विश्वासघात – राजा रानी की कहानी | Hindi Story Of King Queen – Betrayal

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  बहुत समय (time) पहले की बात है प्रसिद्धपुर राज्य में एक बड़ा ही महत्वकांक्षी राजा रहा करता था । राजा (king) को धन-धान्य अथवा किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी अगर उसके पास कुछ नही था तो वह थी संतान । राजा की अपनी कोई संतान नही थी जिसके कारण राजा और रानी दोनों काफी दुखी  (sad) रहा करते थे ।

  हालांकि उन्होंने इसके लिए काफी जप तप भी कराए परंतु इसका कोई लाभ नहीं हुआ तभी एक महर्षि (Maharishi) के कहने पर राजा ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया । जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें एक सुंदर कन्या (beautiful girl) प्राप्त हुई । पिता बनने की खुशी में राजा ने पूरे नगर वासियों को भोज पर आमंत्रित (Invited) किया चारों तरफ जश्न का माहौल था ।

  धीरे धीरे समय के साथ राजकुमारी (Princess) बड़ी होने लगी जब वह तकरीबन 18 वर्ष (year) की थी तब न जाने किस कारण उसकी सेहत बिलकुल बिगड़ने चली गई । देखते ही देखते वह अधमरी सी हो गई । वैसे तो राजा ने उसके इलाज में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ी, राजकुमारी के इलाज के लिए देश-विदेश से बड़े-बड़े वैध, हकीम आए । न जाने कितनी पूजा-पाठ
(Worship) भी हुई परंतु उन सबका राजकुमारी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा ।

  राजा इस बात से काफी दुखी थे । राजा रानी को लगने लगा कि शायद एक बार फिर से वे निसंतान (Destitute) हो जाएंगे तभी दूर देश से एक वैद्य (Vaidya) का उनके राज्य मे आगमन हूआ । वह देखने में बहुत  विचित्र था तन पर कपड़े भी ठीक ढंग के नहीं थे । उसे देखकर पहले तो द्वारपालों (Gatekeepers) ने उसे राज दरबार में प्रवेश करने से ही रोक दिया परंतु जब वह राजा से मिलने का हठ करने लगा तब राजा के सैनिक उसे लेकर राजा के पास गए । 
  वैद्य ने राजा को अपना परिचय (introduction) देते हुए उनसे उनकी  पुत्री को ठीक करने का आश्वासन (Assurance) दिया । राजा उसकी बात को सुनकर काफी प्रसन्न थे परंतु उसकी वेशभूषा को देखकर उन्हें उसकी बातों पर तनिक भी विश्वास नहीं हुआ ।
  चूंकि राजकुमारी की तबीयत (health) दिन प्रतिदिन काफी खराब होती जा रही थी ऐसे में वो किसी ऐसे वैसे वैद्य के ऊपर बेकार में वक्त जाया नहीं करना चाहते थे इसलिए राजा ने उससे काफी कठोर शब्दों में कहा
“यदि तुम मेरी पुत्री का इलाज करने में सफल (success) रहे तो मैं तुम्हें मुंह मांगा इनाम (pri ze) दूंगा परंतु यदि तुम ऐसा करने में असफल रहे तो मैं तुम्हें जीवनभर के लिए कारागार में डाल दूंगा इसलिए एक बार तुम फिर सोच लो”
  वैद्य ने राजा की शर्तों को मानकर उसको राजकुमारी के पास ले जाने को कहा, वैद्य के इस आत्मविश्वास (Self-confidence) को देखते हुए राजा स्वयं उसे लेकर राजकुमारी के पास पहुंचे । वैद्य ने राजकुमारी का काफी गहन अध्ययन किया और फिर अपनी पोटली (Bundle) से कुछ जड़ी-बूटियां निकालकर उनसे औषधियों की कुछ पुड़िया तैयार की ।
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“राजकुमारी इन औषधियों के इस्तेमाल से बहुत जल्द ठीक हो जाएगी”
  वैद्य ने दवा की पुड़िया रानी को देते हुए कहा
  निराश हो चुके राजा रानी के मन में एक बार फिर से उम्मीद की किरण जाग उठी दोनों बहुत खुश थे तकरीबन दो महीने (two months) बाद राजकुमारी पूरी तरह स्वस्थ हो गई । अब वह पहले की भांति ही काफी सुंदर युवती बन चुकी थी । जाने से पहले वैद्य ने राजकुमारी को एक महीने की और दवाइयां (Medicines)  देते हुए उससे कहा कि
“अब तुम पूरी तरह ठीक हो चुकी हो परंतु अच्छा होगा कि इन कड़वी दवाइयों का सेवन अगले एक महीने तक और करो जिससे ये बीमारी (disease) जड़ से खत्म हो जाए और फिर यह रोग कभी तुम्हे छू भी न सके”
  राजा, वैद्य से बहुत खुश थे । उन्होंने वैद्य को दरबार में बुलाया और कहा कि 
  “मेरी शर्तों को मानकर तुमने मेरी पुत्री का इलाज किया और अब वह बिल्कुल ठीक है यहां मेरी पुत्री का इलाज करने के लिए बड़े-बड़े तांत्रिक, वैद्य और महात्मा (Mahatma) आए परंतु कोई भी राजकुमारी को ठीक नहीं कर सका परंतु तुमने सिर्फ 2 महीनों में उसे पहले जैसा कर दिया है । मैं तुमसे बहुत खुश हूँ और अपने द्वारा दिए गए वचन के मुताबिक मैं तुम्हें तुम्हारा मुंह मांगा इनाम (Ask for reward) देना चाहता हूं तो बताओ तुम मुझसे क्या चाहते हो”
  राजा से यह बातें सुनकर वह अति प्रसन्न (Glad) हुआ और उसने राजा से पूछा
 “तो क्या, आपको अपना वचन (promise) याद है ?”
  राजा ने सर हिलाते हुए कहा

 “हां बिल्कुल याद है तुम बोलो तुम्हें क्या चाहिए तुम जो चाहे मांग सकते हो मैं उसे अवश्य पूरा करूंगा”
  वैद्य ने कहा

 “एक बार फिर से सोच लीजिए, कहीं आप अपने वचन से मुकर तो नही जाएगे?”

  राजा को अब थोड़ा गुस्सा आया उसने कठोर स्वरो में वैद्य को अपनी मांग रखने को कहा 
  तब वैद्य ने राजा से उनकी आधी सल्तनत उसे देने और राजकुमारी से उसका विवाह (marriage) कराने की मांग रखी
  यह सुनते ही राजा और रानी दोनों आवेश से भर गए । राजा के क्रोध (Anger) को समझते हुए दरबार में खड़े सिपाहियों ने वैद्य को घेर लिया । आवेश में आ चुके राजा ने वैद्य से कहा
  “तुमने अगर मेरी बेटी की जान (life) न बचाई होती तो अब तक तुम्हारा सर (head) धड़ से अलग कर दिया गया होता । तुम्हारे एहसानों को याद रख कर ही मैं तुम्हारी जान बक्श रहा हूं तुम चाहो तो कुछ और मांग सकते हो परंतु अगर तुमने दोबारा वही बात दोहराई (Repetition) तो अगले ही पल तुम्हारा सर कलम कर दिया जाएगा”
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  वैद्य जान चुका था कि अब यहां ठहरना उसके लिए खतरे से खाली नहीं है अतः बड़ी ही कातिलाना मुस्कान  (Killer smile) आंखों में लिए हुए उसने दोनों हाथ जोड़कर, राजा और रानी (queen) को प्रणाम किया और वहां से उलटे पांव लौट गया ।

  उसके जाने के कुछ ही दिनों बाद एक दिन अचानक राजकुमारी की तबीयत काफी बिगड़ गई वह नीली ( blue) पड़ने लगी । उसकी ऐसी हालत देख राजा रानी चकरा गए और उन्होंने फटा-फट राजवैध (Monarchy) को राजकुमारी के पास बुलाया राजकुमारी की स्थिति को देखकर राजवैद्य के जुबान पर खामोशी छा गई मानो उन्हें किसी बिच्छू ने डंक मार दिया हो राजवैद्य काफी देर तक वहीं खामोश (silenced) खड़ा रहा । राजा द्वारा बार-बार पूछे जाने पर राज वैद्य ने बताया कि
 “राजकुमारी के पूरे शरीर में विष (Poison) फैल चुका है चूँकि विष काफी प्रभावशाली है इसलिए अब राजकुमारी को नहीं बचाया जा सकता”
  राजवैद्य की बातें सुनकर राजा मूर्छित हो गए वहां मौजूद लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर राजकुमारी को विष किसने दिया मालूमात करने पर पता चला कि वैद्य ने जो पुड़िया (Pucca) राजकुमारी को अगले एक महीने तक खाकर बंद करने को दी थी । उनमें से एक पुड़िया की थी जिसे राजकुमारी ने आज सुबह (morning) खाया है जिसके तुरंत बाद राजकुमारी का शरीर नीला पड़ गया ।
  असल में वैद्य को राजा की मंशा (Desire) पर पहले ही संदेह हो चूका था । उसे लगने लगा था कि राजा, अपने दिए वचन को शायद पूरा नहीं करेंगे इसीलिए वैद्य ने राजकुमारी के पूर्णतया ठीक होने के बाद, उसे अगले एक महीने (one month) तक के लिए दवा की 30 पुड़िया बनाकर दी जिसमे एक पुड़िया जहर की भी थी ।
  उसने जहर की पुड़िया दवाओ मे जानबूझकर (intentionally) रखी थी ताकि यदि राजा अपने वादे के मुताबिक उसकी इच्छा को पूरा करते हैं तो ऐसी स्थिति मे वह स्वयं उस जहर की पुड़िया को निकाल कर फेंक देगा परंतु अगर राजा अपने वादे से मुकर जाएं तो उस जहरीले दवा (Toxic medicine) को खाकर राजकुमारी स्वयं अपने प्राण त्याग दे ।
author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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