अकबर बीरबल की मजेदार कहानियाँ या किस्से Akbar Birbal Stories In Hindi

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अकबर बीरबल की बुद्धिमत्ता या चतुराई की कहानियाँ या किस्से Moral Story

Story : 1st 

अकबर बीरबल और छोटे बच्चे का किस्सा Akbar Birbal Popular Story In Hindi

  एक समय की बात है अकबर जब अपने दरबार में बैठे थे तभी उनके सामने एक बहुत बड़ी समस्या आन खड़ी हुई । समस्या देखने में तो काफी छोटी लग रही थी मगर उसका हल निकाल पाना वहां दरबार में बैठे हर किसी के लिए काफी मुश्किल हो रहा था । असल में दरबार मे आयी दो औरतें एक बच्चे को लेकर आपस में बहस कर रही थी ।

  दोनों उस बच्चे को अपना बच्चा होने का दावा कर रही थी परंतु वहां कोई भी ये समझ नही पा रहा था आखिर वो बच्चा उन में से किसका है तब इस समस्या का हल ढूंढने के लिए अकबर ने अपने प्रिय बीरबल को दरबार में बुलाया ।

  बीरबल ने उनसे काफी जवाब सवाल किए मगर कोई फायदा नही हुआ वे समस्या का हल ढूंढने में बिल्कुल नाकामयाब रहे । तब उन्होंने दोनों के परिवार के सभी सदस्यों को वहां दरबार में बुलाने का आदेश दिया । जिसके बाद दोनों के पति दरबार में प्रस्तुत हुए । बीरबल ने उन दोनों को एक-एक करके बड़े गौर से देखना शुरू किया । काफी देर तक बीरबल उन्हें बस एकटक देखते रहे ।

  कभी बीरबल उन्हें सामने से देखते तो कभी घूमकर उनके पीछे चले जाते चारों तरफ से उन्हें निहारने के बाद आखिर में बीरबल ने अकबर को बताया कि वह बेटा पहली औरत का है । दरबार मे सब आश्चर्यचकित रह गए कि आखिर बीरबल ने इस समस्या का इतनी आसानी से हल कैसे निकाल लिया, जबकि बाकी लोग अभी भी इस पहेली को समझ नहीं पा रहे हैं ।
  तब बीरबल ने बताया कि

“इसमें कोई बहुत बड़ी बात नहीं है आप इन दोनों को और इनके पतियों को बहुत गौर से देखिए तो आपको पता चल जाएगा कि इस बच्चे का चेहरा तो इनमे से किसी से नहीं मिलता मगर इसके सर पर जो बाल हैं वह कुछ उसी प्रकार घुंघराले हैं जैसे पहली महिला के पति के बाल घुंगराले हैं । दोनों हुबहू एक ही रंग रूप और नक्श के हैं । इसका मतलब है कि यह बच्चा पहली महिला का हीं है और दूसरी महिला या तो झूठ बोल रही है अथवा उसे कोई भ्रम हुआ है”

अकबर ने बीरबल को इस समस्या का हल ढूंढ निकालने के लिए इनाम दिया और साथ ही उन्होंने दूसरी महिला एवं उसके पति को कारागार में डाल दिया ।

Story : 2nd

बीरबल की चतुराई की कहानी | Best story on cleverness of Birbal In Hindi

  बहुत समय पहले की बात है । एक ही गांव मे रहने वाले अकबर और बीरबल, जिगरी यार हुआ करते थे । उन दोनों की मित्रता दो सगे भाइयों जैसी थी । कालांतर में दोनों को संतान प्राप्त हुई । दोनों के बच्चे बहुत सुंदर थे । जहां अकबर को बेहद सुंदर कन्या प्राप्त हुई । वही बीरबल को अति सुंदर पुत्र प्राप्त हुआ ।

  एक दिन अकबर ने बीरबल से अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने की बात कही बीरबल उसकी बात को सुनकर चकित रह गया । थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने भी अकबर की बातों में सहमति जाहिर की । बचपन के दोस्त एक दूसरे के रिश्तेदार बनने की बात सोचकर बहुत प्रसन्न हुए । समय के साथ दोनों के बच्चे बड़े होने लगे । उनके बढ़ने के साथ-साथ अकबर और बीरबल की मित्रता भी प्रगाढ़ होती गई ।

  एक दिन जब बीरबल अपने घर मैं बैठा कुछ काम कर रहा था तभी उसने अचानक अपने बेटे के साथ किसी युवती को देखा, पूछने पर पता चला कि उसने गांव की रहने वाली उस युवती से प्रेम विवाह कर लिया है । यह जानने के बाद बीरबल को मानो सदमा धर लिया हो, उसे तुरंत अपने दोस्त अकबर से किया हुआ अपना वादा याद आया ।

   वह यह सोच-सोचकर परेशान होने लगा कि आखिर अब वह अपने दोस्त को अब क्या जवाब देगा ? इतने वर्षों से जहां अकबर अपनी बेटी का ब्याह बीरबल के बेटे से करने का सपना संजोए हुए था । आज अचानक उसी सपने के टूट जाने के बाद अकबर पर क्या गुजरेगी और यह सब जानकर अकबर का बर्ताव उसके प्रति कैसा रहेगा ?
  बीरबल वाकई बहुत बड़ी मुश्किल में पड़ चुका था । एक तरफ उसकी इकलौती औलाद थी वहीं दूसरी और उसकी बरसों पुरानी दोस्ती थी । बीरबल अब करें तो क्या करें ? आखिर वह अपने दोस्त को कैसे समझाएगा कि अब जो हो चुका है उसे बदला नहीं जा सकता ।

  वहीं दूसरी और उसका बेटा जो किसी से ब्याह करके उसे साथ लेकर घर आया है । उससे भी अब कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जा सकती । हर तरफ से समस्याओं में घिर चुका बीरबल माथे पर हाथ रखकर वही खाट पर बैठ गया । सुबह से शाम हो गई मगर वह खाट पर जस का तस बैठा रहा ।
  कुछ देर बाद अचानक बीरबल खाट से उठा और अपने बेटे को घर से निकल जाने को कहा जिस पिता ने आज तक अपने बेटे को कोई खरोच तक नही आने दी हो, उसका इसप्रकार का व्यवहार किसी को भी अचंभित कर सकता है ।
  ऐसे में बीरबल का बेटा भी उसके ऐसे बर्ताव काफी आश्चर्यचकित था । अभी वह अपने पिता से कुछ कहता कि तभी पिता ने उसकी, बिना कोई बात सुने घर से बाहर धकेल दिया और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया । वह काफी देर तक दरवाजा पीटता रहा मगर बीरबल ने दरवाजा नहीं खोला । 
  बीरबल का बेटा पूरी रात अपनी नवविवाहिता के साथ बाहर बैठा रहा मगर दरवाजा नहीं खुला आखिर में हार मान कर उसे वहां से जाना पड़ा । बीरबल के बेटे ने अपने दो जून की रोटी का बंदोबस्त करने के लिए लोगों से कुछ पैसे उधार लेने की सोची तब उसे पता चला कि बीरबल ने किसी को भी उसके बेटे की सहायता करने से सख्त मना कर रखा है ।
  चूंकि बीरबल का आस-पास के क्षेत्रों में काफी दबदबा था इसलिए बीरबल के डर से कोई भी उसके बेटे की मदद करने के लिए तैयार नहीं था । ऐसे में भूख मिटाने के लिए बीरबल के बेटे ने कहीं कोई काम करने की सोची मगर बीरबल के डर से उसे कोई भी काम देने को तैयार नहीं था । बहुत ही मुश्किल से उसे एक सेठ के वहां माल ढुलाई का काम मिला ।
  कल तक पिता के पैसों पर ऐश करने वाला बेटा आज पीठ पर बोरा लादे, उसे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम कर रहा था । उधर, जब कभी अकबर बीरबल से उसके बेटे के बारे में पूछता तब वह उसे इधर उधर की बातों में उलझा कर, बेटे का सच छुपा ले जाता है । परंतु सच कितने दिन छुपने वाला था ।
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   एक दिन संजोग से जब अकबर कहीं जा रहा था । तभी रास्ते में उस सेठ की दुकान पड़ी । वहां बीरबल के बेटे को पीठ पर बोरा लादे देखकर, वह अचंभित रह गया । वह फौरन दौड़कर उसके पास पहुंचा और उससे यहां होने की वजह पूछने लगा मगर बीरबल के बेटे के पास किसी सवाल का कोई जवाब नहीं था । तब अकबर ने उसे अपने साथ ले जाने की कोशिश की परंतु बीरबल के डर से वह उसके साथ जाने को तैयार नही हुआ ।
  हार मान का अकबर खाली हाथ दौड़े-दौड़े बीरबल के पास पहुंचा । उसने बीरबल को जबरदस्त फटकार लगाते हुए उसे फौरन अपने बेटे को घर वापस लाने की बात कही । मगर बीरबल ने उसे साफ मना कर दिया । अकबर समझ नहीं पा रहा था कि आखिर बीरबल ने अपने ही बेटे के साथ ऐसा क्यों किया ?

  सच जानने के लिए अकबर ने आस पड़ोस से मालूमात की तब उसे जो पता चला कि बीरबल के बेटे ने तो किसी से शादी कर ली है यह सुनकर अकबर के हाथ पांव सुन्न पड़ गए उसे ऐसा लगा जैसे उसने कोई बुरा सपना देखा हो । सच जानने के बाद बदहवास अकबर चुपचाप घर चला गया ।

  मगर घर आने के बाद वह पूरी रात सो न सका  कभी उसे बीरबल द्वारा किए पुराने वादे की याद आती तो कभी उसकी आंखों के सामने बीरबल के बेटे द्वारा माल ढुलाई करने का दृश्य दिखाई देता ।
  अगली सुबह अकबर भागे-भागे उस सेठ की दुकान पर पहुंचा संजोग से बीरबल का बेटा वहां ढुलाई के काम में लगा था । इस बार वह बीरबल के बेटे की कोई भी बात न सुनते हुए उसका हाथ पकड़कर जबरन बीरबल के घर ले आया । 
  घर पहुंच कर उसने बीरबल पर सावन की बारिश की तरह बरस पड़ा । उसने बेटे की हर गलती को माफ करते हुए उसे और उसकी नवविवाहिता पत्नी को घर में रखने को कहा । इस बात को लेकर, अकबर और बीरबल में काफी देर तक बहस चलती रही । मगर अकबर ने बीरबल पर हर हाल में बेटे और बहू को स्वीकार करने का दबाव डालता रहा और अपनी बेटी के लिए कोई दूसरा अच्छा रिश्ता खोजने की बात करने लगा । 

  इस तरह बीरबल अपनी समझदारी से अपने बेटे और अपनी मित्रता के रिश्ते, दोनो को बचाने में कामयाब रहा । असल में जब बीरबल का बेटा अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ घर आया, तब सारा दिन बीरबल बस यही सोचता रहा कि इस परेशानी से आखिर कैसे निपटा जाए और आखरी में उसने समस्या का उपाय ढूढ निकाला ।

 

  बीरबल ने अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने कलेजे के टुकड़े को दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर दिया ताकि अकबर को यह न लगे कि बीरबल ने अपने बेटे के प्यार में मित्रता की तिलांजलि दे दी । उसे पता था कि जब अकबर को इस बारे में ज्ञान होगा तो वह स्वयं उसके बेटे को लेकर उसके घर आएगा और सब पहले की तरह ठीक हो जाएगा ।

कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi 

इस कहानी से हमें तीन शिक्षा मिलती है

एक समझदारी भरे निर्णय के द्वारा मुश्किल भरी परिस्थितियों से भी उबरा जा सकता है !

किसी से बिना पूछे उसके बारे में कोई निर्णय लेना बिल्कुल गलत है यह अक्सर हमें शर्मिंदा करता है !

हर बात का एक उचित वक्त निर्धारित है वक्त से पहले लिया गया कोई भी निर्णय अक्सर गलत साबित होता है !

author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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