वहीं खड़े गुल्लू के दोस्त राजू ने कहा 
 “हां दोस्त तुम बिल्कुल सही कह रहे हो आखिर यह कब तक चलेगा वह लोग पानी में डूबे रहे और हम एक एक बूंद के लिए तरसते रहे । हम सभी को एक साथ जाकर इसकी शिकायत करनी चाहिए “

  सभी दोस्तों ने भी गुल्लू और राजू की बातों में सहमति जताई । तब यह तय हुआ कि कल सुबह सभी दोस्त बड़े साहब के दफ्तर जाकर इस बात की शिकायत करेंगे ताकि बार-बार पड़ोस गांव वालों की यह गंदी हरकत हमेशा के लिए बंद हो सके ।

  अगली सुबह दफ्तर जाने के लिए सारे दोस्त गांव के खलिहान मे इकट्ठा हुए परंतु गुल्लू का परम मित्र शेखर वहां नहीं आया । ऐसे में गुल्लू शेखर को लेने उसके घर पहुंचा । शेखर के घर पहुंचकर उसने उसे आवाज लगाई । गुल्लू की आवाज सुनकर शेखर बाहर आया । तब गुल्लू ने उससे पूछा

 “क्या हुआ दोस्त कल तो दफ्तर चलने की सारी बाते तुम्हारे सामने ही तय हुई थी फिर वहां चलने के लिए तुम आज क्यों नहीं आए और अभी तो तुम तैयार भी नहीं हुए हो तुम्हारी तबीयत तो ठीक है क्या चलना नहीं है “
 तब शेखर ने कहा
  

  “देखो दोस्त मुझे लगता है इन सब चीजों से कोई फायदा नहीं है वो सरकारी मुलाजिम हमारी बातों को  सुन चाहे ले  परंतु सब जानकर भी वे कुछ करेंगे .. . ? मुझे ऐसा नहीं लगता और इस बात की भी क्या गारंटी है कि बगल गांव वालों की इन  शरारतों के बारे में उन्हें पहले से पता न हो”

  तब गुल्लू को शेखर की बातों पर बहुत गुस्सा आया और उसने कहां

 “तुम लोगों की यही तो बुरी आदत है । तुम लोग बस अच्छा हो, यही चाहते हो मगर इसके लिए कुछ करना न पड़े सब बैठे बिठाए हो जाए । जब तक तुम लोग खुद से कुछ नहीं करोगे तब तक कुछ भी नहीं होने वाला “

  दोनों दोस्त काफी देर तक अपने विचारों को बेहतर  साबित करने मे लगे रहें पर कोई नतीजा, न निकलता देख गुल्लू शेखर को वहीं छोड़ अपने दोस्तों के साथ बड़े साहब के दफ्तर चल पड़ा । दफ्तर पहुंच कर उसने बड़े साहब से पूरे मामले की जानकारी दी और गांव वापस लौट आया ।

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  गांव वालों की शिकायत के बाद अब तो आलम यह था कि सरकारी टैंकर विभाग से पानी लेकर जब भी गांव के लिए चलता तो उसे बीच में रोकने की किसी की हिम्मत नहीं होती । ऐसे में गांव वालों को पानी नियमित रूप से मिलने लगा । पूरे गांव वाले युवकों द्वारा किए गए इस प्रयास से बहुत खुश है ।  सभी उनके एहसानमंद हो चुके थे ।

  गांव के युवकों ने वह कर दिखाया था जो गांव के बड़े  बुजुर्गों को करना चाहिए था । उधर शेखर के दोस्त उसके पुराने रवैया को भूले नहीं थे । ऐसे में जब भी शेखर टैंकर से पानी लेने के लिए लाइन में खड़ा होता तब सभी दोस्त उसे ताना मारने से नहीं चूकते ।

  धीरे धीरे महीना गुजर गया । एक दिन जब सारे गांव वाले पानी के इंतजार में लाइन लगाए खड़े थे । तब एक बार फिर दोपहर बाद तक पानी नहीं आया । सब ने मान लिया कि आज शायद टैंकर इधर के लिए चला ही नहीं होगा । ऐसे में अब कल के इंतजार के सिवा कोई रास्ता नहीं था । देखते देखते दो दिन गुजर गए मगर पानी नहीं आया । जब गांव वालों ने पता किया तब उन्हें जो जानकारी मिली उसे सुनकर प्यास से मर रहे गांव वालों का खून एकबार फिर खौल उठा पता चला कि पड़ोस गांव वालों ने पुनः अपनी वही गंदी हरकत दोहरानी शुरू कर दी  है ।

  उस दिन के बाद से दफ्तर में शिकायतें और शिकायतों पर कार्यवाही और कार्यवाही कि कुछ दिन बाद पुनः पड़ोस गांव वालों की बदमाशियां यूं ही चलती रही । अब तो गांव के दूसरे युवा भी शेखर की तरह ही गुल्लू और उसके दोस्तों के साथ दफ्तर जाने से कतराने लगे ।

  इन सबके बीच में गुल्लू और उसके दोस्तों ने पाया  कि उनका दोस्त शेखर कई महीनों से उनके बीच दिखाई नहीं दे रहा था । वह सिर्फ सुबह पानी लेने ही टैंकर की लाइन में दिखाई देता है और फिर पूरा दिन वह किसी को दिखाई नहीं देता । कहीं शेखर उन सब के रोज-रोज के तानों से नाराज तो नहीं हो गया, इस बात का एहसास गुल्लू और उसके दोस्तों को होते ही उन्हें अपनी बातों पर बहुत पछतावा हुआ ।

  सब शेखर को मनाने उसके घर की तरफ चल पड़े घर पहुंचने पर पता चला कि शेखर तो आजकल घर पर बहुत कम ही रहता है । रोज सुबह पानी घर पहुंचाने के बाद ही वह घर से थोड़ी दूर स्थित अपनी पुरानी जमीन पर चला जाता है । शेखर की ऐसी हालत सुनकर गुल्लू, राजू और उसके दोस्तों को बहुत दुख हुआ । ऐसे मैं  शेखर से अपनी गलतियों की माफी मांगने के लिए सब उसकी पुरानी जमीन की ओर तेजी से चल पड़े । वहां पहुंचकर उन्होंने जो देखा वह तो वाकई सबको चौकाने वाला था ।

  असल मे शेखर कई महीनों से अपनी पुरानी जमीन पर एक गहरा गड्ढा खोदने में लगा रहा । जो इतने दिनों की उसकी लगातार मेहनत से अब एक कुएं की शक्ल ले चुका था ।

  जब सभी दोस्तों ने शेखर के इस जज्बे को देखा तो वे अवाक रह गए उन्होंने शेखर से पूछा

 “यह तुमने कैसे किया और इससे क्या फायदा होगा क्या तुम नहीं जानते कि इस जमीन पर कभी पानी नहीं निकल सकता “
  तब शेखर  ने कहा
   

  “तो फिर आखिर क्या रास्ता है तुम सब मुझे वही बताओ क्या रोज-रोज दफ्तरों के चक्कर काटने से पानी मिल गया नहीं न, रही बात इस मिट्टी में से पानी निकालने की तो आओ मैं तुम्हें दिखाता हूँ । तुम नीचे जाकर देख सकते हो कि इस कुएं जैसे गहरे गड्ढे मैं अब जो मिट्टी निकल रही है वह थोड़ी-थोड़ी गीली है मुझे लगता है कि थोड़े और प्रयासों से हम पानी निकालने में कामयाब हो जाएंगे “

  
  गुल्लू और उसके दोस्तों को उसकी बातें काल्पनिक लग रही थी । उसकी बातों की हकीकत जानने के लिए गुल्लू ने जैसे ही उस मिट्टी को अपने हाथों में लिया वह चौक गया । वाकई शेखर की बातें सच थी । अब जो मिट्टी नीचे से निकल रही थी उसमें कुछ नमी जरूर थी । उस मिट्टी को हाथों में लेते ही हर प्रयास करके थक चुके गुल्लू और उसके दोस्तों खुशी से उछल पड़े और देर न करते हुए सारे दोस्त कुए की खुदाई में लग गए ।

  देखते ही देखते कुछ ही दिनों में उन्होंने जिस भूमि को बेकार समझ लिया था । आज उसी भूमि मैं उन्हें पानी के दर्शन हुए और इस प्रकार शेखर के सकारात्मक प्रयासों ने गांव वालों को पानी की समस्या से हमेशा-हमेशा के लिए निजात दिला दिया ।


इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है | Moral Of This Inspirational Hindi Story

समस्या के मूल कारणों को जानने की कोशिश करें और  मूल वजह को जान लेने के बाद समस्या के निदान का उचित प्रयास करें !

सिर्फ Problem खड़ा करने वालों के ऊपर उंगली उठाना सबसे आसान काम है । हालाँकि जरूरी है कि दोषियों को दंड मिले मगर सबसे पहले जरूरी ये है कि हम उस समस्या को मूल रुप से खत्म करने के रास्तों की तलाश करे । 

  हम सबने देखा होगा कि अगर रास्ते में किसी की दुर्घटना हो जाती है तो सबसे पहले दुर्घटना करने वाले की तरफ लोग दौड़ते हैं और उसपर अपना गुस्सा उतारते हैं परंतु हम यह भूल जाते हैं कि दुर्घटना मैं जिस को क्षति पहुंची है उसका प्राथमिक उपचार Most Important है क्योंकि दोषी को दंड तो बाद में भी दिया जा सकता है परंतु समय से पहले अगर घायल व्यक्ति का इलाज नहीं कराया गया तो शायद उसकी इस दुर्घटना में जान भी जा सकती है और जिसे, दोषी को दंड देकर भी वापस प्राप्त नहीं किया जा सकता है । इसी प्रकार Problem पैदा करने वालों के खिलाफ खड़े होने के साथ ही जो समस्या उत्पन्न हो गई है उसका निरंतर Solution ढूंढते रहना भी Very Important है । 


  आजकल गांव हो या शहर पूरे world में water crisis की problem आम हो गई है ।  इसके लिए लोग सभी जिम्मेदार कारणों को ढूंढने और  उसके लिए दोषियों पर आरोप लगाना शुरू कर दिए हैं कुछ लोगों ने इसकी वजह पेड़ों का कटना बताया है । कुछ लोगों ने जल का अत्यधिक दोहन बताया है तो कुछ लोगों ने इसकी वजह global warming मान रहे है ।

  परंतु क्या हम भी कुछ हद तक इस समस्या के लिए जिम्मेदार नहीं हैं ? क्या हमने कभी पानी का वेस्टेज नहीं किया ? क्या हमने पानी का उतना ही use किया जितना की आवश्यकता थी ?  क्या हमने कभी खुली टैब नहीं छोड़ी ? ऐसी बहुत सारी चीजे हैं जो हम सबने की है और शायद कर भी रहे हैं मगर हम जब भी water crisis की problem को देखते हैं तो इसके लिए हमें वह सारे चेहरे नजर आते हैं जो इसके जिम्मेदार हैं सिर्फ अपना छोड़ के ।

  चलो एक पल के लिए अगर ये मान भी लिया जाए कि इस समस्या के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं तो जो लोग जिम्मेदार हैं क्या उन पर आरोप लगा देने से यह समस्या खत्म हो जाएगी क्या अगर कोई चीज नष्ट हो गई है तो नष्ट कर देने वालों को दंड देने मात्र से या उन पर दोष लगा देने से नष्ट हुई चीज दोबारा से वापस आ जाएगी अगर नहीं तो फिर हमें क्या करना चाहिए ।

  दोस्तों अगर water crisis की ही बात करें तो इससे निपटने के लिए सबसे पहले हम स्वयं अपने-अपने घरों के सामने एक पौधा लगाएं । दूसरों को पेड़ पेड़ों के महत्व को समझाएं । हो सके तो जिम्मेदारो को शर्मिंदा भी करें ताकि वह ऐसा करने से बचें ।

  ऐसी ही ऐसी बहुत सारी हमारे समाज में समस्याएं हैं जिसके लिए सिर्फ दूसरों के ऊपर आरोप लगाने के सिवाय, उनकी शिकायत करने के सिवाय और हमें कुछ नहीं आता बिजली कट जाने पर हम electric department पर हम तमाम आरोप लगाते हैं जबकि हम भूल जाते हैं कि हम खुद बिजली का निरंतर कितना दुरुपयोग कर रहे हैं ।

  अपने-अपने घरों में जरा झांक कर देखें कि क्या हमें जितनी बिजली की आवश्यकता है हम सिर्फ उतना ही बिजली का उपयोग कर रहे हैं ? क्या सिर्फ बिजली का बिल भर देने से हम बिजली के मालिक हो जाते हैं हम जितना चाहे उतना उसका यूज मिसयूज कर सकते हैं ?

  अगर वाकई में पावर की problem आ रही है अगर वाकई में खपत बढ़ रही है तो इसका एक आम आदमी के पास आखिर क्या उपाय है तो दोस्तो यकीनन उपाय है और वह है कि हम कम से कम बिजली का उपयोग करें जहां तक हो सके कम से कम बल्ब और पंखे का इस्तेमाल करे संभव हो तो एक कमरे में ही बैठने की कोशिश करें जैसा inverter की battery down होने पर करते हैं । ताकि सारे कमरों में पंखे, AC चलाने की आवश्यकता ना पड़े ।

 एक बार फिर मैं कहना चाहता हूँ कि किसी समस्याओं के लिए दोषियों पर सिर्फ और सिर्फ आरोप ही न मढते रहे बल्कि साथ ही साथ जो समस्या सामने हैं या जो नुकसान हुआ है उस नुकसान को पूरा करने की कोशिश भी जारी रखें ।

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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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