गरीब को सुकून की नहीं थकान की नींद आती है !
जरा सोचिये किसी गरीब का बेटा भूखा है या पैसों की कमी के कारण उसके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है या बच्चों की शादी नहीं हो पा रही है । नया मकान बनवाना तो दूर की बात है वो अपने टूटे फूटे मकान की मरम्मत तक नही करा पा रहा, बारिश में छत टपक रही है तो फिर ऐसे हालातों में उस गरीब को भला सुकून की नींद कैसे आ सकती है ? यानी ये सब बातें झूठीं हैं। सच तो यह है कि कुछ लोगों ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए या अपना प्रॉडक्ट बेचने के लिए जैसे अपनी फिल्मों को हिट कराने के लिए ऐसी बातें कहीं जो गरीबों के दिलों को छू गई सच तो यह है कि गरीब को सुकून की नहीं बल्कि थकान की नींद आती है वह अत्यधिक शारीरिक मेहनत करने के कारण थक के चूर-चूर हो जाता है जिसके नाते उसे बहुत गहरी नींद आती है उसे सुकून की नहीं थकान की नींद आती है।
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