अहंकार से होता है बुद्धि का नाश | Success Can Be Achieved By Sacrificing Ego – Story In Hindi
सूरजपुर के राजा बुद्धिसागर अपने नाम के अनुसार ही काफी बुद्धिमान, चतुर और शक्तिशाली थे। वैसे तो उनके पास धन का अतुल भंडार था पर वह काफी महत्वकांक्षी राजा थे। वे विश्व का सबसे बड़ा राजा बनने और सबको अपना लोहा मनवाने की दृढ़ इच्छा रखते थे । उनको अपने ज्ञान चतुराई व बुद्धिमत्ता पर बहुत घमंड था।
“हे साधु तुम यहां इस चिलचिलाती धूप में न जाने कितने वर्षो से तपस्या कर रहे हो और तुम्हारे राजा ने तुम्हारे लिए एक उचित स्थान की व्यवस्था तक नहीं की। पर अब यह राज्य मैंने जीत लिया है और अब मैं यहां का राजा हूँ। मेरी बात मानो और यह बेकार की तपस्या छोड़कर मेरी आराधना करो। अगर तुम ऐसा करोगे तो मैं तुमको महल जैसा मंदिर बनवा कर दूंगा और तब तुम्हें ऐसी चिलचिलाती धूप में जलना नहीं पड़ेगा बोलो क्या कहते हो”
“हे मूर्ख राजा तुम जानते नहीं मैं कौन हूँ, मेरा न कोई राज्य है और न कोई राजा । मेरी छोड़ो तुम बताओ तुम्हें क्या चाहिए। मैं अभी तुम्हारी सारी इच्छाएं अभी पूरी कर देता हूँ”
“तुम किसे मूर्ख कह रहे हो क्या तुम नहीं जानते, मैं विश्व में सबसे बुद्धिमान, चतुर और शक्तिशाली राजा हूँ और तुम आसमान के नीचे तपती भूमि पर तपस्या करने वाले एक अदने से साधु तुम मुझे और किसी को भला क्या दे सकते हो। तुमने मुझे मूर्ख कैसे कहा, हाँ”
राजा ने अपने सैनिकों से साधु को कैद करने का आदेश दिया । मगर तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी राजा ने कल्पना भी नहीं की होगी। साधु ने वहां उपस्थित सभी लोगों को एक बड़े से पिंजरे में कैद कर लिया। राजा ये सब देख भौचक रह गया और पिंजरे से बाहर आने के लिए छटपटाने लगा। मगर बाहर निकलने में वह असफल रहा।
“तुमने कहा था कि तुम दुनिया में सबसे चतुर और बुद्धिमान हो तो मैं तुम्हें तुम्हारी समझदारी साबित करने का एक मौका देता हूँ। अगर तुम सफल हो जाते हो तो मैं तुम्हें छोड़ दूंगा। वरना तुम हमेशा के लिए इस तपती धूप में इस पिंजरे में कैद रहोगे तो बोलो क्या तुम इसके लिए तैयार हो”
“तुम्हें कौन सा रंग सबसे ज्यादा पसंद है”
जब ये बात रानी को पता चली तो वह भागे भागे राजा के पास चली आई।
“मैं तुम्हें राजा को छुड़ाने का एक मौका देता हूँ। अगर तुम सफल हुई तो मैं इसे छोड़ दूंगा”
मजबूर रानी के पास हाँ करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं थ इसलिए झिझकते हुए रानी ने धीरे से सर हिलाते हुए साधु के प्रश्नों के उत्तर देने को तैयार हो गई। साधु ने रानी से उसका फेवरेट कलर पूछा।
असल मे रानी को हर हाल में राजा को मुक्त कराने के लिए यह बाजी जीतनी थी हालांकि रानी इसके लिए तैयार नहीं थी। मगर उसके सामने दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था।
हामी भरने के बाद से ही रानी साधु की हर हरकत पर पैनी नजर रखी हुई थी। उसने देखा था कि जब साधु कपड़ों के दोनों टुकड़ों में एक एक कंकड़ डाल कर उन्हें उनमे लपेटकर गोला बना रहा था।
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