” बेटी कुछ तो किचन का काम भी सीख ले ससुराल जाकर मायके वालों का नाक कटवाएगी क्या”
अनन्या के साथ रोहित बहुत खुश है सासु मां से अनन्या शहर जाने की सिफारिश करती है, मां के कहने पर रोहित अनन्या को अपने साथ शहर लेकर आ जाता है। वहां अनन्या की चांदी हो जाती है । वहां रोकने वाला कोई नहीं था । सुबह शाम काम वाली भी आती थी बस फिर क्या वही ऐशो-आराम वाले अनन्या के दिन वापस लौट आते हैं। करीब 2 महीने बाद रोहित अनन्या से बड़े प्यार से कहता है ।
रोहित के जाने के बाद अनन्या मन मारकर खाना बनाने का काम सीखती है मगर थोड़ी ही देर में उसे यह काम मुश्किल और बहुत ज्यादा बोरिंग लगने लगता है थक-हारकर वह सोफे पर बैठ जाती है और गाल पर हाथ रखकर इस समस्या का कोई शॉर्टकट उपाय ढूंढने लगती है थोड़ी ही देर में उसके मन में कोई उपाय सूझता है। वह बड़ी ही प्रसन्नता से उठ कर खड़ी हो जाती है , वह खुशी से भावविभोर हो जाती है । शाम को जब रोहित घर लौटता है तो उसे खाने में सरप्राइज़ मिलता है । आज खाने में रोज से अलग डिशे खाने को मिलती है ।
रोहित अनन्या से पूछता है
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