उसकी गली में मकान है अपना | शायरी | करन‌ मिश्रा
उसकी गली में मकान है अपना | शायरी | करन‌ मिश्रा

उसकी गली में मकान है अपना | शायरी | करन‌ मिश्रा

दिल इसी बात से खुश है बहुत,
अब उसकी गली में मकान है अपना।
उसकी खिड़की और अपनी निगाहें,
अब रात दिन बस यही काम है अपना ।

Dil Esi Baat Se Khush Hai Bahut,
Ab Uski Gali Me Makan Hai Apna.
Uski Khidki Aur Apni Nigahen,
Ab Raat Din Bas Yahi Kaam Hai Apana.

उसकी गली में मकान है अपना
 | शायरी | करन‌ मिश्रा
उसकी गली में मकान है अपना
| शायरी | करन‌ मिश्रा



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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