ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही | शायरी | करन मिश्रा

ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही, मैं चलता ही जा रहा हूं एक एक रोज बस यूं ही। ना अब कोई तमन्ना ना कोई ख्वाब बाकी है, मैं जी रहा हूं यारों एक एक रोज बस यूं ही, Ye Umra Gujar Rahi Hai Ek Ek Roj Bas Yun Hi, Mai […]

मोहब्बत के रंग आज दाग हो गए | शायरी | करन मिश्रा

मोहब्बत के रंग आज दाग हो गए, वो हाथ छुड़ाकर बेदाग हो गए। हमें भूल चले वो गुजरे जमाने की तरह, हम भूला ना सके और दागदार हो गए। उन्हें मनाने की जिद्द-ओ-जहद जारी रखी हमने, बस यहीं एक गुनाह किया और गुनाहगार हो गए। मोहब्बत के रंग आज दाग हो गए… .. Mohabbat Ke […]

कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा | शायरी | करन मिश्रा

कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा, बेबसी की आंखों से नजारा देखता रहा। कपकपाते होठ डबडबाती आँखों से, अपनी डूबती किस्मत का सितारा देखता रहा। Kashti ko jate hue kinara dekhata raha, Bebasi ki aakhon se nazara dekhata raha. Kapkapate honth dabadabati aakhno se, Apni dubati kismat ka sitara dekhata raha.

टुकड़ो में जिंदगी | शायरी | करन मिश्रा

टुकड़ो में जिंदगी को जिया है आज तक, खुशियों से ज्यादा गम ही मिला है आज तक। जब भी गम से ज्यादा खुशियां मिली मुझे, किश्तों में उनको वापस चुकाया है आज तक। Tukado Me Jindagi Ko Jiya Hai Aaj Tak, Khushiyaon Se Jyada Gam Hi Mila Hai Aaj Tak, Jab Bhi Gam Se Jyada […]

खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं | शायरी | करन मिश्रा

खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं, जो मिला मेरा वो नसीब था ये नसीब ही है कि तू मिला नहीं। मुझे एक खुशी की तलाश में तेरे दर्द-ओ-ग़म का जहां मिला, तेरा दर्द ही गर मिल गया फिर क्या गिला कि तू मिला नहीं। Khuda Se Bhi Ye Gila […]

तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा | शायरी | करन मिश्रा

तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा, मैं भी तुझको भूल गया हूं थोड़ा थोड़ा, साम को अक्सर आ जाती थी हिचकी मुझको, हिचकी आनी कम हुई है थोड़ा थोड़ा। जिस्म को जब कभी छू जाती थीं सर्द हवाएं, याद तुम्हारी आ जाती थी थोड़ा थोड़ा। रूठे जो तुम रूठ गया है बसंत का […]

तुझे जब चाहा था तब तू ऐसा नहीं था | शायरी | करन मिश्रा

तुझे जब चाहा था तब तू ऐसा नहीं था, जैसा भी था पर ऐसा नहीं था, तुझमें नज़ाकत थी सराफत थी और गुस्सा भी बहुत था, थे और भी ऐसे कई पर कोई तेरे जैसा नहीं था। Tujhe Jab Chaha Tha Tab Tu Aisa Nahi Tha, Jaisa Bhi Tha Par Aisa Nahi Tha, Tujhme Nazakat […]

ऐ हाल तेरे हाल पे रोना आया | शायरी | करन मिश्रा

ऐ हाल तेरे हाल पे रोना आया, इस दिल के हर सवाल पे रोना आया । जब जा रही थी वो मुझे तन्हा करके, मैं कुछ न कर सका मुझे रोना आया। शाखों से लीपटी हुई यादें उसकी, अब पूछती हैं क्या बची हसरत तेरी। मै कपकपाते हुए इन होठों से, कुछ भी ना कह […]

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है | शायरी | करन मिश्रा

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है, सच कहूँ तो अब मेरा अँधेरों में ही मन लगता है। न खोलो खिड़कियां कहीं कोई खुशी आ ना जाए, मुझे तो अब गम से ज्यादा खुशियों से ही डर लगता है। Bujha Do Chiragon Ko Mujhe Ujalo Se Dar Lagata Hai, Sach Kahun To […]

मुझको तेरे जैसा हमदर्द मिल गया | शायरी | करन मिश्रा

खुशनसीबी है मेरी कि तू बेदर्द मिल गया, मुझे तू ना सही पर तेरा दर्द मिल गया। गैरों से अब मैं शिकवा करूं भी तो क्या, जब मुझको तेरे जैसा हमदर्द मिल गया। Khushnaseebi Hai Meri Ki Tu Bedard Mil Gaya, Mujhe Tu Na Sahi Par Tera Derd Mil Gaya. Garon Se Ab Mai Shikwa […]

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