शहर के मेन मार्केट में स्थित श्याम की किराने की दुकान, बहुत चलती थी । उसे ग्राहको से एक पल की फुर्सत नही मिलती थी परंतु एक दिन दुकान से घर लौटते वक्त उसका एक्सीडेंट हो जाता है जिसके कारण वह बहुत दिनो तक दुकान नही आ पाता और उसके ग्राहक टूटने लगते है । तबीयत ठीक होने पर वह पुनः दुकान पर बैठना शुरू कर देता है परंतु ग्राहको के टूट जाने से दुकान अब पहले जैसी नहीं चलती हैं ।
एक ओर इलाज में साहूकार से ली गई मोटी रकम और दूसरी ओर दुकान से हो रही आमदनी का बेहद कम हो जाना श्याम को अत्यधिक चिन्तित कर देती है । इस चिन्ता मे पड़े-पड़े वह एकदिन बिमार हो जाता है । जिसे देख उसकी पत्नी राधा बहुत परेशान हो जाती है ।
एक दिन एक साधु भिक्षा मांगते हुए राधा के घर आते हैं तब राधा उन्हे सम्मान सहित घर मे बुलाकर भोजन कराती है महात्मा राधा से पूछते हैं कि
क्या बात है बेटी तुम बहुत परेशान लग रही हो
साधु के पूछने पर राधा उन्हे अपनी सारी परेशानी बताती है जिसे सुनकर साधु महाराज उसे एक धागा देते हैं और कहते हैं कि
ये धागा तुम अपने पति की कलाई पर बाध देना यह जब तक तुम्हारे पति के साथ रहेगा उसे हर मुश्किल से बचाएगा
राधा, बाबा के कहे अनुसार धागे को अपने पति की कलाई पर बाध देती है ।
जिसके कुछ ही दिनो बाद श्याम की दुकान एकबार फिर चलने लगती उसके दुकान पर ग्राहको का ताता लगने लगता है और इसप्रकार उसकी सारी विपत्तिया समाप्त हो जाता हैं ।
परंतु श्याम की कलाई पर बधे मोटे धागे को देखकर उसके दोस्त उसपर हंसते हैं जिसके नाते उसे शर्मिंदगी महसूस होती है परिणामस्वरूप श्याम, राधा से धागे को गुम हुआ बताकर उसे अलमारी में छुपा देता है ।
परंतु कुछ ही दिनो बाद श्याम का फिर एक बार भयानक एक्सीडेंट होता है तब उसे साधु का दिया धागा याद आता है । वह राधा को सबकुछ सच-सच बता देता है तब राधा श्याम के हाथ में साधु का दिया धागा फिर से बांध देती है । श्याम को अपनी भूल का एहसास हो गया है जिसके चलते वह उस धागे को एक पल के लिए भी खुद से दूर नहीं करता है ।
चमत्कारी साधु की प्रेरणादायक कहानी से शिक्षा
कोई भी व्यक्ति आम से खास किसी साधु महात्मा या गुरुजनों के संगत में रहकर ही बन सकता है इसीलिए यदि आपको जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाना है तो आपको भी महापुरुषों की संगत में रहना होगा और उनकी बातों को हृदय से स्वीकार करना होगा इसे स्वीकार करने में आपका कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होगा ।
यद्यपि विश्वास और अविश्वास के बीच की डोर बहुत छोटी होती है परंतु एक तरफ जहां हमारा विश्वास हमें मुश्किलों से बचाकर हमें सफलता दिलाता है वहीं अविश्वास की खाई में जाकर हम सिर्फ अपना नुकसान ही करते हैं इसीलिए दोस्तों विश्वास को हमेशा बनाए रखें ।
करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है ।
करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।