10 टिप्स : बच्चों की परवरिश कैसे करें ?

बच्चों की परवरिश कैसे करें -उनका रोल मॉडल बने, बने मित्र, दे सम्मान| करें हार्ड वर्क, करे तारीफ, करे पुरस्कृत| तुलना, झूठ और अपशब्दों से बचें| प्रलोभन ना दे

How To Raise A Child in Hindi : 10 Tips

दोस्तों हर मां बाप अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर परवरिश देना चाहते हैं और इसके लिए वे काफी हार्ड वर्क भी करते हैं परंतु एकतरफ जहां बहुत से पैरंट्स अपने बच्चों की परवरिश से संतुष्ट हैं तो कुछ पैरंट्स को और बेहतर करने की गुंजाइश महसूस होती रही है ।

दोस्तों जिसप्रकार कोमल पौधे के तने को प्रारंभ में ही सही सपोर्ट व उचित देखभाल की आवश्यकता होती है ऐसा ना होने पर वे ज्यादा ऊपर न जाकर नीचे की तरफ झुक जाते हैं ठीक इसी प्रकार बच्चों को भी सही परवरिश की आवश्यकता होती है परंतु अच्छी परवरिश कैसे की जाए ? यह एक बड़ा सवाल है । अपने अनुभवों के आधार पर हमने इस सवाल का जवाब तलाशने की भरसक कोशिश की है उम्मीद है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आएगा ।

1) उनका रोल मॉडल खुद बने:

दोस्तों आप अपने बच्चों से जो भी कराना चाहते हैं उसे पहले स्वयं करना शुरू कर दें फिर देखना आपके बच्चे वो सब करेंगे जो आप उनसे कराना चाहते हैं जैसे यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा पढे तो आप उसके सामने खुद किताब लेकर बैठ जाएं । यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा झूठ ना बोले तो सबसे पहले आप स्वयं झूठ बोलना बंद कर दे क्योंकि बच्चे वही करते हैं जो वे दूसरो को करता देखते हैं ।

2) बने अभिभावक कम फ्रेन्ड:

दुनिया के लगभग सभी माता-पिता अपने बच्चों के लिए एक अच्छा अभिभावक बनना चाहते हैं परंतु एक अच्छा अभिभावक वही है जो अभिभावक होने के साथ-साथ अपने बच्चों का एक अच्छा दोस्त भी हो क्योंकि चाहे बड़े हो या बच्चे परंतु वे अपनी छोटी से छोटी बात को अक्सर उन्हीं से शेयर करते हैं जो उनका अच्छा दोस्त हो

इसलिए यदि आपको अपने बच्चों की मन की बात जाननी है, उनकी समस्याओं को जानना है तो आपको पहले उनका एक अच्छा दोस्त बनना होगा । जब तक आप उनकी समस्याओं को नहीं जानेंगे तब तक आप उन्हें दूर कैसे कर सकते हैं और यदि आप उन्हें उनकी समस्याओं से नहीं उबार पाएं तो आप कभी भी अपने बच्चों को सफल नहीं बना पाएंगे इसीलिए एक अच्छा अभिभावक बनने के लिए सबसे पहले उनका एक अच्छा दोस्त बने और इसके लिए अपने इगो को बीच में आने ना दें ।

3) सम्मान से करें बात:

दोस्तों मैंने कुछ ऐसे अभिभावकों को देखा है जो अपने बच्चों से भी “आप” कहकर बात करते हैं । वे उन्हें कभी तुम या तू कहकर नहीं पुकारते । असल में बच्चो को बड़े या छोटे का कोई ज्ञान नहीं होता । वो जो रिसीव करते हैं उसी को आगे फॉरवर्ड कर देते हैं । आपके बताने या समझाने से वे एक या दो दिन तक कुछ बातों को फॉलो कर सकते है परंतु इसके बाद वे वापिस अपने पुराने ढर्रे पर में लौट आएंगे
इसप्रकार यदि आप बच्चों को तुम या तू कहकर पुकारेंगे तो वे सिर्फ आपको ही नहीं बल्कि दूसरों को भी “तुम या तू” कहकर संबोधित करेंगे जिसके कारण आपको भरे समाज में शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है । यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अपने से बड़ों को सम्मानजनक शब्दों से संबोधित करें तो पहले आप  स्वयं उन्हे “आप” जैसे सम्मानजनक शब्दों से संबोधित करें ।

4) लालच देकर काम ना कराएं:

बहुत बार लोग बच्चों को उनका ब्रेकफास्ट या होमवर्क फिनिश  करने के लिए उन्हें उन्हें चॉकलेट व आइसक्रीम जैसे तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं जरा सोचिए यदि आप बच्चे को ऐसे लालच देकर उन्हें भोजन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो जाने अनजाने में आप उन्हें बता रहे हैं कि ब्रेकफास्ट बुरा है और चॉकलेट अच्छा ।

मेरे हिसाब से यह तरीका बिल्कुल भी ठीक नहीं है ऐसा करने से आपके बच्चे के मन में भोजन के प्रति इच्छाएं और मरती चली जाएंगी । इससे तो बेहतर होगा कि आप अपने बच्चे के सामने दस बार खाना रखें अगर वह हर बार सिर्फ एक-एक निवाला मुंह में डालता है तो दस निवाले उसके मुख में चले जाएंगे जिसके साथ ही उसकी भूख और खाने की इच्छा दोनो बढ़ेगी ।

5) करें हार्ड वर्क:

मै तब हतप्रभ रह गया जब मैं एक ऐसी गृहणी से मिला जो तीन ऐसे बच्चों की मां थी जो भिन्न-भिन्न कक्षाओं के छात्र थे परंतु फिर भी उस महिला को अपने तीनों बच्चों के सभी विषयों के बारे में बहुत गहरी जानकारी थी जैसे बच्चे कल स्कूल में क्या पढे थे, आज वे क्या पढेंगे और कल उन्हें क्या पढ़ाया जाएगा ‌।

इस जानकारी को इकट्ठा करने और अपडेट करते रहने में उस महिला को कितना हार्ड वर्क करना पड़ता होगा ये आप समझ सकते हैं परंतु यहां बहुत से अभिभावक ऐसे भी हैं जो अपने बच्चों पर पैसे खर्च कर देने मात्र से ही अपनी जिम्मेदारी को पूरा हुआ मान लेते हैं परंतु ऐसा नहीं है । यदि आपको अपने बच्चों को वाकई बेहतर बनाना है तो आपको उनके साथ लगना होगा ।

6) तुलना से बचें:

मैंने ऐसे बहुत से अभिभावकों को देखा है जो अपने बच्चों की तुलना, दूसरे बच्चों से करते नहीं थकते जैसे- फला का लड़का पढ़ाई-लिखाई में बहुत अच्छा है, वह बहुत अच्छा गा लेता है, वह कितने साफ-सफाई से रहता है वगैरह-वगैरह । उन्हें ऐसा लगता है कि यदि वे ऐसा करेंगे तो उनके बच्चे लज्जित होकर, खुद में परिवर्तन लाएंगे जबकि ऐसा नहीं है ऐसा करके वे अपने ही बच्चों का कॉन्फिडेंस लूज करने का काम करते हैं ‌।

तुलना जैसी नकारात्मक कोशिशों से आपका बच्चा सकारात्मक दिशा में आगे नहीं बढ़ सकता । इसके लिए आपको कुछ सकारात्मक कदम उठाने होंगे इसलिए जहां तक हो सके तुलना से बचें और साथ ही ऐसे लोगों से भी अपने बच्चों को दूर रखें या उन्हें मना करें जो लोग आपके बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं । यह तुलना पॉजिटिव हो या नेगेटिव परंतु कभी फायदेमंद नहीं हो सकती ।

7) जी भर कर करे तारीफ:

जैसे हर पौधे की अपनी एक विशेषता होती है, कोई रसीले फल देता है तो कोई घनी छाया, किसी का कड़वा रस औषधि बनाने के काम आता है तो किसी का फल खाकर हम अपनी प्यास बुझाते हैं ठीक वैसे ही हर व्यक्ति की भी अपनी एक विशेषता होती है ऐसी ही कुछ विशेषताएं आपके
बच्चों में भी जरूर होगी उन्हें ढूंढने की कोशिश करें और उसके लिए अपने बच्चों को अप्रिशिएट करना ना भूलें ।

ऐसा करने से आपके बच्चे उन कार्यों को करने में ज्यादा मन लगाएंगे जिनसे उनके पेरेंट्स खुश होते हैं, उनकी तारीफ करते हैं तथा ऐसे कार्यों से बचेंगे जो उनके पेरेंट्स को बिल्कुल भी पसंद नहीं है या जिसके लिए वे उन्हें मना करते हैं ।

8) पुरस्कृत करना ना भूले:

दोस्तों यदि हमारे बच्चे किसी भी मामले में कुछ अच्छा कर रहे हैं तो उसके लिए उन्हे पुरस्कृत जरूर करें । कभी-कभी ऐसे अवसरों पर हमारा बजट कुछ बड़ा करने के लिए अलाउ नहीं करता तो क्या हुआ कुछ छोटा ही करें मगर करें  जरूर क्योंकि इससे बच्चों का मनोबल बढ़ता है और साथ ही उनमें और अच्छा करने की इच्छा जागती है ।

9) अपशब्दों के प्रयोग से बचें:

दोस्तो, ये मानी हुई बात है कि बच्चे जो रिसीव करते हैं उसी को आगे फॉरवर्ड कर देते हैं । हमारे समाज में एक बहुत नेचुरल सी बात है कि हम अपने जिन सहकर्मियों या दोस्तों के साथ रहते रहते उन्ही की तरह बोलना सीख जाते हैं जिनमें कुछ अपशब्द भी हमारी बोल-चाल की आदतों में सुमार हो जाते हैं और ये अपशब्द कब और कहां हमारी जुबान से निकल जाए ये नही कहा जा सकता इसलिए घर या घर के बाहर जहां तक हो सके अपशब्दों का प्रयोग करने से बचें ।

हो सके तो ऐसे लोगों से दूरी बना लें या फिर अपने मौजूदगी में उनसे अपशब्दों का प्रयोग ना करने की रिक्वेस्ट करें, हो सकता है कि आपकी इन बातों से वे कुछ दिनो के लिए नाराज हो जाएं परंतु आपके बार-बार रिक्वेस्ट किए जाने पर वे आपको जरूर समझेंगे और अपशब्दों के प्रयोग से परहेज करेंगे ।

10) झूठ से बचें:

अक्सर अभिभावक बच्चों से तो झूठ बोलने के लिए मना करते हैं परंतु कभी खुद उसपर अमल नही करते । यदि हम खुद अमल नहीं करेंगे तो आज नहीं तो कल हमारे बच्चे हमारा झूठ पकड़ ही लेंगे और फिर आपकी ये बाते उन्हे सिर्फ कोरे भाषण के समान लगेंगी इसलिए यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे झूठ का प्रयोग ना करें तो आप भी झूठ बोलने से बचें और यदि जाने अनजाने में आप से ऐसी गलती हो जाती है तो खुद को इसके लिए दंडित करें । इससे बच्चों में एक प्रेरणा जागेगी और वे झूठ बोलने से कतराएगें ।

आखिरी शब्द:

तो दोस्तों बच्चों की परवरिश कैसे करें के बिषय में 10 बेहद खास टिप्स के बारे में हमने जाना । उम्मीद करते हैं कि आप इन 10 टिप्स को अपनाने की पूरी कोशिश करेंगे जिसके फलस्वरूप आप अपने बच्चों की सही परवरिश कर पाएंगे !




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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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