इश्क की आग में जलना पड़ेगा | शायरी | करन मिश्रा

दर्द की हद से गुज़रना पड़ेगा, इश्क की आग में जलना पड़ेगा। इतना आसान नहीं ये इश्क का सफर, तुझे रोज जीना रोज मरना पड़ेगा। Dard Ki Had Se Gujarna Padega, Ishq Ki Aag Me Jalana Padega. Itana Aasan Nahi Ye Ishq Ka Safar, Tujhe Roj Jeena Roj Marna Padega.

मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका | शायरी | करन मिश्रा

देखने के लिए उधर देखना जरूरी नहीं, जिधर वो हैं उधर देखना जरूरी नहीं। मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका, उनके दीदार को किधर भी देखना जरूरी नहीं। Dekhane Ke Liye Udhar Dekhana Jaruri Nahi, Jidhar Vo Hain Udhar Dekhana Jaruri Nahi. Mai Aakhein Mundakar Kar Sakta Hun Didar Unka, Unke Didar Ko […]

क्या खूब मजा है जीने में | शायरी | करन मिश्रा

क्या खूब मजा है जीने में, जब आग लगी हो सीने में। होठों से पीना क्या पीना, जो मजा है आंख से पीने में। Kya Khoob Maja Hai Jeene Mein, Jab Aag Lagee Ho Seene Mein. Hothon Se Peena Kya Peena, Jo Maja Hai Aankh Se Peene Mein.

तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है | शायरी | करन मिश्रा

तेरा हुस्न देखकर मेरी तबीयत बिगड़ जाती है, संभलते संभलते पूरी रात गुजर जाती है। मैं चाँद से करता हूँ तेरे हुस्न के चर्चे, वो शर्मा के छुप जाता है और सुबह निकल आती है। Tera Husn Dekhkar Meri Tabiyat Bigad Jati Hai, Sambhalate Sambhalate Puri Raat Gujar Jati Hai. Mai Chand Se Karata Hun […]

गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या | शायरी | करन मिश्रा

गुलाबों सा खिलना जरूरी था क्या, इतना निखरना जरूरी था क्या, सांसे थम सी गई आज देखा जो तुमको, इतना सजना सँवरना जरूरी था क्या। Gulaabon Sa Khilana Jaruri Tha Kya, Etana Nikharana Jaruri Tha Kya, Sanse Tham Si Gaee Aaj Dekha Jo Tumko Etana Sajna Savarana Jaruri Tha Kya.

तुझे भूलूं भी तो कैसे | शायरी | करन‌ मिश्रा

तुझे भूलूं भी तो कैसे तेरी वो अदा तेरी वो हया तेरा हर बात पे वो मुस्कुरा देना, याद आता है बहुत मुझे देखकर वो तेरा शरमाते हुए पलके झुका देना। Tujhe bhulun bhi to kaise teri vo ada teri vo haya tera har baat pe vo muskuradena, Yaad aata hai bahut mujhe dekh kar […]

उसकी आंखों में है कोई साज़िश | शायरी | करन मिश्रा

उसकी आंखों में है कोई साज़िश जरूर, जब भी देखता हूं कम्बख्त डूब ही जाता हूं। ये इश्क है एक आग का दरिया मगर, ये जानते हुए भी दरिया में कूद ही जाता हूं। Usaki Aankon Me Hai Koi Sajish Jarur, Jab Bhi Dekhta Hun Kambakht Dub Hi Jata Hun. Ye Ishq Hai Ek Aag […]

कभी ख्वाबो में तो कभी ख्यालों में आ जाते हो | शायरी | करन मिश्रा

कभी ख्वाबो में तो कभी ख्यालों में आ जाते हो, हवा हो या कोई करिश्मा जहां मैं जाता हूं तुम वहां आ जाते हो। तेरी यादों से हम दूर जाएं तो कैसे, साम को भूलूं तो सुबह आ जाते हो। Kabhi Khwabo Me To Kabhi Khayalon Me Aa Jate Ho, Hawa Ho Ya Koi Karishma […]

अपने अरमानों के फुल खिलाना चाहता हूं मै | करन मिश्रा | शायरी

तेरी आंखों में डूब जाना चाहता हूं मै, तेरी कंधे पे सर टिकाना चाहता हूं मै। तेरी जुल्फो की घनी छाव तले, अपने अरमानों के फुल खिलाना चाहता हूं मै।

आग से खेलने की आदत है | करन‌ मिश्रा | शायरी

आग से खेलने की आदत है जिन्हें, उन्हें मौत की आहट से कभी डर नहीं लगता। डर लगता तो है रूठ जाने से उनके, उनके इश्क में लुट जाने से कभी डर नहीं लगता। Aag Se Khelane Ki Aadat Hai Jinhe, Unhe Maut Ki Aahat Se Kabhi Dar Nahi Lagata. Dar Lagata To Hai Ruth […]

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