ढलता है जैसे सूरज ये चांद भी ढलेगा। शायरी - करन मिश्रा
ढलता है जैसे सूरज ये चांद भी ढलेगा। शायरी | करन मिश्रा

ढलता है जैसे सूरज ये चांद भी ढलेगा। शायरी | करन मिश्रा

हुस्न-ओ-शबाब तेरा ता-उम्र ना रहेगा,
सावन के बाद महीना भादों का भी चढ़ेगा।
ना कर गुरूर चांद से चेहरे पर ऐ हसीना,
ढलता है जैसे सूरज ये चांद भी ढलेगा।

Hushn-o-shabab Tera Ta-umra Na Rahega,
Sawan Ke Baad Mahina Bhadav Ka Bhi Chadhega.
Na Kar Gurur Chand Se Chehare Par Ai Haseena,
Dhalata Hai Jaise Suraj Ye Chand Bhi Dhalega.

ढलता है जैसे सूरज ये चांद भी ढलेगा। शायरी - करन मिश्रा
ढलता है जैसे सूरज ये चांद भी ढलेगा। शायरी | करन मिश्रा



• Best शायरी यहाँ पढें

• Best Love शायरी यहाँ पढें

• Best Sad शायरी यहाँ पढें



author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

इन्हें भी पढें...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!