जख्मो को वापस भरने में वक्त तो लगता है - शायरी - करन‌ मिश्रा
जख्मो को वापस भरने में वक्त तो लगता है - शायरी

जख्मो को वापस भरने में वक्त तो लगता है | शायरी | करन‌ मिश्रा

जो बिगड़ गया उसको बनने में वक्त तो लगता है,
जख्मो को वापस भरने में वक्त तो लगता है।
पतझड़ में जब झड़ जाते हैं शाखों से टूट के पत्ते,
फिर से नई बहार आने में वक्त तो लगता है।

Jo Bigad Gaya Usko Banane Me Waqt To Lagata Hai,
Jakhmo Ko Vapasa Bharane Me Waqt To Lagata Hai,
Patjhad Me Jab Jhad Jate Hain Sakhon Se Tut Ke Patte,
Fir Se Naee Bahar Aane Me Waqt To Lagata Hai

जख्मो को वापस भरने में वक्त तो लगता है - शायरी - करन‌ मिश्रा
जख्मो को वापस भरने में वक्त तो लगता है – शायरी



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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