बहुत समय पहले की बात है, दसवीं मे पढने वाले राहुल के पिता किसी काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे । वहां से लौटते वक्त उन्होंने स्टेशन के PMT फोन से राहुल को फोन किया । घर के लाॅन मे बैठा राहुल घंटी की आवाज सुनकर फोन उठाने दौड़ा तब पिता ने उसे बताया कि
वो ट्रेन में बस बैठने ही वाले हैं परंतु आने में लगभग 4 बज जाएंगे । वहां आने के बाद उन्हें अपने कुछ खास दोस्तों के साथ जो उनके नए बिजनेस पार्टनर्स हैं, को साथ लेकर किसी काम के सिलसिले कहीं जाना है । आगे पिता ने बताया कि
“वो नए बिजनेस पार्टनर घर पर ही आएंगे वैसे तो मैंने उन्हें फोन करके अपने घर आने का टाइम बता दिया है परंतु हो सकता है कि वे मेरे घर पहुंचने से पहले ही आ जाएं अगर ऐसा होता है तो तुम उनका खास ख्याल रखना”
पिता ने राहुल को खास हिदायत दी कि किसी भी हाल में उनकी की खातिर में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आनी चाहिए ।
इतना कहकर पिता ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया शाम के 4 बज चुके थे मगर राहुल के पिता अब तक घर नहीं पहुंचे थे तभी डोर बेल बजती है राहुल भागे-भागे पिता का स्वागत करने दरवाजे पर पहुंचता है मगर वहां दो विचित्र तरह के दो लोग खड़े हैं । वे खुद को उसके पिता का दोस्त बताते हैं राहुल समझ जाता है कि ये वही लोग हैं जिनके बारे में उसके पिता ने सुबह बताया था ।
ऐसे अन्जान लोगों को वह घर में बुलाने से हिचकिचा रहा है परंतु वह नए बिजनेस पार्टनर पिता के लिए बहुत इंपोर्टेंट हैं और उन्हें हर हाल में खुश भी रखना है ऐसे में वह बहुत डरते-डरते, उन्हें घर के अंदर बुलाता है । घर के अंदर आते ही वे लोग सामने खड़ी कार के पास जाते हैं और उससे कार की चाबी मांगने लगते हैं राहुल इसकी वजह पूछता है तब वह बताते हैं कि
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वे उसके पिता के साथ थोड़ी दूर स्थित एक नए बिजनेस प्रपोजल को देखने जाने वाले थे परंतु जिस ट्रेन से उसके पिता आ रहे हैं वह अभी लेट है ऐसे में अगर उसके पिता घर आकर उनके साथ जाते हैं तब उन्हें काफी देर हो जाएगी और एक अच्छा असाइनमेंट उनके हाथ से निकल सकता है ।
इसलिए उन्होंने सोचा है कि क्यों ना वे कार लेकर खुद ही स्टेशन की तरफ बढ़ चले और राहुल के पिता को वहां से पिक करके आगे निकल जाए । जिससे समय भी बच जाएगा और एक अच्छा खासा असाइनमेंट उन्हें मिल सकता है
राहुल को उनकी बातें ठीक तो लगती है परंतु वह उनपर विश्वास करें तो कैसे ? अपनी कार की चाबी उनको देने मे उसे डर लग रहा है क्योंकि उसके पिता ने तो कहा था कि
पहले वह घर आएंगे और फिर फ्रेश होकर उनके साथ कार से कहीं जाएंगे । तब यह स्टेशन से पिक करने वाली बात कहां से आ गई यह बात राहुल के गले नहीं उतर रही थी और वैसे भी अजनबी लोगो को कार की चाबी थमा देना बिल्कुल भी उचित नही था ।
वह बड़े ही असमंजस की स्थिति में पहुंच चुका था क्योंकि एक तो वह उन्हें नाराज नही कर सकता था और दूसरे इस तरह किसी अजनबी के हाथों अपनी कीमती चीज दे देना भी कोई समझदारी वाली बात नहीं थी ।
इस दुविधा में वह बार-बार अपनी उंगलियों को मसल रहा था । वही वे उसपर चाबी फौरन लाने का दबाव डाल रहे थे । कुछ न सूझता देख उसने उन्हें अंदर आने और कुछ चाय नाश्ता करने का आग्रह किया ।
राहुल ने पतीले पर चाय चढ़ा दी और उनके लिए कुछ नाश्ते का इंतजाम करने लगा यह सब तो एक बहाना था असल में राहुल चाहता था कि पिताजी जल्दी से घर आ जाए ताकि सारी बातें साफ हो जाएं परंतु पिताजी की ट्रेन तो मानो कोई मालगाड़ी बन चुकी हो जो पहुचने का नाम ही न ले रही हो ।
उधर वे अजनबी शख्स राहुल से ये सब औपचारिकता छोड़ फटाफट उन्हे गाड़ी की चाबी देने को कहते रहें परंतु राहुल बस 2 मिनट चाय हो गई है इसी की रट लगाए हुए था ।
धीरे-धीरे आधे घंटे गुजर गए अब तो राहुल को चाय लाना ही था राहुल ने जैसे ही उनके आगे चाय बढ़ाया उन्होंने एक ही घूंट में सारी की सारी चाय गटक ली जिसे देख राहुल का तो गला ही सूख गया । उसके हाथ में पड़ी चाबी उन्होंने झट से खींच ली और कार की तरफ तेजी से दौड़े पड़े ।
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परंतु जैसे ही उन्होंने कार स्टार्ट कि उन्हें कार में कुछ दिक्कत महसूस हुई । तब उन्हें पता चला कि कार का पिछला टायर पंचर है यह सब देख वे राहुल पर बहुत नाराज हुए और राहुल से कार को ठीक रखने की नसीहत देने लगे । तभी राहुल ने कहा
बस-बस 2 मिनट बगल में एक पंचर बनाने वाला है मैं तुरंत उसे बुला कर लाता हूँ वह 2 मिनट में पंचर बना देगा”
राहुल घर से बाहर तो गया मगर पंचर की दुकान पर न जाकर थोड़ी दूर पर ही छुप कर उन पर निगाह रखने लगा । देर होने पर जब वे खुद ही दुकान की तरफ बढ़ने लगे तब राहुल फटाक से दुकान की ओर भागा और पंचर बनाने वाले को साथ लेकर घर की ओर चल पड़ा ।
थोड़ी ही देर में गाड़ी ठीक हो चुकी थी परंतु जैसे ही उन दोनों ने गाड़ी को स्टार्ट किया तभी राहुल के पिता ने दरवाजे पर दस्तक दी राहुल के पिता को देख कर वे दोनों बहुत खुश हुए ।
राहुल के पिता ने उन दोनों अजनबी लोगों से हाथ मिलाया और अंदर आने को कहने लगें ये सब देखकर राहुल के जान में जान आई वह समझ गया कि ये ही पिता के नए बिजनेस पार्टनर हैं ।
इस प्रकार राहुल की छोटी सी समझदारी ने अपनी नई नवेली कार एवं पिता की दोस्ती दोनों का मान रख लिया । असल में गाड़ी पंचर तो कभी हुई ही नहीं थी हां गाड़ी के टायर से हवा जरूर थोड़ी कम हो गई थी जो कि राहुल की ही एक समझदारी भरा फैसला था ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
कई बार हमारे सामने ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है जब हमे एक साथ कई चीजों को बचाना होता है । ऐसे समय में हमारी थोड़ी सी समझदारी हमें ऐसी ढेरों मुश्किलों से निजात दिला सकती है ।